कोरोना महामारी के जोखिम से बचाव के लिए कोविड 19 वैक्सीन की अतिरिक्त बूस्टर डोज को कारगर माना जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पहले ही अधिक जोखिम वाले समूहों जैसे स्वास्थ्य कर्मियों, 60 साल से अधिक आयु के लोगों या इम्युनो कॉम्प्रोमाइजिंग स्थितियों के लोगों के लिए द्वक्रहृ्र कोविड 19 वैक्सीन की अतिरिक्त बूस्टर डोज के फायदेमंद होने का दावा किया था। जिसके बाद अब दिल्ली में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को लेकर जो रिपोर्ट सामने आई है, वह इन दावों को सच साबित करती है। दिल्ली में तेजी से कोरोना फैल रहा है। इस बीच अस्पताल में भर्ती कोरोना मरीजों को लेकर एक नया खुलासा हुआ है। जितने भी कोविड मरीज अस्पताल में भर्ती हैं, उनमें से 90 फीसदी लोगों ने कोरोना वैक्सीन की सिर्फ दो ही डोज ली हैं, यानी इन मरीजों को बूस्टर डोज नहीं लगी है। वहीं 10 फीसदी कोरोना मरीज बूस्टर डोज के बाद संक्रमित हुए हैं। इस आंकड़े से पता चलता है कि कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज लगवाने वाले लोग अन्य की अपेक्षा महामारी से ज्यादा सुरक्षित हैं। चलिए जानते हैं कि कोविड की बूस्टर डोज कब और किसको लगाई जा सकती है, साथ ही कोरोना वायरस पर कितनी असरदार है कोविड वैक्सीन की तीसरी खुराक।
बूस्टर डोज क्या है?
कोरोना महामारी से बचाव के लिए लोगों को कोविड 19 वैक्सीन की दो खुराक लगाई जाती हैं। इन दो खुराक के बाद अब जो तीसरी खुराक दी जा रही है, उसे ही बूस्टर डोज कहते हैं। बूस्टर डोज रोग निरोधक क्षमता को बढ़ाने का काम करती है। इसे प्रिकॉशन डोज या एहतियातन डोज भी कह सकते हैं।
कब लगवाएं बूस्टर डोज?
एक सामान्य सिद्धांत के मुताबिक, वैक्सीन की प्राइमरी सीरीज पूरी होने के 4-6 महीने बाद बूस्टर दी जा सकती है। यह खास तौर पर ओमिक्रॉन के संदर्भ में है। भारत सरकार ने हाल ही बूस्टर डोज लगवाने का अंतराल कम कर दिया है। पहले दूसरी डोज दिए जाने के 9 महीने बाद बूस्टर डोज लगवा सकते थे। लेकिन अब इसे कम करके 6 महीने कर दिया गया है। जिन लोगों को दूसरी डोज लगवाए 6 महीने हो गए हैं, वह बूस्टर डोज ले सकता है।

कौन लगवा सकता है बूस्टर डोज?
पहले केवल बुजुर्गों के लिए बूस्टर डोज जरूरी बताई गई थी, लेकिन अप्रैल से भारत सरकार ने बूस्टर डोज का दायरा बढ़ाने का फैसला लिया। अब 18 साल से अधिक आयु का हर शख्स बूस्टर डोज लगवा सकता है। अगर आप कोरोना से संक्रमित हुए हैं तो ठीक होने के तुरंत बाद वैक्सीन या बूस्टर डोज नहीं लगवा सकते हैं। कोरोना से रिकवरी के तीन महीने बाद ही आप बूस्टर डोज ले सकते हैं।
कितनी असरदार है बूस्टर डोज?
एक अध्ययन के मुताबिक, समय के साथ कोरोना वायरस के खिलाफ व्यक्ति की इम्युनिटी कम होने लगती है। ऐसे में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए बूस्टर डोज जरूरी है। बीते मार्च में राज्यसभा में स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉ. भारती पवार ने बूस्टर डोज के असर को लेकर कहा कि एस्ट्राजेनेका या कोविशील्ड की तीसरी डोज को लेकर जो अंतरराष्ट्रीय डेटा सामने आया है, उसके मुताबिक वैक्सीन की तीसरी डोज लेने वालों की एंटीबॉडी में 3 से 4 गुना की बढ़ोतरी हुई है।
बिना बूस्टर डोज लेने वाले 90 फीसदी लोगों के संक्रमित होने पर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का कहना है कि कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज लगवाने लोग अन्य की अपेक्षा महामारी से ज्यादा सुरक्षित हैं। इसलिए दिल्लीवासियों को कोरोना से सुरक्षित रखने के लिए एहतियाती खुराक के टीकाकरण की गति बढ़ा दी गई है।