रायपुर (पीआईबी)। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान रायपुर में 26 जून से 7 जुलाई 2023 तक आयोजित दो सप्ताह के हैंड्स ऑन ट्रेनिंग प्रोग्राम का आयोजन किया गया। इस ट्रेनिंग प्रोग्राम का आयोजन संस्थान के सिविल इंजीनियरिंग विभाग द्वारा आईजीएस रायपुर चैप्टर के साथ मिलकर गया। दो हफ्ते तक चलने वाले इस हैंड्स ऑन ट्रेनिंग प्रोग्राम का विषय ‘टेस्टिंग ऑफ़ जियो मैटेरियल्स फॉर जियो टेक्निकल एंड ट्रांसपोर्टेशन इंजीनियरिंग एप्लीकेशनÓ रहा। 7 जुलाई 2023 को प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन के लिए एक समापन सत्र का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. ए.पी. सिंह, सचिव, आईजीएस और निदेशक एक्सप्लोर इंजीनियरिंग कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली रहे। प्रोफेसर (डॉ.) अरुण गोयल, विभागाध्यक्ष ,सिविल इंजीनियरिंग विभाग, एनआईटी कुरुक्षेत्र सम्मानिय अतिथि रहे। एनआईटी रायपुर के निदेशक डॉ. एन. वी रमना राव ने इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की 7 इस दौरान डॉ जी. डी. रामटेककर, विभागाध्यक्ष, सिविल इंजीनियरिंग, विभाग ,डॉ. एस. बाजपेयी , अध्यक्ष, आई जी एस, रायपुर चैप्टर, डॉ आर के त्रिपाठी, अध्य्क्ष (चयनित),आई जी एस, रायपुर चैप्टर, संकाय सदस्य व प्रतिभागी मौजूद रहे 7 कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. एस. बाजपेयी , अध्यक्ष, आई जी एस, रायपुर चैप्टर द्वारा सभी गणमान्य व्यक्तियों और प्रतिभागियों के स्वागत के साथ हुई।
इसके बाद डॉ. एल.के. यदु, कार्यक्रम समन्वयक ने दो सप्ताह के प्रशिक्षण कार्यक्रम की रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसमें कार्यक्रम का सारांश दिया गया। उन्होंने उल्लेख किया कि कुल 27 प्रतिभागियों ने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लिया था जिसमें फील्ड इंजीनियर, इंजीनियरिंग और पॉलिटेक्निक कॉलेजों के संकाय सदस्य, इंजीनियरिंग कॉलेजों और फील्ड प्रयोगशालाओं के तकनीकी और प्रयोगशाला कर्मचारी, पीएचडी छात्र, एम.टेक छात्र और बी.टेक छात्र शामिल रहे। डॉ. जी. डी. रामटेक्कर ने सभी प्रतिभागियों को बधाई दी और उनसे प्रशिक्षण कार्यक्रम से प्राप्त ज्ञान को व्यावहारिक रूप से लागू करने का आग्रह किया। समारोह के दौरान भारतीय भू-तकनीकी सोसायटी (आईजीएस) रायपुर चैप्टर का स्थापना दिवस भी मनाया गया और आईजीएस रायपुर चैप्टर के नए पदाधिकारियों ने अगले कार्यकाल 2023-2025 के लिए कार्यभार भी संभाला। डॉ. आर.के.त्रिपाठी को अध्यक्ष, डॉ. आर.एन.खरे को उपाध्यक्ष, डॉ.एल.के.यदु को सचिव, डॉ.तरुण रजक को आयोजक सचिव, संयुक्त सचिव के रूप में इं. अरुण टी. भावे और कोषाध्यक्ष के रूप में डॉ. संदीप चौकसे ने आईजीएस रायपुर चैप्टर का कार्यभार संभाला।
इस शुभ अवसर पर बीआईटी दुर्ग में आईजीएस स्टूडेंट चैप्टर का भी उद्घाटन किया गया। यह IGS रायपुर चैप्टर से जुड़ा 5वां IGS छात्र चैप्टर है। समारोह में उपस्थित सभी गणमान्य व्यक्तियों ने बीआईटी दुर्ग में आईजीएस छात्र चैप्टर के उद्घाटन के लिए प्रिंसिपल डॉ. अरुण अरोड़ा, सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख डॉ. एस.के. जायसवाल और फैकल्टी सलाहकार सुश्री दीप्ति हजारे और सभी पदाधिकारियों को बधाई दी। मुख्य अतिथि डॉ. ए.पी. सिंह ने बीआईटी दुर्ग में आईजीएस स्टूडेंट चैप्टर ओपन की घोषणा की। डॉ. आर.के. त्रिपाठी ने उल्लेख किया कि कैसे आईजीएस रायपुर चैप्टर समाज में भू-तकनीकी जांच के महत्व को फैलाने के लिए अच्छा काम कर रहा है और इसे भविष्य में भी जारी रखा जाना चाहिए।
मुख्य अतिथि डॉ. ए.पी. सिंह, डॉ. एन.वी. रमना राव और प्रोफेसर अरुण गोयल द्वारा प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र भी वितरित किए गए। अतुल और अनिल ने प्रशिक्षण कार्यक्रम के बारे में अपनी प्रतिक्रिया दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत की। उन्होंने इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम के आयोजन के लिए आयोजकों के प्रति आभार व्यक्त किया जहां उन्होंने मिट्टी के बुनियादी और उन्नत परीक्षणों और क्षेत्र में उनके महत्व को सीखा है। प्रोफेसर अरुण गोयल ने कहा कि इस प्रकार का प्रशिक्षण कार्यक्रम बार-बार आयोजित किया जाना चाहिए ताकि प्रयोगशाला कर्मचारियों को समय-समय पर अकादमिक रूप से प्रशिक्षित किया जा सके क्योंकि वे बी.टेक और एम.टेक पाठ्यक्रमों में प्रयोगशाला कक्षाओं के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
डॉ. एन.वी. रमना राव ने सिद्धांत और व्यवहार के बीच अंतर को पाटने की आवश्यकता पर जोर दिया और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने और न केवल शिक्षाविदों, बल्कि फील्ड इंजीनियरों और प्रयोगशाला कर्मचारियों की भागीदारी को महत्व देने के लिए आयोजकों को बधाई दी। डॉ. एस. वी. देव, एसोसिएट प्रोफेसर, सिविल इंजीनियरिंग ने मुख्य अतिथि डॉ. ए. पी. सिंह का दर्शकों से परिचय कराया और उन्हें अपने भाषण के लिए आमंत्रित किया। डॉ. ए.पी. सिंह, सचिव आईजीएस, नई दिल्ली ने सोसायटी के कामकाज और प्रशासन के बारे में बात की। उन्होंने सभी प्रतिभागियों से आईजीएस का सदस्य बनने का अनुरोध किया ताकि वे आईजीएस निकाय की विभिन्न गतिविधियों में सीधे शामिल हो सकें। कार्यक्रम के सह-समन्वयक डॉ. संदीप चौकसे के धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।