नई दिल्ली (एजेंसी)। पूर्वी लद्दाख की गलवां घाटी में 15-16 की दरमियानी रात को भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद रूल्स ऑफ इंगेजमेंट (आरओई) में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। गलवां घाटी की झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे। इसके बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तैनात कमांडर्स को पूरी छूट दी गई है ताकि वे सामरिक स्तर पर स्थिति को संभाल सकें। इसकी जानकारी नाम न बताने की शर्त पर दो अधिकारियों ने दी।
एक अधिकारी ने कहा, ‘कमांडर अब हथियार के उपयोग को लेकर प्रतिबंध से बाध्य नहीं होंगे और असाधारण स्थितियों से निपटने के लिए सभी संसाधनों का उपयोग करते हुए उनके पास उसका जवाब देने का पूर्ण अधिकार होगा। 45 साल बाद गलवां घाटी में भारत-और चीनी सैनिकों के बीच हुए हिंसक झड़प के बाद आरओई में संशोधन किया गया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने भारत-चीन सीमा विवाद को लेकर शुक्रवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। इसमें उन्होंने कहा था कि सेना को सीमा पर आवश्यक कदम उठाने की स्वतंत्रता दी गई है और भारत ने कूटनीतिक माध्यम से अपनी स्थिति (चीन को) बता दी थी। दूसरे अधिकारी ने कहा, ‘आरओई में बदलाव के बाद कुछ भी ऐसा नहीं है जो भारतीय कमांडरों की क्षमता को सीमित करे। अब वे एलएसी पर आवश्यक कार्रवाई कर सकते हैं। चीनी सैनिकों द्वारा अपनाई जाने वाली क्रूर रणनीति का जवाब देने के लिए आरओई में संशोधन किया गया है।
भारत और चीन के सैनिकों के बीच गलवां घाटी में सात घंटे तक हिंसक झड़प हुई थी। भारतीय सेना ने अपने बयान में कहा था कि दोनों ही पक्षों को नुकसान हुआ है। 1975 के बाद यह पहली बार था जब एलएसी पर कोई जवान शहीद हुआ। दूसरे अधिकारी ने कहा कि आरओई में परिवर्तन सीमा पर हुई हिंसक झड़पों के बाद आवश्यक थे। सेना ने आखिरकार 15 जून की झड़प के बाद अपने सैनिकों की प्रतिक्रिया के दायरे को सीमित न करने का फैसला किया।
उन्होंने कहा, ’15 जून से पहले पांच-छह मई को पेंगोंग त्सो और गलवां घाटी (मई मध्य) में हुई हिंसक झड़प हुई थी। सभी मौकों पर वे भारी संख्या में आए और हमारे सैनिकों पर लोहे की रॉड में कील और बेंत में लगे नुकीले तारों से हमला किया। हमारे सैनिकों ने निडर होकर लड़ाई लड़ी लेकिन आरओई पर गौर करना जरूरी था।
उत्तरी सेना के पूर्व सेनानिवृत्त कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल बीएस जसवाल ने कहा, ‘चूंकि एलएसी पर गश्त के दौरान सैनिकों को हथियार ले जाने की अनुमति है। यह अंतर्निहित है कि वे गलवां घाटी में हुए हमले जैसी अभूतपूर्व स्थिति में हथियारों का उपयोग कर सकते हैं। बता दें कि पेट्रोलिंग के दौरान फॉरवर्ड सैनिक पीठ पर टंगी अपनी बंदूक की नली को जमीन की ओर और गोलियों को जेब में रखते हैं।
एलएसी पर तैनात कमांडरों को अब मिलेगी पूरी छूट, आरओई में हुआ बदलाव
