जयपुर. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर गहलोत के नामांकन भरने की घोषणा के बाद से राजस्थान में सियासी दंगल शुरू हो गया है। राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से पहले ही उनके समर्थकों ने कांग्रेस हाईकमान को चुनौती दे डाली। रात बारह बजे गहलोत समर्थक विधायक तीन शर्ते लगा कर घर चले गए। पहली यह कि जिन विधायकों ने सरकार बचाई थी, सीएम का चयन उन्हीं में से हो। दूसरी, गहलोत की पसंद का आदमी सीएम बने। तीसरी, जब गहलोत अध्यक्ष बन जाएंगे, तब ही विधायक अपनी बात कहेंगे और वह भी सोनिया गांधी के सामने। गहलोत समर्थक विधायकों की मांग थी कि पायलट गुट ने सरकार को गिराने की कोशिश की, उनकी बात नहीं सुनी जानी चाहिए। बतां दें कि सचिन पायलट खुद को राजस्थान के अगले मुख्यमंत्री के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहे थे। जिसके बाद गहलोत समर्थकों ने यह कदम उठा लिया है।
92 विधायकों ने लिखा इस्तीफा
इससे पहले विधायक दल की बैठक में जाने के बजाय कांग्रेस के 92 विधायक नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल के घर पहुंचे। वहां इस्तीफे लिख स्पीकर सीपी जोशी को सौंप दिए। उधर, पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खडग़े व अजय माकन विधायकों की राह ताकते रहे लेकिन बैठक नहीं हो सकी। वहीं, दिल्ली से संदेश आया कि पर्यवेक्षक प्रत्येक विधायक से चर्चा करेंगे। पीसीसी चीफ गोविन्द सिंह डोटासरा संदेश लेकर रात 12 बजे स्पीकर के घर पहुंचे। वहां विधायकों ने नए सीएम का चयन आलाकमान पर छोडऩे से इनकार कर दिया।