नई दिल्ली (एजेंसी)। किसान आंदोलन को देखते हुए टिकरी बॉर्डर पर बंद किए गए रास्तों के कारण हजारों फैक्ट्रियों पर ताला लग गया है। इससे लाखों कामगार परेशान हैं। सभी को चिंता सताने लगी है कि यदि पिछली बार की तरह एक साल तक रास्ता बंद रहा तो काम छूट जाएगा। वहीं, फैक्ट्री मालिकों का कहना है कि बंद के कारण दिल्ली व दूसरी जगहों पर जाने का रास्ता ठप हो गया है। रास्ता न होने से बने हुए सामान की डिलीवरी नहीं हो पा रही है। गोदाम में लंबे समय तक सामान को स्टॉक करके भी नहीं रखा जा सकता। इस कारण काम बंद करना पड़ा है।
फैक्ट्री मालिक सुभाष जग्गा का कहना है कि टिकरी बॉर्डर क्षेत्र में छोटे-बड़े पांच हजार से अधिक फैक्ट्रियां हैं। इनमें से एक हजार से अधिक में केवल फुटवियर का काम होता है। इन सभी फैक्ट्रियों में आठ लाख से अधिक लोगों को काम मिलता है। रास्ता बंद होने से फैक्ट्रियों में काम बंद हो गया है। इससे न केवल व्यापारियों को नुकसान हो रहा है, बल्कि हरियाणा सरकार को भी रोजाना 15 से 20 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। टिकरी बॉर्डर पर मौजूद फैक्ट्रियों से हर साल 50 हजार करोड़ रुपये से अधिक का व्यापार होता है।
कहां जाएं, कुछ काम नहीं
फैक्ट्रियों में काम करने वाले मजदूर व अन्य सड़कों पर बैठकर समय गुजार रहे हैं। बिहार से आए जगमोहन ने कहा कि काम बंद होने से दिक्कत हो गई है। सभी बोल रहे हैं कि एक साल तक कोई काम नहीं होगा। घर में मां बीमार है। इलाज करवाना है, लेकिन अब कैसे होगा कुछ समझ में नहीं आ रहा है।
नहीं मिल रहा काम
सामान उठाने वाले महेश्वर ने बताया कि फैक्ट्री चलने पर दूसरे लोगों को भी काम मिलता है, लेकिन रास्ता बंद होने से सब ठप हो गया है। न तो फैक्ट्री चल रही है और न काम करने वाले यहां दिख रहे हैं। ऐसे में उनका काम भी बंद हो गया। कोई सामान ढोने के लिए भी नहीं बुला रहा है।
दुकान भी हो जाएगी बंद
बॉर्डर पर चाय समोसे की दुकान चलाने वाले विक्रम ने बताया कि रास्ता बंद होने के बाद से काम खत्म हो गया है। यहां रोज शाम को सैकड़ों लोग आते थे, लेकिन अब कोई नहीं है। दुकान चलाना भी मुश्किल हो गया है। किसान और सरकार की लड़ाई में गरीबों को पिसना नहीं चाहिए।
विकल्प के तौर पर खोले रास्ता
व्यापारियों ने कहा कि किसान अभी तक यहां नहीं आए हैं, लेकिन पुलिस ने पहले ही रास्ते बंद कर दिए। यह गलत है। जब तक किसान आसपास या हरियाणा में नहीं आ जाते पुलिस को आने-जाने के लिए विकल्प का रास्ता रखना चाहिए। इससे फैक्ट्रियों में बनने वाला सामान बाजार में जा सकेगा। ऐसा होने पर लाखों लोगों की रोजी-रोटी चल पाएगी।