अतुल मलिकराम
सुना है आजकल टमाटर भी बड़ा हो गया है, सेब के साथ उठना-बैठना जो है उसका। समय का भरोसा थोड़ी न है.. ऐसा लोग कह रहे हैं। लेकिन सच मानो, तो ऐसा कुछ नहीं है। सब आपके ही हाथों में है। जरुरत है, तो बस खुद पर विश्वास करने की, फिर देखो दुनिया कैसे आपकी मु_ी में आती है। इस पर बात करने से पहले टमाटर के जो इन दिनों आलम हैं, उस पर बात करते हैं।
आजकल टमाटर अपनी पुरानी बेइज्जती का खूब बदला ले रहा है सबसे। ‘खूब फेंके हैं न! अब फेंक कर दिखाओ नेताओं और दूसरे लोगों पर.. मैं बोलता नहीं, इसका यह मतलब तो नहीं है कि मेरी कोई इज्जत नहीं है।Ó यह दास्ताँ है उस टमाटर की, जिसे लोग भरी सभा में भर-भरकर ले जाते थे और कुछ भी गड़बड़ होने पर दे मारते थे सामने वाले पर।
सोशल मीडिया पर बहुत ही चहलकदमी है आजकल टमाटर की, या यूँ कह लें कि टमाटर के भाव ही नहीं मिल रहे हैं। भाई.. टमाटर भी ट्रेंड में है। लोग इस पर मीम बनाने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। लोगों में जैसे होड़ लग गई है कि उनका मीम दूसरों से बेहतर होना चाहिए। इन सबके बाद टमाटर भी अब तो सेलिब्रिटी की तरह बन-ठन कर रहता दिखाई देने लगा है।
एक वीडियो मैंने देखा, जिसके बाद मैं हँसते-हँसते लोटपोट हो गया। आपसे उसकी कहानी शेयर करता हूँ। एक लड़का फोन पर बात करते हुए कहता है, ‘हाँ मम्मी, मैंने खरीद लिए हैं, मैं कहीं नहीं जाऊँगा, सीधे घर ही आ रहा हूँ।Ó इतने में कुछ गुंडे उसे दबोच लेते हैं। वह अपनी घड़ी, बटुआ और मोबाइल अपनी इच्छा से उन गुंडों को दे देता है। लेकिन गुंडे सभी कीमती वस्तुओं को छोड़कर उसकी जेब की तलाशी लेने लगते हैं, और जेब में इधर-उधर छिपे हुए टमाटर निकालकर भाग जाते हैं और वह रोता रह जाता है कि सब ले जाओ, लेकिन मेरे टमाटरों को छोड़ दो।
इन दिनों टमाटर के भाव सातवें आसमान पर हैं, उसने भी कभी नहीं सोचा होगा कि जमीन से उगकर सीधे आसमान में उडऩे को उसे पंख मिल जाएँगे।
एक और मीम को देखकर हँसी ही छूट गई.. लौकी, भिंडी और आलू को देखकर जब टमाटर कहता है, हटो! मैं बच्चों से बात नहीं करता। जब और खँगाला, तो देखा कि सोशल मीडिया टमाटर की तरह ही लाल रंग में रंगा हुआ है। ‘टमाटर को राष्ट्रीय सब्जी घोषित कर देना चाहिए’, “गरीबी का पाठ किसी और को ही पढ़ाना, मैंने कल ही तुम्हें सलाद में टमाटर खाते देखा है”, “महँगे इतने हो जाओ कि लोग कहें भाईसाहब ये किस लाइन में आ गए आप?”, “चाँद पर है अपुन” “अब प्याज नहीं, टमाटर रुला रहे हैं..”, “पेट्रोल-डीजल भी पीछे छूट गए रे बाबा”, “कुछ दिनों में सुनार की दुकान पर बिकेगा टमाटर”, “अभी भी नहीं आ रही है न! कुछ दिनों में 20 रुपए का एक मिलेगा, तब समझ आएगी टमाटर की कीमत..”, “टमाटर में पैसे लगा दो! क्रिप्टो करंसी का भविष्य क्या है, यह तो नहीं पता। लेकिन टमाटर खूब आगे जाएगा!” और भी बहुत से चटखारे सोशल मीडिया पर भरे पड़े हैं।
हालाँकि, टमाटर और इसके बढ़ते भाव तो उहादरण मात्र हैं, जो आज नहीं तो कल फिर पुरानी पटरी पर आ जाएँगे। लेकिन असल जिंदगी मैं हम इससे बहुत बड़ी सीख ले सकते हैं। जमीन पर पड़ा रहने वाला टमाटर आज देखने को नहीं मिल रहा है। और मिल भी रहा है, तो गूगल पर महँगी ज्वेलरी के बॉक्स में या फिर दीपिका पादुकोण के हाथ में, जो कह रही है कि एक टमाटर की कीमत तुम क्या जानों रमेश बाबू!
ये टमाटर हमें सिखाते हैं आत्मविश्वास रखना और अपना मान बढ़ाकर एक नया स्थान पाना। अक्सर देखने में आता है कि किसी स्थान विशेष या परिवार आदि में तवज्जो न मिलने पर लोग हताश हो जाते हैं, और खुद को दूसरों से कम आँकने लगते हैं। लेकिन सही मायने में इससे आपको पतन के सिवाए कुछ भी हासिल नहीं होगा। यह समय हताश होकर बैठ जाने का नहीं होता है, यह समय होता है खुद को साबित करने का। यह समय है बताने का कि आप भी श्रेष्ठ हैं और किसी भी परेशानी में इतनी ताकत नहीं है कि आपको पीछे की तरफ धकेल दे। इसलिए, अपने ऊपर काम करते रहें, खुद को सतत रूप से तराशते रहें, हर दिन कुछ न कुछ सीखने की शपथ लें, और हर दिन अपनी योग्यता को एक स्तर ऊपर उठाने की कोशिश करते रहें। यह बात हमेशा ध्यान रखें कि श्रद्धा से ज्ञान, विनम्रता से मान और योग्यता से स्थान मिलता है।