नयी दिल्ली (एजेंसी)/ सरकार जल्द ही फ्यूल एफिशिएंसी से जुड़े नए नियम CAFE 3 (कॉर्पोरेट एवरेज फ्यूल एफिशिएंसी) लागू करने जा रही है। इन नए नियमों का मकसद सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना नहीं है। बल्कि उन फ्लेक्स फ्यूल कारों को भी प्रोत्साहित करना है जो इथेनॉल मिलाकर चलती हैं। इस पहल का मुख्य उद्देश्य देश की कच्चे तेल पर निर्भरता को कम करना, वाहनों से होने वाले प्रदूषण को घटाना और घरेलू स्तर पर बनने वाले इथेनॉल के इस्तेमाल को बढ़ावा देना है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को एक कार्यक्रम में इसकी जानकारी दी।
क्या हैं CAFE नॉर्म्स?
CAFE यानी कॉर्पोरेट एवरेज फ्यूल एफिशिएंसी नियमों के तहत, कार कंपनियों के पूरे साल में बेचे गए यात्री वाहनों का एवरेज कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन तय सीमा में रहना जरूरी होता है। ये नियम कंपनियों को ज्यादा फ्यूल एफिशिएंट गाड़ियां बनाने के लिए मजबूर करते हैं। फिलहाल CAFE 2 नियम लागू हैं, जो मार्च 2027 तक मान्य रहेंगे। इसके बाद अप्रैल 2027 से नए CAFE 3 नियम लागू होंगे।
इलेक्ट्रिक और फ्लेक्स फ्यूल दोनों को बराबरी मिलेगी
अब तक लागू CAFE नियम इलेक्ट्रिक वाहनों के पक्ष में झुके हुए थे। लेकिन गडकरी ने साफ किया कि नए CAFE 3 नियम इलेक्ट्रिक और फ्लेक्स फ्यूल इंजन दोनों को समान रूप से बढ़ावा देंगे। उन्होंने कहा, “पुराने नियम इलेक्ट्रिक वाहन को केंद्र में रखते थे, लेकिन नए नियम संतुलन बनाएंगे।” बता दें कि फ्लेक्स फ्यूल का मतलब होता है – पेट्रोल और इथेनॉल के मिश्रण से बना ईंधन। भारत में फिलहाल E20 ईंधन (20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण) उपलब्ध है।
जरूरी बैठकों का दौर जारी
CAFE 3 ड्राफ्ट को अंतिम रूप देने के लिए सड़क परिवहन मंत्रालय, बिजली मंत्रालय और प्रधानमंत्री के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के बीच उच्च स्तरीय बैठक बुधवार को हो चुकी है। इसके अलावा, इस महीने की शुरुआत में उद्योग जगत के प्रतिनिधियों से भी चर्चा की गई थी।
एक अहम मुद्दा यह है कि क्या बड़ी और छोटी कारों के लिए अलग-अलग नियम बनाए जाएं या नहीं, इस पर भी विचार चल रहा है। हालांकि, रिपोर्ट के मुताबिक, गडकरी ने यह स्पष्ट कर दिया कि देशहित को किसी लॉबी के दबाव में नहीं आने दिया जाएगा। उन्होंने कहा, “प्रदूषण, लागत, आयात और कृषि के फायदे को ध्यान में रखते हुए हमें देश के हित में ही फैसला लेना है।”

CAFE 2 नियम और इनका महत्व
मौजूदा CAFE 2 नियमों के तहत, 3,500 किलोग्राम से कम वजन वाले सभी यात्री वाहनों, चाहे वो पेट्रोल, डीजल, सीएनजी, हाइब्रिड या इलेक्ट्रिक हों, का एवरेज CO2 उत्सर्जन 113 ग्राम प्रति किलोमीटर से ज्यादा नहीं होना चाहिए। यह औसत किसी एक मॉडल पर नहीं बल्कि कंपनी की पूरी गाड़ियों की बिक्री पर लागू होता है।
इथेनॉल की चुनौती और समाधान
इथेनॉल की कैलोरी वैल्यू पेट्रोल से कम होती है, यानी बराबर दूरी तय करने में ज्यादा ईंधन खर्च होता है, जिससे CO2 उत्सर्जन बढ़ सकता है। हालांकि इससे पेट्रोल पर निर्भरता कम होती है। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार रूस की उस तकनीक का परीक्षण कर रही है जिससे इथेनॉल की ऊर्जा क्षमता बढ़ाई जा सके और वह पेट्रोल जितना असरदार बन सके। सरकार का दीर्घकालिक लक्ष्य है कि 100 प्रतिशत इथेनॉल से चलने वाली कारें हकीकत बनें।
यूरो VII मानक और पुराने वाहनों का सवाल
गडकरी ने बताया कि भारत अब यूरो VII स्तर के उत्सर्जन मानकों की तैयारी कर रहा है। उन्होंने कहा कि 2020 में बीएस-VI मानक लागू करने में भी शुरू में विरोध हुआ था। लेकिन भारत अब विश्व के सबसे कड़े उत्सर्जन मानक वाले देशों में शामिल हो चुका है।
पुराने पेट्रोल-डीजल वाहनों पर प्रतिबंध
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में पुराने पेट्रोल और डीजल वाहनों पर लगे प्रतिबंध को लेकर गडकरी ने कहा कि यह मुद्दा कानूनी रूप से सुलझाया जाना चाहिए। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि पुराने वाहनों को सीएनजी में बदलना आर्थिक रूप से बेहतर विकल्प हो सकता है। गडकरी ने यह भी स्पष्ट किया कि दिल्ली सरकार को कानून के तहत यह अधिकार है कि वह सार्वजनिक स्वास्थ्य को देखते हुए प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर रोक लगाए।
फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट द्वारा बरकरार रखे गए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर में 15 साल से ज्यादा पुराने पेट्रोल वाहन और 10 साल से ज्यादा पुराने डीजल वाहन चलाना प्रतिबंधित है।