पंजाबी फिल्मों के सुपरस्टार गिप्पी ग्रेवाल की अगली फिल्म ‘यार मेरा तितलियां वरगा बॉक्स ऑफिस पर जल्दी ही धमाका करने वाली है। गिप्पी ग्रेवाल पंजाबी सिनेमा के सुपरस्टार बड़ी मेहनत से बने हैं। उनकी गायकी के देश दुनिया में करोड़ों दीवाने हैं। लेकिन, उनके प्रशंसकों में से भी कम लोगों को ही पता होगा कि संघर्ष के दिनों में उन्होंने लोगों की गाडिय़ां धोई हैं। सेक्योरिटी गार्ड का काम किया है और कनाडा जाकर रेस्तरां में बैरे (वेटर) का काम भी कर चुके हैं। वतन से मोहब्बत उनको वापस घर खींच लाई और वतन की मिट्टी से मोहब्बत करके उन्होंने पाया है वह मुकाम, जिसके सफर के बारे में उन्होंने बताया।
पढ़ाई में नहीं लगता था मन
पंजाब में लुधियाना के पास कूम कलां गांव में 2 जनवरी 1983 को जन्मे गिप्पी ग्रेवाल का पूरा नाम रूपिंदर सिंह ग्रेवाल है। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा ननकाना साहिब पब्लिक स्कूल से की और पंचकूला के नॉर्थ इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट से होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई की। बचपन में ही संगीत और नाटकों में रुझान के वजह से गिप्पी का पढ़ाई में मन नहीं लगता था। वह सिर्फ इतनी ही पढ़ाई कर पाते थे, जिससे वह पास हो सके। गिप्पी ग्रेवाल बताते हैं, ‘मैं जिस गांव में रहता था वहां कुछ ऐसा नहीं था कि कुछ सीख सकूं। 12वीं के बाद म्यूजिक सीखना शुरू किया। जब मैं अपने म्यूजिक टीचर के पास गया तो टीचर ने बोला कि आवाज बहुत रफ है, थोड़ी पॉलिश करनी पड़ेगी। मैंने कोशिश की अपनी आवाज को और बेहतर बना सकूं लेकिन मेरी रफ आवाज ने ही मुझे एक अलग पहचान दी।
पिता जी समझते थे नालायक
गिप्पी ग्रेवाल के पिता संतोख सिंह ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। अपने गांव में सिर्फ वही एक मात्र ऐसे इंसान थे जो इतने पढ़े लिखे थे। गिप्पी ग्रेवाल बताते हैं, ‘मेरे पिता इंजीनियर की नौकरी छोड़कर गांव में ही खेती बाड़ी करने लगे । मेरे गांव के आसपास सिर्फ मेरे पिता ही पढ़े लिखे थे। मेरे घर पर 200 स्टूडेंट पढऩे आते थे जिन्हें पिता जी फ्री में पढ़ाते थे। पिता जी कहते, कितने बच्चे पढऩे आते हैं मुझसे, एक तू ही नालायक है जो नहीं पढ़ता है। लेकिन मेरा फोकस किसी और चीज पर था, मैं उतनी ही पढ़ाई करता था, जिससे पास हो जाऊं।

किसी भी काम में शर्म महसूस नहीं की
गिप्पी ग्रेवाल पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री में अभिनेता, गायक, निर्माता, निर्देशक और लेखक रूप में काफी समय से सक्रिय हैं। वह ग्रेवाल कहते है, ‘मैं जो भी काम को करता हूं बहुत ही मन से करता हूं। फिल्मों में आने से पहले मैं कनाडा में वेटर का काम कर चुका हूं, काफी समय तक दिल्ली में सिक्योरिटी गार्ड की भी नौकरी की। मैंने गाडिय़ां भी धोई है। मुझे किसी भी काम में शर्म नहीं लगती। हर काम मैं पूरी शिद्दत और ईमानदारी के साथ करता था। ईमानदारी से कमाए हुए पैसे से सुकून मिलता है। मेरा लक्ष्य गायकी था और मैं सोचता था कि जितने पैसे मुझे दूसरे काम से मिलते है, उतने पैसे अगर मुझे गायकी से मिले तो मेरी मेहनत सफल हो जाएगी।