नई दिल्ली (एजेंसी)। वैक्सीन पासपोर्ट को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि अभी तक इस पर डब्ल्यूएचओ के स्तर पर कोई सहमति नहीं बन पाई है। अभी भी कई देश डब्ल्यूएचओ के साथ चर्चा कर रहे हैं कि क्या वैक्सीन लगवाने वालों को अनुमति दी जाएगी। सरकार ने कहा कि वैक्सीन को लेकर जब वैश्विक स्तर पर आम सहमति बन जाएगी, तब हम फैसला लेने में सक्षम होंगे।
क्या है वैक्सीन पासपोर्ट
बीती जनवरी में टूरिज्म क्राइसिस कमेटी ने स्पेन में एक बैठक की थी। इसमें सहमति बनी थी कि यात्रा के लिए जरूरी दस्तावेजों में वैक्सीन पासपोर्ट को सबसे अहम दस्तावेजों में शामिल किया जाए। वैक्सीन लगाने के साथ लोगों को सर्टिफिकेट दिया जाए ताकि लोग यात्रा कर सकें। हालांकि वैक्सीन सर्टिफिकेट देने की शुरुआत तो हो चुकी है, लेकिन दुनिया के सारे देश वैक्सीन पासपोर्ट को कितना और किस तरह अपनाते हैं। यह देखने वाली बात होगी।
बता दें कि इस्राइल में इस समय ‘ग्रीन पास’ व्यवस्था लागू की गई है, जो वैक्सीन ले चुके लोगों को थिएटरों, कंसर्ट हॉल्स, रेस्टोरेंट और बार में प्रवेश की अनुमति देती है। इससे पहले ब्रिटिश सरकार ने भी वैक्सीन पासपोर्ट योजना लागू करने की कोशिश की थी लेकिन कुछ जगहों पर भारी विरोध का सामना करने के बाद सरकार को इसे वापस लेना पड़ा।
अभी तक कोई मानक तय नहीं
दुनिया में यात्राएं शुरू हो सकें, इसके लिए ऐसे मानदंड तय करने की जरूरत पूरी दुनिया में महसूस की जा रही है। अभी तक इस बारे में कोई मानक तय नहीं है। इसीलिए यूरोप में हुई पहल ने दुनिया का ध्यान खींचा है। इससे एक ऐसा सिस्टम सामने आने की उम्मीद बंधी है, जिससे दुनिया के दूसरे देश भी अपने यहां मानक लागू कर सकेंगे। जानकारों के मुताबिक ऐसे सिस्टम की जरूरत है, जिससे टीकाकरण की वास्तविक पुष्टि हो सके और साथ ही जिसमें फर्जीवाड़ा संभव ना हो।