कोरबा. छत्तीसगढ़ के कोरबा के कुसमुंडा खदान में ड्यूटी के दौरान एक ठेका मजदूर की तबीयत बिगड़ गई। लापरवाह ठेकेदार ने उसे अस्पताल पहुंचाने की बजाय घर भेज दिया। तबीयत ज्यादा बिगडऩे पर ठेका श्रमिक की मौत हो गई। जिसके बाद गुस्साए परिजनों और ग्रामीणों ने सड़क पर रविवार को शव रखकर जमकर नारेबाजी की। नाराज ग्रामीणों ने मजदूर के शव को कुसमुंडा के सतर्कता चौक पर रखकर कोयला परिवहन ठप कर दिया। एसईसीएल और ठेका कंपनी के प्रति आक्रोश दिखाते हुए नौकरी और मुआवजे की मांग की।
हुआ जमकर हंगामा, की नौकरी देने की मांग
मृतक के परिजनों ने ठेका कंपनी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और मृतक के परिवार को नौकरी व मुआवजा देने की मांग को लेकर रविवार को प्रदर्शन किया। इससे कोयला परिवहन पूरे दिन ठप रहा। उरगा के पास भिलाई खुर्द में रहने वाले लल्लूराम पटेल उम्र 42 वर्ष कुसमुंडा खदान में ठेका कंपनी नारायणी में काम करते थे। शनिवार सुबह पांच बजे घर से ड्यूटी गए थे। इसके थोड़ी देर बाद लल्लूराम की तबीयत बिगड़ गई। कंपनी ने लल्लूराम को अस्पताल पहुंचाने के बजाए अपने तीन कर्मचारियों की मदद से घर पहुंचा दिया। तब तक लल्लूराम की स्थिति नाजुक हो गई थी। आनन फानन में परिवार के सदस्य लल्लूराम को लेकर कोरबा के निजी अस्पताल पहुंचे। परीक्षण कर डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया।

थाने पहुंचे परिजन
मृतक मजदूर ठेका कंपनी नारायणी के टायर सेक्शन में सुपरवाइजर था। रविवार को पोस्टमार्टम के बाद परिजनों और ग्रामीण शव को लेकर कुसमुंडा थाना पहुंच गए। परिवार के सदस्यों ने ठेका कंपनी नारायणी पर लापरवाही का आरोप लगाया। कंपनी के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग कुसमुंडा पुलिस से की। पुलिस ने कार्रवाई से इनकार कर दिया। नाराज ग्रामीण शव को लेकर कुसमुंडा के सतर्कता चौक पर पहुंचे। शव को सड़क पर रख धरना पर बैठ गए। इससे खदान से होने वाला कोयला परिवहन बंद हो गया।

अधिकारी ने लताड़ा
प्रदर्शन की जानकारी मिलते ही एसईसीएल के अधिकारी मौके पर पहुंचे। ठेका कंपनी नारायणी के अधिकारी नहीं पहुंचे। नाराज लोगों ने ठेका कंपनी और एसईसीएल के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। मृतक के परिवार को नौकरी और मुआवजा को लेकर हंगामा किया। काफी इंतजार के बाद भी नारायणी कंपनी के अधिकारी मौके पर नहीं तो कुसमुंडा के महाप्रबंधक संजय मिश्रा नाराज हो गए। उन्होंने फोन पर ठेका कंपनी के अधिकारियों को लताड़ा। सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी। तब ठेका कंपनी के अधिकारी मौके पर पहुंचे। प्रदर्शनकारियों से प्रबंधन और ठेका कंपनी के अधिकारियों की बातचीत हुई। करीब तीन घंटे की कोशिश के बाद प्रबंधन की ओर से मृतक के परिजन को तीन लाख 50 हजार रुपए मुआवजा देने का वादा किया गया।