बिलासपुर। अरपा भैसाझार बैराज राज्य सरकार के महत्वाकांक्षी योजना है इस योजना को प्रारंभ में जबरदस्ती बड़ा करके दिखाया जा रहा था और इसी आधार पर ग्राम लमेरए गौबंध, खरगहना की जमीनों का अधिग्रहण हो गया किंतु बाद में यह पता चला कि इस गांव की सिंचाई लक्ष्मणपुर व्यापवर्तन योजना के राइट के नाम से हो रही है। तब एक योजना को निरस्त कर दिया गया किसानों ने अधिग्रहण वाली भूमि का मुआवजा नहीं लिया है किंतु जमीन अधिगृहित हो गई है अब ऐसे किसान अधर पर फंस गए हैं ना उन्हें मुआवजा मिला उल्टी उनकी जमीन चली गई। नये नियम 9 ं भूमि अधिग्रहण कानून 2013 की धारा 24 (2) स्पष्ट कहता है कि अवार्ड पारित होने के दिनांक से 5 वर्ष की अवधि में यदि क्षतिपूर्ति या मुआवजा नहीं दिया गया अथवा अवार्ड तिथि से 5 वर्ष की अवधि में भूमिका कब्जा नहीं लिया गया तो भूमि अधिग्रहण कार्यवाही समाप्त मानी जाएगी। लमेर, गौबंध, खरगहना के किसान इसी आधार पर अपनी जमीन वापस चाहते हैं अगर नए कानून को छोड़ भी दिया जाए तब भी नियम यह स्पष्ट कहता है कि अधिग्रहण जिस उद्देश्य से किया जा रहा है उससे हटकर यदि जमीन का उपयोग होता है तब भी भूमि स्वामी अपनी भूमि वापस मांग सकता है भूमि अधिग्रहण का वर्तमान कानून तो ऐसी स्थिति में यह भी कहता है कि ना केवल भूमि वापस की जाएगी बल्कि भूमि स्वामी से दी गई मुआवजा राशि भी वापिस नहीं मांगी जा सकती है। लमेरए गौबंध एवं खरगहना के किसान यह कहते हैं कि नहर निर्माण का काम शासन स्तर से ही निरस्त कर दिया।ऐसे में शासन को अधिग्रहित जमीन वापस कर देना चाहिए यह न्याय हित में होगा।
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