भिलाई (श्रीकंचनपथ न्यूज़ )। छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में बीजेपी का लक्ष्य एक ही हैं। दोनों ही जगह पर सत्ता हासिल करना है। छत्तीसगढ़ में जहां फिर से सत्ता हासिल करने की चाह है तो मध्यप्रदेश में सत्ता विरोधी लहर है। वहीं, बीजेपी एमपी और छत्तीसगढ़ में एक ही रणनीति के साथ चल रही है। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करने की जगह बीजेपी अपने सांसदों सहित कई दिग्गजों को मैदान में उतार रही है। बड़े चेहरों की चर्चा सीएम पद के दावेदार के रूप में हो रही है। दूसरी ओर, कांग्रेस में यह साफ है कि सत्ता में आने के बाद भूपेश बघेल ही सीएम होंगे।
चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद छत्तीसगढ़ में बीजेपी उम्मीदवारों की दूसरी सूची आ गई है। इसमें कई वरिष्ठ नेताओं को रखा गया है, जिसमें पूर्व सीएम रमन सिंह का भी नाम शामिल है। साथ ही एक केंद्रीय मंत्री सहित तीन सांसदों के नाम हैं, यह पूरा पैटर्न एमपी की तरह है। बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और तीन बार सीएम रहे रमन सिंह को उनके गृह क्षेत्र राजनंदगांव से चुनाव लडऩे को कहा गया है। उन्हें बड़े स्तर पर सीएम के संभावित चेहरे के रूप में देखा जाता है लेकिन बीजेपी ने उनके नाम की घोषणा नहीं की है। साथ ही उस तरह से उन्हें पेश भी नहीं कर रही है। संदेश साफ है। बहुमत के हालात में पार्टी की नजरें नए नेतृत्व पर होगी।
जिन सीनियर नेताओं को इस बार पार्टी ने चुनाव मैदान में उतारा है, उनमें बिलासपुर सांसद अरुण साव, आदिवासी मामलों की केंद्रीय राज्यमंत्री रेणुका सिंह और पूर्व केंद्रीय मंत्री विष्णु देव साय शामिल हैं। साव को लोरमी, रेणुका सिंह को भरतपुर-सोनहत और पूर्व बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष साय को कुनकरी से टिकट मिला है। वहीं, पहली सूची में दुर्ग सांसद विजय बघेल को उनके चाचा भूपेश बघेल के खिलाफ पाटन से टिकट दिया गया है। भूपेश बघेल पाटन से पांच बार विधायक रहे हैं, विजय बघेल ने उन्हें 2008 में केवल एक बार हराया था। इसके साथ ही पहली सूची में एक अन्य दिग्गज और संभावित सीएम चेहरा रामविचार नेताम हैं, जो राज्य के पूर्व गृह मंत्री और पूर्व राज्यसभा एमपी हैं। उन्हें सरगुजा के रामानुजगंज सीट से उतारा गया है।

वहीं, चुनाव से तीन महीने पहले विजय बघेल को उम्मीदवार बनाना बीजेपी की रणनीति का हिस्सा था। सीएम पद के चेहरे की घोषणा नहीं कर कांग्रेस को लक्ष्य से वंचित करने की कोशिश है। जबकि कांग्रेस ने अभी तक उम्मीदवारों की सूची जारी नहीं की है। हालांकि यह स्पष्ट कर दिया है कि पार्टी की जीत के बाद नेता भूपेश बघेल ही होंगे और मुख्यमंत्री भी बनेंगे। कांग्रेस 2018 में विधानसभा चुनाव भूपेश बघेल के नेतृत्व में लड़ी थी, जिन्होंने बीजेपी के तिलिस्म को तोड़ दिया था। 90 में से 68 सीटों पर जीत हासिल की थी। शायद यही वजह है कि कांग्रेस ने बघेल के पक्ष में एकजुट होने के लिए डेप्युटी सीएम टीएस सिंहदेव के साथ भी समझौता किया, जो कभी मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे। सिंहदेव के क्षेत्र अंबिकापुर से बीजेपी ने अभी तक उम्मीदवार घोषित नहीं किए हैं। वहीं, सीएम बघेल के दुर्ग जिले के पाटन विधानसभा सीट से चुनाव लडऩे की उम्मीद है।

भीमा मंडावी की बेटी का दर्द,- पिता की शहादत भूली भाजपा
भाजपा में टिकट के ऐलान के साथ ही कई जगहों पर असंतोष व बगावत उभरकर आई है। धरसींवा में जहां अनुज शर्मा का विरोध हो रहा है तो वहीं बिंद्रानवागढ़ से डमरूधर पुजारी का टिकट कटने पर भी नाराजगी उभर रही है। इधर, दंतेवाड़ा से भी विरोध के स्वर उठे हैं। दिवंगत विधायक भीमा मंडावी की बेटी दीपा मंडावी ने पार्टी की निष्ठा पर सवाल खड़े किए हैं। स्वर्गीय भीमा मंडावी की बेटी ने वीडियो जारी कर बीजेपी के बड़े नेताओं से जवाब मांगा है। उसने पूछा है कि क्या मेरे पिता की शहादत को पार्टी भूल गई? जिस पार्टी के लिए उनके पिता ने जान दे दी, उनकी शहादत के बाद राजनीति में कदम रखने वाली उनकी पत्नी को टिकट क्यों नहीं दिया गया? उनके पिता की निष्ठा में कहां कमी रह गयी थी, जो पार्टी ने उन्हें टिकट के लायक नहीं समझा? भीमा मंडावी की बेटी ने पूछा है कि आखिर क्यों नहीं मेरी मां ओजस्वी मंडावी का दंतेवाड़ा से टिकट दिया गया? मेरी मां को टिकट न देकर मेरे पिता के बलिदान की बेइज्जती की गई है। आपको बता दें कि 9 अप्रैल 2019 को दंतेवाड़ा में हुए नक्सली हमले में दंतेवाड़ा से बीजेपी विधायक भीमा मंडावी और चार सुरक्षा कर्मी मारे गए थे। बाद में भाकपा (माओवादी) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी। नक्सली उनके चार हथियार भी उठा ले गए थे।




