भिलाई (श्रीकंचनपथ न्यूज़)। सतनाम पंथ के गुरू बालदास को अपने पाले में लाकर भाजपा ने एक बड़ा खेल कर दिया है। गुरू बालदास जब भाजपा में रहे तो कांग्रेस को बड़ी चोंट देते रहे और पिछले चुनाव में जब वे कांग्रेस में चले गए तो भाजपा के दुर्दिन आ गए। अब एक बार फिर गुरू बालदास ने भाजपा का थामन थाम लिया है, ऐसे में पार्टी यह उम्मीद कर रही है कि उसे आगत चुनाव में बड़ा फायदा हो सकता है। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपने पिछले छत्तीसगढ़ दौरे में प्रादेशिक नेताओं को जो टॉस्क दिया था, गुरू बालदास की भाजपा में वापसी को उसी से जोड़कर देखा जा सकता है। छत्तीसगढ़ में कुल 10 सीटें एससी आरक्षित है। जबकि 35 अन्य ऐसी सीटें हैं, जहां पर सतनाम पंथ नतीजों को प्रभावित रखने की क्षमता रखता है।
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे 13 अगस्त को भरोसे का सम्मेलन करने छत्तीसगढ़ आए थे। उनका यह दौरा उस जांजगीर चाम्पा में हुआ, जो एससी बाहुल्य इलाका है। कांग्रेस ने खरगे के दौरे के बहाने एससी प्रभाव वाली सीटों को साधने की योजना बनाई थी। दरअसल छत्तीसगढ़ में एससी वर्ग के लिए भले ही दस सीटें आरक्षित हैं लेकिन प्रदेश की 45 सीटों पर इनका अच्छा खासा प्रभाव है और एससी वोटर्स चाहें तो किसी भी राजनीतिक दल का समीकरण बिगाड़ सकते हैं। पिछले चुनाव के आंकड़े भी यह बताने के लिए काफी हैं कि कुछ स्थानों पर इन्ही एससी वोटर्स के दम पर बसपा के प्रत्याशी दूसरे और तीसरे नंबर पर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में दस एससी सीटों में से सात पर कांग्रेस, दो पर भाजपा और एक पर बसपा के विधायक हैं। यही वजह कि इन सीटों पर अपना कब्जा बरकरार रखने और एससी वोटरों को साधने के लिए कांग्रेस ने हर ब्लाक में जैतखाम बनाने की घोषणा की है।
मैदानी इलाकों में खासा प्रभाव
एक ओर जहां पहाड़ी इलाकों में जनजातीय लोगों की बहुलता है, वहीं दूसरी ओर मैदानी इलाकों को सतनामी बाहुल्य माना जाता है। छत्तीसगढ़ के 5 संभागों में से 3 संभागों बिलासपुर, रायपुर व दुर्ग में सतनाम पंथ का खासा प्रभाव है। इन संभागों के अलावा कुछ अन्य जिलों में लगभग दस फीसदी आबादी इस वर्ग की है। यही वजह है कि कोई भी राजनीतिक दल इस वर्ग की अनदेखी नहीं कर सकता। इसलिए कांग्रेस सरकार के दो मंत्री इसी समाज को प्रतिनिधित्व करते हैं। दरअसल, कांग्रेस ने खरगे का सम्मेलन जांजगीर चांपा में इसलिए भी करवाया था, क्योंकि यहां की 6 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस का सिर्फ 2 पर ही कब्जा है। बाकी की 2 सीटों पर भाजपा और 2 सीटों पर बसपा के विधायक है। इस बार बसपा को नुकसान होने की अंदेशा है, ऐसे में बसपा के नुकसान से फायदा किसे होगा, इस पर सबकी निगाहें लगी हुई है। इधर, भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा प्रदेश के 6 हजार ग्राम पंचायतों में सम्मेलन करने की तैयारी में है। इसके जरिए एससी वर्ग के लिए आरक्षित 10 सीटों के साथ ही 38 अन्य विधानसभा सीटों को भी कवर करने की योजना है। दरअसल, सामान्य की इन सीटों पर भी एसी आबादी 10 फीसदी से ज्यादा है। पिछले दिनों राजधानी में एससी मोर्चा के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक में ये निर्णय लिए गए।
2013 में निभाई थी अहम् भूमिका
गुरू बालदास ने 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए बड़ी अहम् भूमिका निभाई थी। उन्होंने सतनाम संगठन के बैनर तले कई प्रत्याशी उतार दिए थे। इसका असर यह हुआ कांग्रेस के रविन्द्र चौबे, मोहम्मद अकबर समेत कई दिग्गज नेताओं को उस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। इस चुनाव में भाजपा को एससी आरक्षित 10 सीटों में से 9 पर एकतरफा जीत मिली थी। साल 2013 में जब गुरू बालदास को अपनी राजनीतिक ताकत का अहसास हुआ तो उनकी नजदीकियां भारतीय जनता पार्टी के साथ बढ़ गई, लेकिन बीजेपी में उन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ। नतीजा यह हुआ कि साल 2018 में वे कांग्रेस पार्टी में चले गए। बताया जाता है कि कांग्रेस में आने के बाद वे राज्यसभा का टिकट और अपने बेटे गुरु खुशवंत सिंह के लिए पार्टी के अंदर एक सम्मानजनक पद भी चाह रहे थे लेकिन यह दोनों ही नहीं हुआ। वर्तमान में कांग्रेस से नाराजगी ऐसी हुई कि गुरु बालदास ने एक बार फिर बीजेपी का दामन थाम लिया है। लेकिन इस बार भी उन्होंने अपने बेटे खुशवंत के लिए आरंग सीट से विधानसभा चुनाव का टिकट मांगा है। सतनाम बहुल इलाकों में अच्छी पकड़ रखने वाले गुरू बालदास का भाजपा में जाने का दांव कितना सार्थक होता है, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन भाजपा के भीतर इसे बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है।
गुरू खुशवंत साहेब की टिकट पक्की!
भाजपा उम्मीदवारों की दूसरी सूची सितम्बर के प्रारम्भ में आने की संभावना है। पार्टी ने 21 उम्मीदवारों के नाम पहले ही घोषित कर दिए थे। पार्टी सूत्रों के मुताबिक दूसरी सूची में दो दर्जन से ज्यादा नाम हो सकते हैं। इसमें बस्तर, बिलासपुर संभाग की पांच, सरगुजा की सात, रायपुर संभाग की छह और दुर्ग संभाग की दस सीटें शामिल हैं। पूरी उम्मीद है कि इस सूची में मंत्रियों की विधानसभा सीट पर उम्मीदवार घोषित किए जाएंगे। साथ ही हाल ही में भाजपा प्रवेश करने वालों के नाम भी इस सूची में होंगे। सतनाम पंथ के धर्मगुुरु बाबा बालदास के बेटे गुरु खुशवंत साहेब ने आरंग विधानसभा सीट से भाजपा के टिकट के लिए दावेदारी की है। वहीं, बुधवार को नौकरी से इस्तीफा देकर राजनीति में आए आइएएस नीलकंठ टेकाम की टिकट भी पक्की बताई जा रही है। गौरतलब है कि आइएएस नीलकंठ टेकाम ने वीआरएस के लिए आवेदन दिया था, लेकिन सरकार ने स्वीकार नहीं किया। इसके बाद उन्होंने इस्तीफा देकर राजनीति में आने का निर्णय लिया। टेकाम लोकतंत्र की नर्सरी कहे जाने वाली छात्र संघ चुनाव में हिस्सा लेकर कालेज का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। वह अविभाजित मध्यप्रदेश में खंडवा महिला कॉलेज में प्रोफेसर थे। बाद में डिप्टी कलेक्टर चयनित होकर बस्तर का नाम गौरवान्वित किया। जगदलपुर एसडीएम के पद पर थे। 2008 में आइएएस कैडर आवंटित होने के बाद वह कोंडागांव के कलेक्टर भी रहे।