नई दिल्ली (एजेंसी)। कांग्रेस की तरफ से कैबिनेट बैठक के बहिष्कार की धमकी के बाद महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को नए कृषि कानून लागू करने का अगस्त महीने में दिया अपना आदेश वापस ले लिया है।
राज्य सरकार में सहयोगी कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की तरफ से महाराष्ट्र में कृषि कानूनों का विरोध कर इसे ‘किसान विरोधी’ कहने के बाद उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली सरकार कृषि सुधार कानूनों को लागू करने को लेकर असमंजस में है। हाल ही में संसद के दोनों सदनों में इस कानून को भारी विरोध के बीच पास कराया गया।
पिछले हफ्ते, महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री और एनसीपी नेता अजीत पवार ने ऐलान किया था कि राज्य सरकार कृषि सुधार कानूनों को राज्य में लागू नहीं करेगी।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी शासित प्रदेशों की सरकारों से सोमवार को कहा कि वे केंद्र सरकार के ‘कृषि विरोधी कानूनों’ को निष्प्रभावी करने के लिए अपने यहां कानून पारित करने की संभावना पर विचार करें। पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल की ओर से जारी बयान के मुताबिक, सोनिया ने कांग्रेस शासित प्रदेशों को सलाह दी है कि वे संविधान के अनुच्छेद 254 (ए) के तहत कानून पारित करने के संदर्भ में गौर करें।
वेणुगोपाल ने कहा कि यह अनुच्छेद इन ‘कृषि विरोधी एवं राज्यों के अधिकार क्षेत्र में दखल देने वाले केंद्रीय कानूनों’ को निष्प्रभावी करने के लिए राज्य विधानसभाओं को कानून पारित करने का अधिकार देता है। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में पंजाब, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पुडुचेरी में कांग्रेस की सरकारें हैं। महाराष्ट्र और झारखंड में वह गठबंधन सरकार का हिस्सा है।
वेणुगोपाल ने दावा किया, ‘राज्य के इस कदम से कृषि संबंधी तीन कानूनों के अस्वीकार्य एवं किसान विरोधी प्रावधानों को दरकिनार किया जा सकेगा। इन प्रावधानों में न्यूनतम समर्थन मूल्य को खत्म करने और कृषि उपज विपणन समितियों (एपीएमसी) को बाधित करने का प्रावधान शामिल है।
महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष बाला साहेब थोराट ने इससे पहले दावा किया था कि सभी तीनों सत्ताधारी दलों ने बिलों का विरोध किया है। पार्टियों को इस मुद्दे को कैबिनेट बैठक में उठाना था, जो आज आयोजित हो रही है।
हाल में ही कृषि सुधार से जुड़े कानून- कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवद्र्धन और सुविधा) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 को संसद से पास किया गया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को इन विधेयकों को मंजूरी प्रदान कर दी, जिसके बाद ये कानून बन गए हैं। विपक्षी दलों की तरफ से संसद के ऊपरी सदन में इस बिल के खिलाफ भारी हंगामा देखने को मिला। उसके बाद से ही, विपक्षी दलों और कई किसानों संगठनों की तरफ से इन कानूनों के विरोध में देशभर में प्रदर्शन किया जा रहा है।