भिलाई। दुर्ग जिले के प्रख्यात कवि व पद्मश्री डॉ सुरेन्द्र दुबे का गुरुवार को निधन हो गया है। उन्होंने रायपुर के एसीआई में गुरुवार शाम 4:20 बजे अंतिम सांस ली है। वे कुछ दिनों से स्वास्थ्य की समस्या से जूझ रहे थे और उन्हें इलाज के लिए भर्ती कराया गया था। एसीआई में लंबे समय से उनका इलाज चल रहा था।
पद्मश्री सुरेन्द्र दुबे हास्य रस के कवि होने के साथ ही पेशे से वे आयुर्वेदिक चिकित्सक थे। श्री दुबे का जन्म 8 अगस्त 1953 को बेमेतरा तात्कालीन दुर्ग जिला में हुआ था। उनकी हास्य कविताएं देश विदेश में प्रख्यात हैं। उन्होंने न सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि देश के अलग अलग राज्यों व विदेशों में भी कार्यक्रम किए। भारत सरकार ने उन्हें साल 2010 में भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया था। वे 2008 में काका हाथरसी से हास्य रत्न पुरस्कार के प्राप्तकर्ता भी रहे है। उन्होंने अपने जीवनकाल में पांच पुस्तकों की भी रचना की है।

सीएम साय ने कहा- अपूरणीय क्षति
छत्तीसगढ़ी साहित्य व हास्य काव्य के शिखर पुरुष, पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे जी का निधन साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। अचानक मिली उनके निधन की सूचना से स्तब्ध हूँ। अपने विलक्षण हास्य, तीक्ष्ण व्यंग्य और अनूठी रचनात्मकता से उन्होंने न केवल देश-विदेश के मंचों को गौरवान्वित किया, बल्कि छत्तीसगढ़ी भाषा को वैश्विक पहचान दिलाने में भी अहम भूमिका निभाई। जीवनपर्यंत उन्होंने समाज को हँसी का उजास दिया, लेकिन आज उनका जाना हम सभी को गहरे शोक में डुबो गया है। उनकी जीवंतता, ऊर्जा और साहित्य के प्रति समर्पण सदैव प्रेरणा का स्रोत रहेगा। ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें एवं शोकाकुल परिजनों और असंख्य प्रशंसकों को इस दुःख की घड़ी में संबल प्रदान करें।
