भिलाई। शहर सरकार चुनने के लिए मतदाताओं में उत्साह आज दोपहर बाद देखने को मिला। शीतलहर और ठंड की वजह से लोग सुबह घर से निकलने से कतराते रहे। छुटपुट शिकायतों को छोड़ दें तो मतदान शांतिपूर्ण रहा। प्रत्याशी, खासकर राष्ट्रीय दलों के प्रत्याशी अपनी-अपनी जीत के दावे करते हुए भी नजर आए। कई वार्डों में निर्दलीयों (या बागी) में भी जीत का उत्साह दिखाई दिया। कांग्रेस व भाजपा के लिए जिले के तीन नगर निगमों व एक पालिका का चुनाव नाक की लड़ाई है। मतदान पश्चात अपने-अपने दावों के बीच 23 दिसम्बर को मतगणना होगी।
स्थानीय निकाय चुनाव के लिए जिले के चारों निकायों के लिए सुबह 8 बजे वोटिंग प्रारम्भ हुई। शुरूआती दो घंटों में करीब 10 फीसदी वोटिंग हुई। चढ़ते सूरज के साथ-साथ वोटिंग का प्रतिशत भी धीरे-धीरे बढ़ता रहा। जैसे-जैसे वोटिंग प्रतिशत बढ़ा, प्रत्याशियों का उत्साह भी बढ़ता गया। दोपहर होते-होते कई प्रत्याशियों ने अपनी जीत के दावे करने भी प्रारम्भ कर दिए। लोकतंत्र के इस महापर्व में अपनी सक्रिय भूमिका निभाने के बाद मतदाताओं में भी खासा उत्साह दिखाई दिया। वे जगह जगह अमित स्याही के साथ अपनी फोटो लेते भी दिखे। हर चुनावों की तरह इस बार भी बड़ी संख्या में निर्दलीय मैदान में हैं, किन्तु कई वार्डों में राष्ट्रीय दलों के प्रत्याशियों को अपने ही बागियों से ज्यादा चुनौती मिली है। खासकर भाजपा के बागियों की मौजूदगी से वार्डों में कांग्रेस को फायदा होने की संभावना अधिक है। वहीं कुछेक वार्डों में तो ये बागी राष्ट्रीय दलों को भी पीछे छोड़ते दिख रहे हैं।
सीएम व मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर
कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच आज सुबह मतदान की प्रक्रिया प्रारम्भ हुई तो इस पूरी प्रक्रिया पर कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेन्द्र भूरे व एसएसपी वद्रीनारायण मीणा की पैनी नजर रही। कांग्रेस के लिए नगरीय निकायों के यह चुनाव ज्यादा बड़ी चुनौती इसलिए हैं क्योंकि दुर्ग जिला मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का गृहजिला है। उनके अलावा दो कैबिनेट मंत्रियों गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू व पीएचई मंत्री गुरू रूद्रकुमार की भी प्रतिष्ठा दांव पर है। चुनावी शोर थमने से ऐन पहले मुख्यमंत्री ने भिलाई क्षेत्र में रोड शौ कर माहौल बनाने का प्रयास किया था। इसके अलावा गृहमंत्री ने पूरी तरह से रिसाली नगर निगम की कमान संभाली। वहीं भिलाई-3 चरोदा निगम व जामुल पालिका क्षेत्र के लिए गुरू रूद्रकुमार ने परिश्रम किया। चरोदा नगर निगम में भाजपा ने चुनाव की कमान इस बार भी पूर्वमंत्री बृजमोहन अग्रवाल को सौंपी थी। लेकिन वहां कांग्रेस के प्रत्याशियों में ज्यादा उत्साह दिखाई दिया। रिसाली क्षेत्र में गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू की मेहनत रंग लाती नजर आ रही है।
भिलाई में स्थितियां गड्ड-मड्ड
भिलाई नगर निगम को लेकर स्थितियां इन पंक्तियों के लिखे जाने तक स्पष्ट नहीं हो पाई थी। लेकिन यहां कांग्रेस और भाजपा को बागियों और निर्दलियों की चुनौतियों से रूबरू होना पड़ रहा है। कांग्रेस ने जहां अपने ज्यादातर बागियों को मना लिया था, वहीं भाजपा ने अपने बागियों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या पार्टी के बागियों की जीत पर भाजपा उनका समर्थन लेगी? या अपने कठोर रूख पर कायम रहेगी? कई वार्डों में बागी वोटकटवा की भूमिका भी निभाते नजर आए। इसका नुकसान राष्ट्रीय पार्टी के प्रत्याशियों को हो सकता है। वहीं महापौर बनने की लालसा पाले चुनाव मैदान में कूदे कई नामी-गिरामी नेता परेशानी में फंस सकते हैं।

चक्रव्यूह में कई बड़े नेता
दोपहर बाद तक की स्थितियों का आंकलन करें तो भाजपा व कांग्रेस के कई नामवर नेताओं की दिक्कतें बढऩे की संभावना है। प्रदेश सरकार ने जब महापौर के सीधे निर्वाचन की बजाए अप्रत्यक्ष निर्वाचन का फैसला किया, उसके बाद कई नेताओं को लगा था कि छोटे से वार्ड में चुनाव जीतकर वे महापौर की कुर्सी हासिल कर सकते हैं, किन्तु वार्डों में प्रचार के दौरान उन्हें दाल-आटे का भाव समझ आया। ऐसे लोगों ने अपने स्तर पर खूब खर्च भी किया, बावजूद इसके हालात उनके नियंत्रण में नहीं आ पाए। अब चक्रव्यूह में फंसे इन नेताओं को हार का डर सता रहा है। उनके लिए दिक्कत यह है कि यदि पार्षद चुनाव हार गए तो आगे के बड़े चुनाव में उनकी दावेदारी स्वमेव खत्म हो जाएगी।
प्रदेश सरकार की लोकप्रियता दांव पर
जिले के चारों निकायों में हो रहे चुनाव कांग्रेस और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की प्रतिष्ठा से जुड़े है। भले ही यह स्थानीय सरकार का चुनाव है, लेकिन यह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली प्रदेश सरकार की लोकप्रियता का भी परीक्षा है। चुनाव के दौरान कांग्रेस ने प्रदेश में अपने तीन साल के कार्यकाल की उपलब्धियों और छत्तीसगढिय़ा सरकार के नाम पर ही जनता से वोट मांगा है। चारों निकाय स्वयं मुख्यमंत्री के निवास क्षेत्र से लगे हैं। इसी तरह रिसाली निगम जहां गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू और चरोदा निगम व जामुल नगर पालिका पीएचई मंत्री गुरु रुद्र कुमार का निर्वाचन क्षेत्र है। इसलिए उनकी भी साख दांव पर है। 23 दिसंबर को आने वाला जनमत कांग्रेस कार्यकाल की पसंद और नापंसद का फैसला होगा।




