नई दिल्ली। वेदांता समूह की कंपनी और भारत में जिंक-लीड-सिल्वर के सबसे बड़े एकीकृत उत्पादक हिंदुस्तान जिंक ने खनन में अनुसंधान और विकास में तेजी लाने के लिए सीएसआईआर-सीआईएमएफआर के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए। यह एमओयू खनिज, कोयला और ईंधन क्षेत्रों और संबद्ध उद्योगों के क्षेत्र में तकनीकी सेवाओं का लाभ उठाने के लिए अनुभव रखने वाले जाने माने वैज्ञानिक संस्थानों को सूचीबद्ध कर सहयोग स्थापित करने के संभावित अवसरों को तलाशेगा।
महत्वपूर्ण नवीन प्रौद्योगिकियों पर कार्य करने हेतु संस्थान के वन वीक वन लैब कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए। इस उद्योग अग्रणी एमओयू के माध्यम से, सीआईएसआर-सीआईएमएफआर और हिंदुस्तान अन्वेषण, खनन और अन्य क्षेत्रों के विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास के संभावित क्षेत्रों की पहचान करेंगे।
एमओयू पर हस्ताक्षर करने के अवसर पर हिंदुस्तान जिंक के मुख्यकार्यकारी अधिकारी एवं वेदांता के कार्यकारी निदेशक अरुण मिश्रा ने कहा कि, “यह सहयोग खनन उद्योग की उन्नति के लिए सतत् अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों के विकास और वितरण का मार्ग प्रशस्त करेगा। उन्होंने कहा कि संस्थान द्वारा किए जा रहे उल्लेखनीय कार्य सुरक्षित, स्मार्ट और सस्टेनेबल खनन के हमारे दृष्टिकोण को मजबूत करेंगे और खनन कार्यों के दौरान आने वाले विभिन्न चुनौतीपूर्ण मुद्दों को हल करने के लिए संस्थान की सराहना की।
उद्घाटन सत्र में सीएसआईआर के महानिदेशक और डीएसआईआर सचिव डॉ. एन कलाईसेल्वी, हिंदुस्तान जिंक के सीईओ अरुण मिश्रा, हिंदुस्तान जिंक सीओई माइनिंग प्रमुख प्रवीण शर्मा, सीएसआईआर-सीआईएमएफआर धनबाद के निदेशक प्रो. अरविंद कुमार मिश्रा, प्रो. शालीवाहन, निदेशक आईआईपीई, विशाखापत्तनम और डॉ. एन. वी. रमण राव, निदेशक, एनआईटी रायपुर उपस्थित थे। एमओयू का आदान-प्रदान हिंदुस्तान जिंक, टाटा स्टील, अदानी, एनएमडीसी और एसआरके मिनरल्स रांची जैसे समूहों के साथ किया गया।