कोरबा. कोरबा जिले के रजगामार चौकी इलाके में अपने 65 साल के बुजुर्ग पिता की हत्या करने वाले आरोपी बेटे को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। संपत्ति विवाद में बड़े बेटे संजय राठिया ने बेरहमी से अपने पिता बहादुर सिंह राठिया को मौत के घाट उतार दिया था। बुजुर्ग की हत्या 28 नवंबर को हुई थी। फिलहाल पुलिस ने आरोपी बेटे को गिरफ्तार कर लिया है और उससे पूछताछ की जा रही है।
आपराधिक प्रवृत्ति का है बड़ा बेटा
मिली जानकारी के अनुसार कोई गांव में किसान बहादुर सिंह राठिया अपने 3 बेटों संजय राठिया (40 वर्ष), श्रवण राठिया (38 वर्ष) और सिकंदर राठिया (36 वर्ष) के साथ रहता था। तीनों बेटों की शादी करने के बाद बहादुर राठिया अपनी पत्नी के साथ सबसे छोटे बेटे सिकंदर के परिवार के साथ रहता था। बड़ा बेटा संजय राठिया आपराधिक प्रवृत्ति का था। जेल से छूटने के बाद से ही आरोपी संजय राठिया अपनी पत्नी-बच्चों के साथ ग्राम घिनारा में रहने लगा था। इसके बाद से वो लगातार अपने पिता से संपत्ति की मांग को लेकर लड़ाई कर रहा था।
ऐसे उतारा मौत के घाट
आरोपी बेटा बाड़ी और एक एकड़ जमीन अपने नाम कराने का दबाव पिता बहादुर सिंह राठिया पर डाल रहा था, लेकिन पिता उसके नाम संपत्ति नहीं करना चाह रहे थे। इसे लेकर दोनों के बीच अक्सर लड़ाई होती रहती थी। भाईयों के समझाने-बुझाने का उस पर कोई असर नहीं हो रहा था। आरोपी कभी-कभी भाई के यहां आया करता था। रविवार को भी वो गांव आया हुआ था। सोमवार 28 नवंबर की दोपहर जब छोटे भाई के परिवार के सभी सदस्य धान की कटाई करने चले गए और घर पर पिता के अलावा कोई भी नहीं था, तब बड़े बेटे ने उससे झगड़ा करना शुरू किया। आरोपी ने अपने पिता से एक एकड़ खेत और बाड़ी उसके नाम कराने के लिए दबाव बनाने लगा और पिता के मना करने पर लाठी से जानलेवा हमला कर उसे मौत के घाट उतार दिया।

मौके से फरार हो गया आरोपी
इसके बाद आरोपी बेटे संजय ने लाश को बाड़ी में ही बने सूखे कुएं में फेंक दिया और साक्ष्य छिपाने के लिए उसके ऊपर बाड़ी में रखा कचरा और झाडिय़ों को काटकर डाल दिया। बाद में आरोपी मौके से फरार हो गया। जब छोटा बेटा सिकंदर खेत से वापस लौटा, तो उसने देखा कि घर के दरवाजे के पास खून के छींटे हैं। उसने अपने पिता को घर में तलाश किया, तो वो कहीं नहीं दिखे। इसके बाद उसने कुएं के अंदर देखा, तो उसे झाड़ी और कचरा देख संदेह हुआ। उसने तुरंत पुलिस को सूचना दी। खून के छींटे से ही उसे शक हुआ था।




