भिलाई। लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की नयनाभिराम प्रतिमा का निर्माण सुप्रसिद्ध मूर्तिकार डॉ. अंकुश देवांगन ने किया है। महाराष्ट्र स्नेह मंडल नेहरू नगर भिलाई द्वारा इस प्रतिमा को स्मृति नगर के बाल गंगाधर तिलक उद्यान में स्थापित किया जा रहा है। सूक्ष्म से सूक्ष्मतम् और विशाल से विशालतम् मूर्तिकलाओं के साथ ही भित्तिचित्रण कला, माडर्न आर्ट और एब्सट्रेक्ट आर्ट जैसी विविधताओं के कारण छत्तीसगढ़ी कलाजगत में अंकुश को मूर्तिकला का पर्याय माना जाता है। उन्होंने न सिर्फ छत्तीसगढ़ वरन पूरे भारतवर्ष में अपनी कला का परचम लहराया है।
मूर्तिकार डॉ. अंकुश देवांगन समकालीन भारतीय कलाजगत के एक सशक्त स्तम्भ हैं जिन्हें दुनिया की सबसे बड़ी लौहरथ प्रतिमा (दल्ली राजहरा), दुनिया का सबसे लंबा भित्तिचित्र (पुरखौती मुक्तागन, रायपुर) तथा दुनिया की सबसे छोटी मूर्तियां बनाने के लिए लिम्का तथा गोल्डन बुक ऑफ द वर्ल्ड रिकॉर्ड का एवार्ड प्राप्त है। सबसे छोटी मूर्तियों की देशभर में सैकड़ो सफल प्रदर्शनी के अलावा वे सात समंदर पार इंग्लैंड में भी अपनी सूक्ष्मकला की प्रदर्शनी लगा चुके हैं। उनके द्वारा बनाई गई दुनिया की सबसे छोटी गणेश प्रतिमा सरसो के दाने से भी बीस गुनी छोटी है जिसे लंदन के गिनीज बुक कार्यालय में संग्रहित किया गया है। सूक्ष्म कृतियां तो आगाज है वरन् उनकी बनाई मूर्तियां चार-चार और छह-छह मंजिल इमारत जितने अंजाम को प्रदर्शित करती है।

भिलाई में सिविक सेंटर का कृष्ण अर्जुन रथ, छोटा परिवार चौक, रूआबांधा का पंथी चौक, भिलाई निवास का नटराज, बोरिया गेट का प्रधानमंत्री ट्राफी चौक, सेक्टर 1 का श्रमवीर चौक के अलावा उन्होंने सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय क्राफ्ट मेला हरियाणा, राजभवन भोपाल, मदकूद्वीप में मांडूक्य ऋषि की प्रतिमा एवं दुर्गापुर स्टील प्लांट में सैकड़ो मूर्तियां बनाई है। उन्होंने जहां जहां भी कलाकृतियां बनाई है कालान्तर में वे सभी स्थान पर्यटन स्थल के रूप मे प्रसिद्ध हो चुके हैं। जिससे उनकी कला की उत्कृष्टता का अंदाजा लगाया जा सकता है। उनकी कला को अनेक राष्ट्रपति, मुख्यमंत्रियों, राज्यपाल और केंद्रीय मंत्रियों ने देखा तथा सराहा है। वे अपनी कला के माध्यम से सामाजिक सरोकार के लिए भी जाने जाते हैं।

छत्तीसगढ़ के धुर नक्सल प्रभावित इलाकों में लगभग 37 वर्षों से वे कलाप्रदर्शनी तथा प्रशिक्षण देते आ रहे हैं ताकि यहां के बच्चे हिंसा के क्षेत्र में न जाएं। उनकी कलासाधना को देखते हुए भारत सरकार, केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने उन्हें ललित कला अकादमी की मानद सदस्यता प्रदान की है। जहां वे छत्तीसगढ़ से प्रथम एक्जीक्यूटिव बोर्ड मेम्बर बने हैं। बहरहाल उनके द्वारा बनाए गए इस लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की प्रतिमा से उद्यान की सुंदरता में चार चांद लग आएंगे यह सुनिश्चित है।