जूस क्लींज एक तरह की फैड डाइट है जो फिटनेस फ्रीक लोगों के बीच काफी लोकप्रिय है। इस डाइट में कम फैट होता है और शरीर के अंगों को डिटॉक्सीफाई करने में मदद कर सकती है। इसके लिए पूरे दिन ताजे फल और सब्जियों के जूस का सेवन करना होगा। आइए आज हम आपको बताते हैं कि जूस क्लींज क्या है और इसे अपनाने से कौन-से फायदे और नुकसान हो सकते हैं।
एक से तीन दिनों तक अपनानी होती है यह डाइट
जूस क्लींज एक डिटॉक्स डाइट है जिसे जूस फास्ट के नाम से भी जाना जाता है। इसके दौरान व्यक्ति थोड़े समय के लिए सिर्फ ताजी सब्जियों या फलों के जूस का सेवन करता है। यह आमतौर पर एक से तीन दिनों तक चलता है। जूस पीने से शरीर को भरपूर पोषण मिलता है और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में भी काफी मदद मिलती है।
इस तरह से करें जूस का सेवन
कई विशेषज्ञों का मानना है कि मानव शरीर तरल अवस्था में होने पर पोषक तत्वों को आसानी से अवशोषित कर लेता है। लेकिन आप भले ही कोई भी जूस पीएं, उसे हमेशा एकदम पीने की बजाय उसकी धीरे-धीरे घूंट लें। यह पोषक तत्वों के सेवन का अनुकूलन करता है। आमतौर पर आप कुछ घंटों के अंतराल के बाद जूस का सेवन कर सकते हैं। इस तरह से आपको कई तरह के स्वास्थ्य संबंधी लाभ मिलेंगे।
इस डाइट को फॉलो करते समय जरूर बरतें ये सावधानियां
जब एक जूस वाली डाइट को फॉलो करें तो रोजाना कुछ हल्के शारीरिक व्यायामों का अभ्यास जरूर करें क्योंकि इससे शरीर के ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर करने में मदद मिल सकती है। इसके अतिरिक्त, आप इसके दौरान अपने दिमाग को आराम देने के लिए मेडिटेशन, प्राणायाम या डायाफ्रामिक एक्सरसाइज आदि का भी अभ्यास कर सकते हैं। दिन में छोटी-छोटी झपकी लेते हैं और रात को अपने समय से थोड़ा पहले सो जाएं।
इस डाइट के फायदे
फल और सब्जियां कई तरह के पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं, इसलिए इनसे बने जूस को पीने से आपको कई फायदे मिल सकते हैं। जूस डाइट को फॉलो करने से शरीर को खोए हुए पोषक तत्व मिलते हैं और यह पूरे दिन आपको हाइड्रेट रखने में मदद कर सकती है। यह आपके सिस्टम को साफ करने में भी सहायक है क्योंकि अधिकांश फल और सब्जियां प्राकृतिक डिटॉक्सिफायर के रूप में कार्य करती हैं।
जूस क्लींज को फॉलो करने के नुकसान
जूस के अलावा कुछ नहीं खाने से स्वास्थ्य संबंधी कुछ समस्याएं हो सकती हैं। अगर आप जूस में पत्तेदार पालक मिलते हैं तो इससे किडनी की पथरी का विकास हो सकता है क्योंकि इसमें ऑक्सालेट की उच्च मात्रा मौजूद होती है। जूस में कैलोरी की मात्रा कम होती है, इसलिए गर्भवती महिलाओं और मधुमेह से पीडि़त लोगों को इस डाइट को फॉलो नहीं करना चाहिए क्योंकि यह उनके रक्त शर्करा के स्तर को प्रभावित कर सकता है।