-दीपक रंजन दास
जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के नेता अमित जोगी ने पाटन से नामांकन भर कर एक बड़ा दांव खेल दिया है. उनके लिए फिलहाल चुनाव जीतने से ज्यादा जरूरी है, छत्तीसगढ़ में अपनी बड़ी पहचान स्थापित करना. इसके लिए पाटन से अच्छी कोई सीट हो ही नहीं सकती थी. यहां से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और भाजपा के सांसद विजय बघेल, अर्थात चाचा-भतीजा आमने सामने हैं. अर्थात कुर्मी वोटों का बंटवारा होगा. प्रत्यक्षतः समाज चाहेगा कि प्रदेश में उनके बीच का ही मुख्यमंत्री हो. इस लिहाज से भूपेश का पलड़ा भारी हो जाता है. भाजपा ने हालांकि अपना मुख्यमंत्री चेहरा घोषित नहीं किया है पर वह विजय बघेल को लेकर कोई इशारा करने की स्थिति में भी नहीं दिखाई देती. विजय को केवल इस बात का फायदा मिल सकता है कि उन्हें पाटन क्षेत्र में सक्रिय होने का मौका अन्य प्रत्याशियों के मुकाबले काफी पहले मिल गया. हालांकि इससे पहले विजय बघेल एक बार इसी सीट से भूपेश को पराजित कर चुके हैं पर उन दिनों प्रदेश के राजनीतिक हालात अलग थे. पाटन विधानसभा क्षेत्र में साहू समाज के लोग भी बड़ी संख्या में रहते हैं. छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना ने यहां से मधु साहू को प्रत्याशी बनाया है. क्रांति सेना का नारा है – जात पात के करो विदाई, छत्तीसगढ़िया भाई-भाई. आम आदमी पार्टी ने यहां से अमित हिरवानी को अपना प्रत्याशी बनाया है. पाटन विधानसभा में सतनामी समाज के लोग भी बड़ी संख्या में रहते हैं. अमित जोगी के पिता और राज्य के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी की सतनामियों के बीच कभी अच्छी पकड़ हुआ करती थी. 2020 में पिता के निधन के बाद पार्टी की कमान पूरी तरह उनके हाथों में आ गई है. हालांकि, वे काफी समय से राजनीति में सक्रिय हैं और अपनी मां का चुनाव प्रबंधन करते रहे हैं. पाटन से नामांकन भरते ही इसलिए उनका नाम सुर्खियों में आ गया. अमित यही तो चाहते थे. अब देखना यह है कि 17 नवम्बर को मतदान होने तक वे इस स्थिति को कितना बनाए रख पाते हैं. उनकी पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़-जोगी का गठन 2016 में हुआ. 2018 के चुनाव में भारी उलटफेर हुआ और भाजपा की कटी हुई सीटें कांग्रेस और बसपा को मिल गईं. जेसीसी-जे के हाथ खाली रह गए. इसलिए अब जेसीसी-जे बसपा की सीटों में सेंध लगाने की कोशिश करेगी. पर इससे पहले यह जरूरी हो गया था कि पार्टी कुछ ऐसा करे कि वह सुर्खियों में रहे. अमित जोगी ने ऐन यही किया है. पर्चा भरने के साथ ही उन्होंने कह दिया है कि पाटन में चाचा-भतीजे की सेटिंग चलती है. भाजपा और कांग्रेस में कोई भी जीते-कोई भी हारे, सीट कुर्मियों के पास ही रह जानी है. उनकी इस बात का फायदा क्रांति सेना के प्रत्याशी को मिल सकता है. राजनीति में सुर्खियां उन लोगों को भी मिलती है जो स्वयं तो नहीं जीतते पर दूसरों का खेल खराब कर देते हैं.