नई दिल्ली (एजेंसी)। भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण में पहले की अपेक्षा काफी कमी आई है और विशेषज्ञ इसकी वजह मास्क पहनने, सामाजिक दूरी का पालन करने और हाथ धोने के साथ-साथ कोरोना की जांच को भी मानते हैं। अब तो एक दिन में लाखों लोगों की जांच की जाती है जबकि पहले यह संख्या हजारों में थी। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के मुताबिक, बीते रविवार को आठ लाख 55 हजार से अधिक नमूनों की जांच की गई और इसी के साथ जांच किए गए नमूनों की संख्या बढ़कर अब 15 करोड़ 45 लाख 66 हजार से अधिक हो गई है। भारत में वैसे तो कोरोना की जांच कई प्रकार से की जाती है, जिसमें आरटी-पीसीआर टेस्ट भी शामिल है। अब स्पाइसहेल्थ ने देश में ड्राई स्वाब आरटी-पीसीआर जांच शुरू करने के लिए अनुसंधान संगठन सीएसआईआर-सीसीएमबी के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है।
सीएसआईआर-सीसीएमबी के निदेशक राकेश मिश्रा के मुताबिक कोरोना महामारी के दौरान ड्राई स्वाब आरटी-पीसीआर परीक्षण की पद्धति बड़ा बदलाव साबित होगी। यह पद्धति वर्तमान की परीक्षण पद्धति की तुलना में सुरक्षित, तेज और सस्ती है और इससे परीक्षण के नतीजे की गुणवत्ता पर भी कोई प्रभाव नहीं पड़ता। कंपनी की मुख्य कार्यकारी अधिकारी अवनी सिंह का कहना है, ‘ड्राई स्वाब आरटी-पीसीआर परीक्षण पद्धति के जरिए जांच में लगने वाले समय में करीब डेढ़ घंटे की कमी आएगी और इससे कीमत भी घटेगी।Ó रिपोट्र्स के मुताबिक, इस टेस्ट के लिए कंपनी की मोबाइल परीक्षण प्रयोगशाला का उपयोग किया जाएगा।
कैसे होता है यह टेस्ट?
इस जांच विधि में नाक से लिए गए स्वाब सैंपल का संचालन शुष्क अवस्था में ही किया जाता है। इससे परीक्षण की पूरी प्रक्रिया में सैंपल के स्राव की संभावना और संक्रमण का खतरा बहुत हद तक कम हो जाता है। इस विधि में आरएनए को अलग करने के चरण की आवश्यकता समाप्त हो जाती है और इसका उपयोग सीधे आरटी-पीसीआर परीक्षण में किया जा सकता है।
अब भारत में होगी ‘ड्राई स्वाब आरटी-पीसीआर जांच’…. समय की होगी बचत और टेस्ट की घटेगी कीमत




