-दीपक रंजन दास
आगामी विधानसभा चुनाव से ठीक एक साल पहले प्रदेश का सियासी पारा चढऩे लगा है. फिलहाल यह संग्राम बातों-बतौलेबाजियों तक सीमित है पर टीका टिप्पणियां सीमा को लांघ रही हैं. गुजरात में पटेल की विशाल प्रतिमा खड़ी कर वाहवाही लूटने वाली पार्टी के नेता छत्तीसगढ़ महतारी की मूर्तियों पर कटाक्ष कर रहे हैं. देश और भारत माता की कसमें खाने वाली पार्टी को यह पता होना चाहिए कि भारत माता का स्वरूप विभिन्न राज्यों के संस्कार और संस्कृति के मेल से बना है. जिस तरह विविधताओं से भरे इस उपमहाद्वीप को भारत के रूप में पहचान देने के लिए भारत माता की कल्पना की गई, ठीक उसी तरह विविधताओं से परिपूर्ण छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ महतारी की कल्पना की गई. छत्तीसगढ़ महतारी का अपमान, स्वयं भारत माता का अपमान है. भाजपा के सह प्रभारी ने छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा और छत्तीसगढिय़ावाद पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि भाजपा भारतीयतावाद की बात करती है. उन्हें पता होना चाहिए कि जिस भारत की बातें उनकी पार्टी करती है, वह राज्यों से मिलकर बना है. राज्य जिलों से और जिले परिवारों से मिलकर बनते हैं. व्यक्तिगत स्वाभिमान के बिना कोई भी राष्ट्रवाद सफल नहीं हो सकता. वैसे उन्हें यह भी पता होना चाहिए कि केन्द्र सरकार को अपनी नीतियों से कम और संकीर्ण सोच वाली सम्प्रदायवाद का ज्यादा समर्थन है. जिस भारतीयता और सनातन की बातें उनकी पार्टी करती है अगर वह सफल हो गई तो देश के नक्शे से कई राज्यों को हटाना पड़ सकता है. यह वह भारत है जो पीढिय़ों पहले भारत छोड़कर विदेशी नागरिक बन चुके सुनक पर झूठ-मूठ का गर्व करता है और खुद सोनिया गांधी को स्वीकार नहीं कर पाता. सोच की इस कसौटी पर अमेरिका और ब्रिटेन आज भी भारत से आगे ही दिखाई देते हैं. अमेरिका और ब्रिटेन ही क्यों, दुनिया के पंद्रह अलग-अलग देशों में भारतीय मूल के दो सौ से ज्यादा लोग राजनीति में अपना मुकाम बनाने में सफल रहे हैं. इनमें से साठ लोगों ने वहां के मंत्रिमण्डल में भी अपनी जगह बनाई है और कुछ तो प्रमुख पदों पर भी हैं. ये सभी अपने-अपने राष्ट्र के हित में काम कर रहे हैं. उन राष्ट्रों की सहृदयता के कारण ही यह संभव हो पाया है. वहां किसी ने इंडियन को ‘डॉगÓ नहीं कहा. वह इतिहास की बातें हैं और कटु इतिहास यदि दफ्न ही रहे तो अच्छा होता है. भारतीय मूल के इन लोगों ने अपनी काबीलियत के बलबूते पर यह मुकाम बनाया है. उनके देश उनसे उम्मीद करते हैं कि वे उनकी अर्थव्यवस्था को पटरी पर ले आएंगे, उनके अंतरराष्ट्रीय संबंधों को सुधारेंगे. भारत की बात करें तो हाहाकारी महंगाई पर चुप बैठी मीडिया और केन्द्र सरकार बतौलेबाजियों में लगी हुई है. जिनके पेट भरे हुए हैं, सिर्फ उन्हीं को ये बातें अच्छी लग सकती हैं. छत्तीसगढ़ का दिल उसके गांवों में धड़कता है, इससे छेडख़ानी न ही करें तो अच्छा रहेगा.