राजनांदगांव। आजीविका ग्रामीण एक्सप्रेस योजना के तहत मिली ई-रिक्शा एक सामान्य ग्रामीण घरेलू महिलाओं के लिए परिवार की आमदनी बढ़ाने में सहायक हो रही है। राजनांदगांव विकासखंड के ग्राम बरगाही की श्रीमती कुमेश्वरी साहू ऐसी महिलाओं में शामिल है। जिन्होंने जयदेवी स्व सहायता समूह से जुड़कर योजना के तहत ई-रिक्शा चलाकर अपने परिवार को आर्थिक रूप से मदद कर रही है और अपने परिवार का सहारा बन गई है।
ग्रामीण क्षेत्रों में आवागमन की सुविधा उपलब्ध कराने तथा इस कार्य में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाते हुए उनकी आय में वृद्वि करना इस योजना का मुख्य उद्देश्य है। योजना के अंतर्गत ई-रिक्शा, आटो-रिक्शा, बोलेरो इत्यादि वाहन क्रय किए जा सकते है।
श्रीमती कुमेश्वरी साहू सन् 2013 से डे-एनआरएलएम अंतर्गत स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हुई हैं। ग्राम संगठन के गठन के पश्चात् ग्राम संगठन सहायिका के रूप में कार्य करती थी, प्रारंभ में परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। परिवार में आय के साधन अत्यंत सीमित थे। पति की मजदूरी, 02 एकड़ जमीन में छोटे स्तर पर खेती बाड़ी एवं आटा चक्की से प्राप्त आय से ही परिवार का भरण-पोषण होता था। लगभग 02 वर्ष पूर्व ग्राम बरगाही की इस एक सामान्य घरेलू महिला को श्रम विभाग जिला राजनांदगांव के माध्यम से संचालित ई-रिक्शा योजना की जानकारी विकासखण्ड कार्यालय छ.ग. राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन ‘‘बिहान‘‘ द्वारा प्राप्त हुई। ई-रिक्शा का मूल्य एक लाख 60 हजार रूपए था। जिसमें श्रम विभाग द्वारा 50 हजार रूपए की सब्सिडी दी गई। इसके बाद एक लाख रूपए का मुद्रा लोन यूनियन बैंक, सुकुलदैहान शाखा द्वारा स्वीकृत किया गया। दस हजार रूपए स्वयं का अंशदान कर ई-रिक्शा क्रय किया।
जिला पंचायत राजनांदगांव एवं ग्रामीण स्व-रोजगार प्रशिक्षण केन्द्र के अभिसरण से ई-रिक्शा चलाने के लिए12 दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण उपरांत क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय के समन्वय से ड्राइविंग लाइसेंस बनवाया गया। श्रीमती कुमेश्वरी साहू अपने गाँव बरगाही से राजनांदगाँव शहर एवं आसपास के ग्रामों में लगातार ई-रिक्शा चलाने का कार्य कर रही है एवं स्कूली बच्चों को घर से स्कूल एवं स्कूल से घर पहुचाने का काम भी करती है। शासन की विभिन्न महत्वाकांक्षी योजनाओं के प्रचार-प्रसार एवं जागरूकता अभियान का कार्य भी ई-रिक्शा के माध्यम से उनके द्वारा किया जाता है।
ई-रिक्शा चलाने से श्रीमती कुमेश्वरी साहू को बारहों महीना नियमित रूप से आमदानी हो रही है। इसी आमदनी से वह ई-रिक्शा के मुद्रा लोन एवं ब्याज का भुगतान निरंतर कर रही है। उन्होंने ई-रिक्शा की कमाई से अपने पुत्र को स्व-रोजगार से जोडा है। ई-रिक्शा चलाने से जो लाभ प्राप्त हो रहा है, उससे अपने बेरोजगार पुत्र के लिए एक आटो-रिक्शा खरीदा है। जिससे उनके पुत्र को भी रोजगार मिला है। उन्हें प्रतिदिन 300-400 रूपए एवं मासिक लगभग 10 हजार रूपए की आय हो जाती है। ई-रिक्शा चलाने के कारण अब श्रीमती कुमेश्वरी साहू की वार्षिक आय लगभग तीन गुना बढ़ गई है।
श्रीमती कुमेश्वरी साहू ने स्वच्छता पखवाडा 2018 के दौरान ई-रिक्शा के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में 7 दिन तक भ्रमण कर स्वच्छता जागरूकता का कार्य किया। इस कार्य के लिए उन्हें शासन से 500 रूपए प्रति दिन के हिसाब से कुल 3500 रूपए की प्रोत्साहन राशि प्राप्त हुई।
श्रीमती कुमेश्वरी साहू ने ई-रिक्शा के माध्यम से यातायात सड़क सुरक्षा सप्ताह 2018 अंतर्गत ई-रिक्शा के माध्यम से यातायात सुरक्षा के प्रति जागरूकता संबंधी प्रचार का कार्य 8 दिन तक किया। इसके लिए उन्हें यातायात पुलिस विभाग राजनांदगांव द्वारा 500 रूपए प्रति दिन की दर से कुल 4000 रूपए की प्रोत्साहन राशि दी गई।
श्रीमती कुमेश्वरी साहू जब से ई-रिक्शा चलाने का कार्य कर रही है, तब से उनमें आत्मविश्वास बढ़ा है। समाज में उनकी प्रतिष्ठा बढ़ी है। अपने कार्य के प्रति लगन एवं कड़ी मेहनत से वह अन्य महिलााओं के लिए प्रेरणा बन रही है। बढ़ती आय को देखते हुए उनका सपना अपनी छोटी बेटी को उच्च शिक्षा दिलाकर उसे आत्मनिर्भर बनाना है। साथ ही वह अपने बेटे की आय बढ़ाने के लिए आटो रिक्शा के अलावा अन्य मालवाहक गाड़ी खरीदने की इच्छा रखती है।
ग्रामीण घरेलू महिला ई-रिक्शा चलाकर बढ़ा रही अपने परिवार की आमदनी
