सगरी बनाकर की गई सामूहिक रूप से पूजा अर्चना
पारम्परिक पूजन सामग्री खरीदने बाजार में उमड़ी भीड़
भिलाई। संतान की लंबी उम्र के लिए आज माताओं ने कमरछठ का व्रत रखा। कमर छठ की तैयारी करने सुबह से ही बाजार में खासी भीड़ रही। दोपहर बाद सगरी बनाकर माताओं ने सामूहिक रूप से पूजा अर्चना संपन्न किया। छह तरह की भाजियां, पसहर चावल, काशी के फूल, महुआ के पत्ते, धान की लाई, भैंस का दूध, दही और घी सहित पूजा की कई छोटी-बड़ी पूजन की सामाग्री भगवान शिव को अर्पित कर संतान के दीर्घायु जीवन की कामना की।
छत्तीसगढ़ के प्रमुख त्योहारों में से एक कमरछठ को हलछठ या हलषष्ठी भी कहा जाता है। बिहार में छठ की तर्ज पर इस व्रत को करने वाली माताएं निर्जला रहकर शिव-पार्वती की पूजा करती हैं। सगरी बनाकर सारी रस्में निभाया गया। इस मौके पर कमरछठ की कहानी सुनकर शाम को डूबते सूर्य को अघ्र्य देने के बाद अपना व्रत खोलेंगी।

कमरछठ की पूजा के लिए महिलाओं ने गली-मोहल्ले में मिलकर प्रतीक स्वरूप दो सगरी(तालाब) के साथ मिट्टी की नाव बनाई और फूल-पत्तों से सगरी को सजाकर वहां महादेव व पार्वती की पूजा की। दिनभर निर्जला रहकर शाम को सूर्य डूबने के बाद व्रत खोलेंगी। भिलाई-3 निवासी पिंकी साहू, कल्पना देवांगन, रेखा वर्मा ने बताया कि यह व्रत संतान प्राप्ति के लिए भी किया जाता है। बिहार में जिस तरह छठ मईया की पूजा होती है उसी तरह छत्तीसगढ़ में कमरछठ का महत्व है जो संतान प्राप्ति और संतान की लंबी उम्र के लिए किया जाता है।

बिना हल चली चीजों का महत्व
छत्तीसगढ़ छत्तीस तरह की भाजियों के लिए प्रसिद्ध है। कमरछठ में भी भाजियों का अपना महत्व है। इस व्रत में छह तरह की ऐसी भाजियों का उपयोग किया जाता है। जिसमें हल का उपयोग ना किया हो। बाजार में भी लोग अलग-अलग तरह की छह भाजियां लेकर पहुंंचे। जिसमें चरोटा भाजी, खट्टा भाजी, चेंच भाजी, मुनगा भाजी, कुम्हड़ा भाजी, लाल भाजी, चौलाई भाजी शामिल है।
पसहर चांवल का विशेष महत्व
पसहर चावल बिना हल के ही खेतों में पैदा होता है। हलषष्ठी के पर्व पर इस चावल की मांग अधिक होती है। माना जाता है कि इस चावल से ही व्रत तोडऩे की सदियों पुरानी परंपरा है। जानकारी के मुताबिक हलषष्ठी देवी को धरती का स्वरूप माना जाता है। इसलिए इस दिन हल चले जमीन पर माताएं नहीं चलतीं और हल से जोती हुई जमीन से उपार्जित अन्न् का उपयोग नहीं करती हैं। इसलिए ऐसी सामग्री जो स्वमेव ही पैदा हुई होती हैं उनकी मांग इस दिन बढ़ जाती है।