रायपुर. छत्तीसगढ़ में किराएदार और मकान मालिकों को लेकर नए नियम लागू हो गया है। प्रदेश सरकार ने मकान मालिक और किराएदारों की सुविधा के लिए इस नियम को लागू किया है। जिसके तहत छोटे शहरों और गांवों के मकान मालिक और किराएदारों के विवाद निपटाने के लिए अब लोगों को नगर निगम तक नहीं जाना होगा। वे नगर पालिका या नगर पंचायतों में जाकर विवाद निपटा सकेंगे। इससे उनकी समस्या जल्द सुलझ जाएगी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और आवास एवं पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर की सहमति के बाद अधिसूचना भी लागू कर दी गई है। राज्य शासन द्वारा लिए गए इस महत्वपूर्ण निर्णय से भू-स्वामी और किराएदार को अब बड़ी राहत मिलेगी। वे अपने-अपने हक को सुरक्षित रख सकेंगे।
कलेक्टर तय करेंगे कार्य क्षेत्र
नए नियम के अनुसार डिप्टी कलेक्टर भाड़ा नियंत्रक अधिकारी होंगे और पीठासीन अधिकारी के रूप में विवादों का निपटारा करेंगे। नए छत्तीसगढ़ भाड़ा नियंत्रण अधिनियम के अनुसार अब नगर पालिका परिषद एवं नगर पंचायतें जिस भी जिले के अंतर्गत होंगी, उस जिले के डिप्टी कलेक्टर जो निम्न श्रेणी का नहीं होगा, भाड़ा नियंत्रक बनाया जा सकेगा। उनका कार्यक्षेत्र कलेक्टर तय करेंगे। यह अधिनियम राज्य शासन ने बनाया है।

इसलिए जरूरत पड़ी नए नियम की
छत्तीसगढ़ भाड़ा नियंत्रण अधिनियम 2011 में भू-स्वामी और किराएदार के बीच विवाद को जल्द से जल्द सुलझाने के लिए यह अधिनियम राज्य शासन की ओर से बनाया गया है। इसमें भू-स्वामी और किराएदार अपने-अपने हक सुरक्षित रख सकेंगे। किसी कारणवश यह अधिनियम दो हिस्सों में बंट गया था। पहला ये कि 2011 में यह अधिनियम लागू होते ही नगर निगमों में तो ये लागू हो गया, लेकिन राज्य की छोटी जगहों जैसे नगर पालिका, नगर पालिका परिषद और नगर पंचायत के लिए राज्य शासन की ओर से कोई अधिसूचना राजपत्र में नहीं होने के कारण वहां के लोगों को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। साथ ही वे अपनी जगह और हक के लिए लगातार परेशान हो रहे थे।
