भिलाई। तारीख थी 5 सितम्बर। दिन मंगलवार। सुबह के करीब 6 बजे होंगे, जब टाउनशिप के सेक्टर-4 स्थित पानी की एक जर्जर टंकी लडख़ड़ाती हुई दूसरी टंकी पर जा गिरी। क्षणभर बाद दोनों टंकियां जमींदोज होकर बिखर गईं। 36 लाख लीटर पानी और टंकियों का मलबा सड़कों पर बिखरकर सैलाब बन गया। इन टंकियों से बीएसपी, सेक्टर-4 व सेक्टर-3 के 3 हजार घरों में जलापूर्ति करता था। दोनों टंकियां ध्वस्त हुईं तो स्थानीय लोगों के माथे पर चिंता की लकीरें और चेहरे पर सवाल थे कि अब दैनिक जरूरतों के लिए पानी कैसे मयस्सर होगा? क्योंकि टंकियों के नष्ट हो जाने का मतलब था, नई टंकियां बनाने में महीनों का वक्त लगना। इस दौरान पेयजल से लेकर निस्तारी तक के लिए जलापूर्ति कैसे होगी? ऐसे ही समय में चिंताहरण बन पहुंचे क्षेत्र के युवा विधायक देवेन्द्र यादव। साथ में थे महापौर नीरज पाल। उन्होंने नागरिकों के माथे पर उभर आई चिंता की लकीरों को एकबारगी पढ़ा और तत्काल प्रभावित इलाकों की जलापूर्ति के लिए डेरा डाल दिया। मौके पर ही झटपट फैसले लिए गए और अमल शुरू हो गया। संकट की इस भयावह घड़ी में लोगों को पता चला कि नेता और बेटा में क्या फर्क होता है।
यदि कोई नेता होता तो यह कतई संभव नहीं था, लेकिन यहां एक बेटा है। वह बेटा, जिसे भिलाइयंस ने अपने दिलों में बिठा रखा है। यह बेवजह भी नहीं है। भिलाई का महापौर और फिर विधायक निर्वाचित होने के बाद देवेन्द्र यादव ने क्षेत्र का नेता बनने की बजाए यहां के लोगों का बेटा, भाई और परिवार का एक अटूट सदस्य बनने की कोशिश की। इस कोशिश में वे भिलाई के प्रत्येक परिवार के साथ जुड़ते चले गए। विधायक के रूप में उन्होंने क्षेत्र के विकास के लिए जो निर्णय लिए, उन्होंने भी देवेन्द्र को घर-घर का बेटा बनाने में मदद की। आमतौर पर नेता अपने बंगलों में बैठकर समर्थकों की वाहवाही पर खुश होते हैं। इसके विपरीत देवेन्द्र यादव ने स्वयं को सदैव जमीन से जोड़े रखा। जब विधायक देवेन्द्र को यह पता चला कि सेक्टर-4 स्थित पानी की दोनों टंकियां भरभराकर गिर गई हैं तो बिना किसी देरी के उन्होंने मौके पर पहुंचना मुनासिब समझा। महापौर की मौजूदगी में नगर निगम की टीम बुलवाई गई और मलबा हटवाने का काम शुरू हुआ। बिना किसी पर दोषारोपण करते उन्होंने संबंधित अधिकारियों से चर्चा की और वैकल्पिक रास्ते तलाशे।
टंकियां गिरने के चंद घंटों बाद ही सेक्टर-4 में वाटर एटीएम बनाने का काम शुरू हो गया। बड़ी संख्या में वाटर केन लोगों के घर-घर पहुंचाए गए। दर्जनभर से ज्यादा टैंकर मोहल्लों में घूम-घूमकर जलापूर्ति सामान्य करने में जुट गए। तत्काल दो बोर का भी खनन कर दिया गया और एक हैंडपम्प में सबमर्सिबल पम्प डलवाकर वहां भी जलापूर्ति सुचारू की गई। सेक्टर-1 से सेक्टर-4 तक के सभी वाटर एटीएम फ्री कर दिए गए। यह सब कुछ महज चंद घंटों में ही कर लिया गया। विधायक देवेन्द्र यादव की सलाह पर महापौर व उनकी पूरी टीम ने सेक्टर-4 में खुले आसमान के नीचे कैम्प लगा दिया ताकि स्थानीय नागरिकों की समस्याओं को तत्काल मौके पर ही निपटाया जा सके। भला इतनी शिद्दत से कोई नेता काम कर सकता है? ऐसा तो एक बेटा ही कर सकता था। …और भिलाई के बेटे के रूप में देवेन्द्र यादव ने महज चंद घंटों में वह सब कुछ कर दिखाया, जो यदि प्रशासनिक पचड़े में फंसता तो लोगों को महीनों तक पानी मिलना मुश्किल था। दरअसल, इस वक्त भिलाई के बेटे देवेन्द्र की जगह कोई नेता होता तो बड़ी-बड़ी बातें होती, पानी को तरसते लोगों को आश्वासनों की रेवडिय़ां बांटी जाती और जलापूर्ति की एक छोटी सी पहल को टेंडर प्रक्रिया में उलझाकर पूरे मामले को ही ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता। लोग महीनों तक पानी के लिए तरसते रहते और नेता आश्वासनों की नदी से लोगों को निहाल करते रहते।
देवेन्द्र ने की 14 हजार लोगों की चिंता
50 साल से ज्यादा पुरानी पानी की टंकियों के अचानक ढह जाने से 3 हजार परिवारों के करीब 14 हजार लोगों के समक्ष अचानक ही पानी की गम्भीर समस्या उठ खड़ी हुई। ऐसे में भला यह कैसे संभव था कि विधायक देवेन्द्र यादव चुप बैठे रहते। मौके पर पहुंचकर उन्होंने चंद घंटों के भीतर घर-घर पानी पहुंचाने की व्यवस्था कर न केवल बेहतर निर्णय व नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया, अपितु यह भी साबित किया कि यदि ठान लिया जाए तो मुश्किल दिखने वाले काम भी आसान हो जाते हैं। दोनों टंकियां कैसे गिरी, इसकी जांच के लिए संयंत्र प्रबंधन ने कमेटी गठित कर दी है। यहब कमेटी अन्य दूसरी टंकियों की स्थिति की भी जांच करेगी और आवश्यकतानुसार उनका संधारण भी कराया जाएगा। इसके लिए भी विधायक देवेन्द्र यादव ने ही पहल की है। उल्लेखनीय है कि सेक्टर-7 की पुरानी पानी की टंकी को पहले ही ढहा दिया गया था। वहां अब नई टंकी बनाकर जलापूर्ति की जा रही है।
बीएसपी अपनी जिम्मेदारी भुला- देवेन्द्र
विधायक देवेन्द्र यादव ने इतनी बड़ी घटना के लिए संयंत्र प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि संयंत्र के अधिकारी अपनी सोशल रिस्पान्सबिलिटी भूल गए हैं। अब हमारी कोशिश है कि नगर निगम प्रशासन, जिला प्रशासन और संयंत्र प्रबंधन के सहयोग से लोगों को पानी देने की व्यवस्था की जाए। हमने अपने स्तर पर भरपूर प्रयास किए हैं और आगे भी करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि मौके पर पहुंचने के बाद हमें यह तत्काल समझ आ गया था कि बीएसपी प्रबंधन स्थानीय नागरिकों को तत्काल पानी देने में सक्षम नहीं है। महापौर नीरज पाल ने कहा कि निगम ने फौरी व्यवस्था के तहत 20 से ज्यादा टैंकरों को प्रत्येक स्ट्रीट में भेजकर जलापूर्ति सामान्य करने की कोशिश की। सिसे लोगों को काफी राहत मिली है। इसके अलावा 8 बोर भी करवाए जा रहे हैं। इनमें से 5 बोर करा भी लिए गए हैं। इसके अलावा सेक्टर-4 टंकी से भी जलापूर्ति की कोशिश की जा रही है। उन्होंने बताया कि बोरिया गेट व सेक्टर-2 अखाड़ा ग्राउंड स्थित वाटर एटीएम को भी मुफ्त कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश है कि लोगों को दैनिक जरूरतों के साथ ही पर्याप्त मात्रा में पेयजल उपलब्ध हो।