रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ टीएस सिंहदेव की नाराजगी खुलकर सामने आने के बाद अब हाईकमान भी छत्तीसगढ़ के राजनीतिक हालातों को सुधारने में जुट गया है। हाईकमान नेतृत्व के मसले का स्थाई समाधान निकालने का प्रयास कर रहा है, ताकि आने वाले दो वर्षों में यह समस्या फिर मुंह न उठाए। इसके लिए टीएस बाबा का कद बढ़ाने के कई प्रस्ताव हैं। उन्हें यूपी में प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ अटैच करने, छत्तीसगढ़ का उपमुख्यमंत्री बनाने और उनके कामकाज में किसी तरह की दखलंदाजी नहीं करने जैसे ऑफर दिए जा सकते हैं।
राज्य की कांग्रेसी राजनीति में इस बात को जबरदस्त हवा दी जा रही है कि टीएस बाबा मुख्यमंत्री बनने को लालायित हैं, किन्तु हकीकत सिर्फ इतनी ही नहीं है। दरअसल, बाबा अपने कामकाज में दीगर लोगों के हस्तक्षेप और अपने विभागों के निर्णय में पूछपरख नहीं होने से नारा•ा हैं। दिल्ली से आ रही महत्वपूर्ण सूचनाओं पर यकीन करें तो छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रभारी पन्नालाल पूनिया का उन्हें समर्थन है। मंगलवार को जब राहुल गांधी से मुलाकात का कार्यक्रम था तो, बताते हैं कि राहुल गांधी बीच में ही बैठक छोड़कर चले गए थे। तब मुख्यमंत्री को कतिपय निर्देशों के साथ सीएम बनाए रखने का निर्णय पूनिया ने ही लिया था। हालांकि यह भी सच है कि बाद में पूनिया ने टीएस बाबा को दिल्ली में ही रोक लिया। इसी से अंदाजा लगाया जा रहा था कि अभी विवादों का शमन नहीं हुआ है।
गुरुवार सुबह से पार्टी विधायक और मंत्रियों के दिल्ली पहुंचने का सिलसिला चला जो आज दोपहर तक जारी रहा। कल ही दो मंत्रियों और दर्जनभर विधायकों ने दिल्ली दस्तक दी थी। वहीं कई मंत्री, विधायक व महापौर भी शुक्रवार को दिल्ली पहुंचे। इनमें बस्तर के विधायक भी शामिल थे। सभी सीएम भूपेश बघेल के समर्थक हैं और सोनिया गांधी, राहुल व प्रियंका वाड्रा गांधी से मिलने के प्रयास में लगे रहे। इस बारे में जब सिंहदेव से चर्चा की गई तो उन्होंने विधायकों के दिल्ली पहुंचने की खबरों से अनभिज्ञता जाहिर की। इससे पहले, मंगलवार को दिल्ली में राहुल गांधी ने सीएम बघेल और सिंहदेव से मुलाकात की थी और दोनों को सामंजस्य के साथ काम करने के निर्देश दिए थे।

कांग्रेस के आधे विधायक दिल्ली में
90 सीटों वाले छत्तीसगढ़ राज्य में कांग्रेस के कुल 70 विधायक हैं। इनमें से करीब आधे विधायक दिल्ली पहुंचे हैं। ऐसे में छत्तीसगढ़ की राजनीति के लिए शुक्रवार का दिन काफी अहम माना जा रहा है। सबकी निगाहें इस बात पर लगी है कि पार्टी आलाकमान इस विवाद का समाधान किस तरह करता है। टीएस बाबा को संतुष्ट किया जाता है या फिर सीएम भूपेश बघेल का पक्ष मजबूत रहता है। यह भी हकीकत है कि यदि ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो प्रदेश की राजनीति में उठापटक का दौर जारी रह सकता है। अलबत्ता, विधायकों की दिल्ली परेड ने हाईकमान के माथे पर चिंता की लकीरें जरूर खींचीं हैं।
भूपेश-बाबा दोनों दिखे असंतुष्ट
राहुल गांधी से मुलाकात के बाद भी सीएम भूपेश बघेल और टीएस बाबा दोनों के चेहरों में आत्मविश्वास नहीं दिखा। मतलब स्पष्ट था कि फैसला वैसा नहीं हुआ, जैसा ये दोनों नेता चाहते थे। रायपुर लौटे सीएम भूपेश बघेल के समर्थन में जिस तरह नारेबाजी और बयानबाजी हुई, उसके बाद यह अंदेशा और गहरा गया कि जल्द ही विवादों का रूख फिर मुड़ेगा। गुरूवार को राजधानी रायपुर में जिस तरह विधायकों की भागदौड़ रही, उसने यह तय कर दिया कि हाईकमान को गड़बडिय़ों को दुरूस्त करना ही होगा, अन्यथा नतीजे आने वाले दिनों में पार्टी को भुगतने होंगे। वर्तमान में हालात पूरी तरह वैसे ही हैं, जैसे पंजाब में उपजे थे। कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू अब भी अपनी ढपली पर अपनी राग गा रहे हैं और हाईकमान बेबस है।
सोनिया ही लेंगी अंतिम निर्णय
भले ही राज्य के सियासी हालातों को संभालने की पहल राहुल गांधी ने की है, किन्तु नेतृत्व का अंतिम फैसला सोनिया गांधी ही करेंगी। मंगलवार को दोनों नेताओं से बातचीत के बाद राहुल गांधी ने भी सोनिया से मुलाकात कर वस्तुस्थिति बता दी थी। अब भी पूरी संभावना यही है कि राज्य में नेतृत्व परिवर्तिन नहीं होगा। दिल्ली से आ रही खबरों पर यकीन करें तो बाबा को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष, उपमुख्यमंत्री का पद या उत्तर प्रदेश में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जा सकती है। जानकारों की मानें तो टीएस बाबा ने दूसरे राज्य में काम करने के प्रति दिलचस्पी नहीं दिखाई है। इधर, जिस तरह से राज्य के विधायकों ने दिल्ली में डेरा डाल रखा है, उससे यह भी कयास है कि विरोधी खेमा, सिंहदेव का कद बढ़ाने के पक्ष में नहीं है।
शाम तक स्पष्ट होगी स्थिति
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दोपहर 11 बजे विशेष विमान से दिल्ली रवाना हुए। दोपहर 2 बजे राहुल गांधी से उनकी मुलाकात तय है। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इस मुलाकात के दौरान टीएस बाबा भी मौजूद रहेंगे अथवा नहीं। यह मुलाकात लम्बी चलने की संभावना जताई जा रही है। दूसरी ओर दिल्ली पहुंचे विधायक भी अपने स्तर पर वरिष्ठ नेताओं से मेल-मेलाकात कर रहे हैं। यह देर शाम तक ही स्पष्ट हो पाएगा कि वे पार्टी सुप्रीमो सोनिया गांधी, राहुल गांधी या फिर प्रियंका वाड्रा गांधी से अलग से मिल पाते हैं अथवा नहीं।




