ShreeKanchanpathShreeKanchanpath
  • होम
  • छत्तीसगढ़
    • रायपुर
    • दुर्ग-भिलाई
  • देश
  • विदेश
  • राजनीति
  • व्यापार
  • स्पोर्ट्स
  • मनोरंजन
  • हेल्थ
  • E-Paper
Reading: भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में तबाही मचाएगी वायआर-4!, हिरोशिमा पर गिरे परमाणु बम से 500 गुना ज्यादातर ताकतवर है यह उल्कापिंड?
Share
Notification Show More
Latest News
छत्तीसगढ़ कैम्पा की गवर्निंग बॉडी की बैठक, सीएम साय बोले- कैम्पा मद का नियमानुसार हो समुचित उपयोग
June 17, 2025
ऑनलाइन गेमिंग ऐप का सटोरिया 12 ATM कार्ड के साथ गिरफ्तार, पुलिस ने होल्ड कराए 30 बैंक खाते
June 16, 2025
राशन कार्ड में दर्ज सदस्यों की ई-केवायसी जरूरी, सरकार ने बताया क्यों है जरूरी, रद्द हो सकता है कार्ड
June 16, 2025
गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा- छत्तीसगढ़ पुलिस डायरी से उर्दू-फारसी के कठिन शब्दों की जगह होगा सरल हिंदी का उपयोग
June 16, 2025
हेल्थकेयर प्रमोशन कैटेगरी में भिलाई स्टील प्लांट को मिला 11वां ग्रीनटेक सीएसआर इंडिया पुरस्कार
June 16, 2025
Aa
ShreeKanchanpathShreeKanchanpath
Aa
  • होम
  • छत्तीसगढ़
  • देश
  • विदेश
  • राजनीति
  • व्यापार
  • स्पोर्ट्स
  • मनोरंजन
  • हेल्थ
  • E-Paper
Search
  • होम
  • छत्तीसगढ़
    • रायपुर
    • दुर्ग-भिलाई
  • देश
  • विदेश
  • राजनीति
  • व्यापार
  • स्पोर्ट्स
  • मनोरंजन
  • हेल्थ
  • E-Paper
Follow US
© Copyright ShreeKanchanpath 2022 | All Rights Reserved | Made in India by Anurag Tiwari
Breaking NewsFeaturedNationalUncategorizedWorld

भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में तबाही मचाएगी वायआर-4!, हिरोशिमा पर गिरे परमाणु बम से 500 गुना ज्यादातर ताकतवर है यह उल्कापिंड?

By Om Prakash Verma Published February 15, 2025
Share
भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में तबाही मचाएगी वायआर-4!, हिरोशिमा पर गिरे परमाणु बम से 500 गुना ज्यादातर ताकतवर है यह उल्कापिंड?
भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में तबाही मचाएगी वायआर-4!, हिरोशिमा पर गिरे परमाणु बम से 500 गुना ज्यादातर ताकतवर है यह उल्कापिंड?
SHARE

नई दिल्ली (एजेंसी)/आज से करीब 7 साल बाद अंतरिक्ष से पृथ्वी पर एक जबरदस्त खतरे के आने के आसार हैं। दुनियाभर की अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसियां फिलहाल इस खतरे से निपटने के लिए योजना तैयार करने में जुटी हैं। फिर चाहे वह अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी- नासा हो या चीन, जो कि इस खतरे से निपटने के लिए सुरक्षाबल की अलग टुकड़ी तक बनाने की तैयारी कर रहा है। यह खतरा है एक उल्कापिंड का, जो कि 2032 में पृथ्वी से टकरा सकता है। अभी तक इस उल्कापिंड के धरती पर गिरने का खतरा कम है, हालांकि अगर यह सच हुआ तो नुकसान बड़ा हो सकता है।

ऐसे में यह जानना अहम है कि आखिर पृथ्वी पर एक उल्कापिंड के टकराने की जानकारी पहली बार कहां से सामने आई? इसका खतरा कितना गंभीर है? अगर यह उल्कापिंड धरती से टकराता है तो किस-किस क्षेत्र में भारी तबाही मचा सकता है? इसका प्रभाव कितना बड़ा होगा? अलग-अलग देश इस परेशानी से निपटने के लिए क्या तैयारी कर रहे हैं? आइये जानते हैं…

पहले जानें- क्या है YR4 उल्कापिंड?
YR4 उल्कापिंड का पूरा नाम 2024 YR4 रखा गया है। इस उल्कापिंड को अपोलो-टाइप यानी पृथ्वी को पार करने वाली वस्तु के तौर पर चिह्नित किया गया। वाईआर4 की पहली बार खोज चिली के रियो हुर्तादो में स्थित एक उल्कापिंड की निगरानी रखने वाले स्टेशन 27 दिसंबर 2024 को की। बताया जाता है कि जब एस्टरॉयड टेरेस्ट्रियल इंपैक्ट लास्ट अलर्ट सिस्टम (एटलस) ने इस उल्कापिंड के खतरे को लेकर चेतावनी जारी की तब दुनियाभर की अंतरिक्ष एजेंसियों में हड़कंप मच गया। इसके बाद से ही अंतरिक्ष एजेंसियों ने वाईआर4 को अंतरिक्ष से गिरने वाली वस्तुओं के जोखिम की लिस्ट में नंबर-1 पर रख दिया। 

कितना गंभीर है वाईआर4 का खतरा?

  • मौजूदा समय में वाईआर4 उल्कापिंड पृथ्वी से करीब 6.5 करोड़ किलोमीटर की दूरी पर है। हालांकि, यह तेजी से आगे बढ़ रहा है। वाईआर4 के बढ़ते खतरे पर जेम्स वेब टेलीस्कोप की मदद से लगातार नजर रखी जा रही है और इसके बदलती कक्षा को समझने और उसके भविष्य के प्रभावों को भी परखा जा रहा है।
  • चौंकाने वाली बात यह है कि इस उल्कापिंड के कक्षा बदलने की वह से यह मार्च 2025 तक जेम्स वेब टेलीस्कोप पर नजर आएगा, हालांकि इसके बाद अप्रैल के अंत तक कक्षा में दूर जाने की वजह से इसे ट्रैक करना लगभग नामुमकिन हो जाएगा। – अंतरिक्ष एजेंसियों का अनुमान है कि वाईआर4 इसके बाद जून 2028 तक किसी भी टेलीस्कोप की पकड़ में नहीं आएगा। यानी करीब 38 महीनों तक वैज्ञानिक सिर्फ अनुमानों के आधार पर ही उल्कापिंड को ट्रैक करेंगे। इसके असल खतरे के बारे में टेलीस्कोप से जानकारी तीन साल के लंबे अंतराल के बाद मिलेगी। 
  • यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ईएसए) में ‘नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट कॉर्डिनेशन सेंटर’ के प्रबंधक लुका कॉन्वर्सी के मुताबिक, अब तक यह उल्कापिंड चट्टानी पदार्थों से बना नजर आता है। इसममें लोहे और अन्य धातुओं की पहचान नहीं की जा पाई है। यानी पृथ्वी के वातावरण में पहुंचने के बाद यह तेज गति की वजह से छोटे-छोटे टुकड़ों में बंट सकता है और धरती से टकराने की स्थिति में इसका प्रभाव भी कम हो सकता है।

पृथ्वी से टकराया तो कितना नुकसान कर सकता है वाईआर4?
वैज्ञानिकों के मुताबिक, अगर वाईआर4 उल्कापिंड धरती से टकराने की तरफ बढ़ता है तो इसकी गति में गुरुत्वाकर्षण बल भी जुड़ जाएगा। यानी धरती से यह करीब 17 किमी प्रति सेकंड की रफ्तार से टकरा सकता है। हालांकि, इसका धरती पर प्रभाव कितना ज्यादा होगा, यह इसके टकराने वाली सतह पर निर्भर करता है। अगर इस उल्कापिंड की 130 फीट चौड़ाई वाली सतह धरती से टकराती है तो यह एक बड़े धमाके की तरह होगा। इससे धरती पर बड़ा ब्लास्ट हो सकता है, हालांकि ज्यादा तबाही की आशंका नहीं है। लेकिन अगर इस उल्कापिंड का 300 फीट लंबाई वाली सतह धरती से इस रफ्तार पर टकराई तो यह एक पूरे शहर को खत्म करने की क्षमता रखता है। यह अपने आप में एक आपदा की तरह होगा और इसलिए इस वाईआर4 पर नजर रखना बेहद जरूरी है। 

चट्टान से बना होने के कारण हवा में ही नष्ट होने की संभावना
वैज्ञानिकों का कहना है कि एक संभावना यह भी है कि धरती से टकराने से पहले यह उल्कापिंड हवा में ही आग से खत्म हो जाए। हालांकि, अगर ऐसा नहीं होता है तो इसके टकराने से होने वाला ब्लास्ट भारी तबाही मचा सकता है। इसकी ताकत 80 लाख टन टीएनटी (विस्फोटक) के बराबर होगी, जो कि हिरोशिमा में गिरे परमाणु बम से 500 गुना ज्यादा ताकतवर होगा। इस तरह का विस्फोट 50 किलोमीटर के दायरे में भारी तबाही मचा सकता है। अगर उल्कापिंड समुद्र या महासागर में गिरता है तो इससे सुनामी का खतरा पैदा हो सकता है।

पृथ्वी पर कहां-कहां नुकसान का अंदेशा?
यूं तो इस उल्कापिंड के पृथ्वी से टकराने की संभावना 2.3 फीसदी ही है। यानी 97 फीसदी से ज्यादा अनुमान यह है कि वाईआर4 पृथ्वी के करीब से गुजर जाएगा। इसके बावजूद नासा ने उल्कापिंड की मौजूदा कक्षाओ की गणना के आधार पर अपने अनुमानों की जानकारी देना जारी रखा है। 

नासा के कैटालिना स्काई सर्वे प्रोजेक्ट के इंजीनियर डेविड रैंकिन के मुताबिक, अगर उल्कापिंड का टकराना सच होता है तो इसके प्रभाव का दायरा भी काफी बड़ा हो सकता है। अभी नासा ने जो अनुान लगाए हैं, उसके मुताबिक, वाईआर4 दक्षिण अमेरिका, प्रशांत महासागर, दक्षिण एशिया, अरब सागर, अटलांटिक महासागर या अफ्रीका के कुछ हिस्सों को प्रभावित कर सकता है। 

जिन देशों में इस उल्कापिंड के सबसे बुरे प्रभाव का अंदेशा लगाया गया है, उनमें दक्षिण एशिया से भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश; अफ्रीका से इथियोपिया, सूडान और नाइजीरिया शामिल हैं। इसके अलावा दक्षिण अमेरिका में वेनेजुएला, कोलंबिया और इक्वाडोर को भी खतरे वाले क्षेत्रों में रखा गया है। हालांकि, यह सिर्फ शुरुआती डाटा के आधार पर लगाए गए अनुमान हैं। अगर वाईआर4 अपनी गति और कक्षा को बदलता है तो प्रभाव से जुड़े अनुमान बदल सकते हैं।

वाईआर4 के खतरे से निपटने के लिए क्या हो सकती है योजना?

  • चूंकि वाईआर4 के पृथ्वी पर खतरे के बारे में सही जानकारी जून 2028 के बाद मिल पाएगी, ऐसे में वैज्ञानिकों के पास तैयारी के लिए सीधे-सीधे चार साल का वक्त होगा। हालांकि, अंतरिक्ष से आने वाले खतरों के मद्देनजर तैयारी के लिए यह समय काफी कम हो सकता है। ऐसे में वैज्ञानिक अप्रैल 2025 तक उल्कापिंड के धरती से टकराने का मोटा-मोटा अंदाजा लगाकर अपनी तैयारियां शुरू कर सकते हैं। 
  • रिपोर्ट्स के मुताबिक, नासा फिलहाल वाईआर4 से निपटने के लिए अपनी 2022 की तकनीक को दोबारा इस्तेमाल करने की योजना पर काम कर रहे हैं। तब नासा ने 160 मीटर चौड़े डिमॉर्फस (Dimorphos) नाम के उल्कापिंड को खत्म करने के लिए इससे एक अंतरिक्षयान को भिड़ा दिया था। इससे उल्कापिंड के मार्ग को बदलकर खतरे का अंत कर दिया गया था।
  • नासा ने तब इसे डबल एस्टरॉयड रिडायरेक्शन टेस्ट (DART) नाम दिया था। इस अभियान के जरिए डिमॉर्फस की कक्षा को 32 मिनट तक बदल दिया गया था। इसे अमेरिकी एजेंसी ने पृथ्वी को आगे आने वाले खतरों से निपटने का ट्रायल करार दिया था। हालांकि, नासा ने अपने मिशन की सफलता को परखने के लिए तब हेरा (HERA) नाम का एक प्रोब लॉन्च किया था, जो कि उल्कापिंड पर पड़े प्रभाव की जानकारी इकट्ठा करने वाला है। 
  • वाईआर4 के खतरे से निपटने के लिए उसने यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के साथ ऐसे ही मिशन पर काम करने की प्रतिबद्धता जताई है। हालांकि, कुछ वैज्ञानिकों ने कहा है कि वाईआर4 के खतरे को देखते हुए अंतरिक्ष एजेंसियों को दूसरी योजनाएं भी तैयार रखनी होंगी। 

वाईआर4 को लेकर चीन क्या कर रहा?
इस उल्कापिंड का खतरा कितना बड़ा है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अमेरिका की नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के अलावा अब चीन भी वाईआर4 के खतरे से निपटने की तैयारियों में जुट गया है। चीन के अखबार साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट और ब्रिटिश अखबार द गार्डियन की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने उल्कापिंड के खतरे को देखते हुए एक प्लैनेटरी डिफेंस फोर्स (ग्रहीय रक्षा बल) का गठन शुरू कर दिया है। 

इसके लिए चीन में भर्तियां शुरू की गई हैं। चीन के स्टेट एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ साइंस, टेक्नोलॉजी एंड इंडस्ट्री (SASTIND) में एक ऑनलाइन नौकरी के पोस्ट में 35 वर्ष से कम उम्र के एयरोस्पेस इंजीनियर्स, अंतरराष्ट्रीय सहयोग (इंटरनेशनल कोऑपरेशन और उल्कापिंड खोज (एस्टरॉयड डिटेक्शन) जैसे विषयों में ग्रैजुएट्स को अप्लाई करने के लिए कहा गया है। 

जॉब पोस्ट के मुताबिक, चीन में ऐसे 16 लोगों की भर्ती की जानी है। इनमें से तीन को ग्रहीय रक्षा बल में शामिल किया जाएगा। इतना ही नहीं इस भर्ती के लिए एक सख्त राजनीतिक रुख रखने वाले कैंडिडेट्स की ही मांग की गई है, जो कि सिर्फ चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और इसके नेता शी जिनपिंग से मेल खाती हो।

कुछ रिपोर्ट्स की मानें तो चीन पहले ही अपने ग्रहीय रक्षा बल को तैयार कर चुका है और ताजा भर्तियां सिर्फ उस रक्षा बल की ताकत को बढ़ाने और अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने के मकसद से की जा रही हैं। इन रिपोर्ट्स में कहा गया है कि चीन 2027 में एक उल्कापिंड- 2015 XF261 को तबाह करने के लिए नासा के 2022 जैसा ही ऑपरेशन भी दोहराने की तैयारी में है।

You Might Also Like

छत्तीसगढ़ कैम्पा की गवर्निंग बॉडी की बैठक, सीएम साय बोले- कैम्पा मद का नियमानुसार हो समुचित उपयोग

ऑनलाइन गेमिंग ऐप का सटोरिया 12 ATM कार्ड के साथ गिरफ्तार, पुलिस ने होल्ड कराए 30 बैंक खाते

राशन कार्ड में दर्ज सदस्यों की ई-केवायसी जरूरी, सरकार ने बताया क्यों है जरूरी, रद्द हो सकता है कार्ड

गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा- छत्तीसगढ़ पुलिस डायरी से उर्दू-फारसी के कठिन शब्दों की जगह होगा सरल हिंदी का उपयोग

हेल्थकेयर प्रमोशन कैटेगरी में भिलाई स्टील प्लांट को मिला 11वां ग्रीनटेक सीएसआर इंडिया पुरस्कार

Om Prakash Verma February 15, 2025
Share this Article
Facebook Twitter Whatsapp Whatsapp Copy Link
Share
Previous Article Breaking News : दुर्ग में अलका वाघमार ने 67 हजार से ज्यादा मतों से दर्ज की जीत, सभी 10 निगमों में अब भाजपा के महापौर
Next Article भाजपा नेतृत्व और सरकार की नीतियों पर जनता ने लगाई है मुहर, बालोद निकाय में 10 वर्ष बाद भाजपा वापसी पर प्रभारी रिकेश सेन ने कहा

Ro.No.-13286/35

#news #bhilainews #kpnewsbhilai #kpnewscg  #kpnews #cgnews #chhattisgarh #chhattisgarhnews #bhilai #bhilaidurg #bhilaidiaries #bhilai_chhattisgarh__ #durgbhilai #bhilaichhattisgarh #bhilaicity #talab #bhilai3 #barishIntroducing Shree KP News Channel - Your Window to Chhattisgarh's Hindi NewsWelcome to Shree KP News, Chhattisgarh's top Hindi news channel. We're here to keep you  updated on everything that matters. Our coverage is broad – from politics to entertainment, Bollywood to business, and sports to local stories. Our dedicated team works non-stop to bring you the latest news, whether it's a big political change, a new movie, market trends, or sports highlights. Trust us for real-time updates and reliable reporting. We speak your language – Hindi – and our goal is to empower you with the news you need. Stay connected, stay informed!follow us onSubscribe To Our Channel:
https://www.youtube.com/@KPNews_
Official website: https://www.shreekanchanpath.com/
Like us on Facebook: https://www.facebook.com/shreekanchanpath.cg
Follow us on Twitter: https://twitter.com/KPNewsCG
Follow us on Instagram: https://www.instagram.com/shreekpnews/?igshid=YmMyMTA2M2Y%3D
97 लाख खर्च तालाब बनाया सुंदर, थोड़ी सी बारिश.. ढह गई दीवार || KP NEWS || Faizan
Subscribe

Advertisement

Advertisement


RSS MP News Feed

You Might Also Like

छत्तीसगढ़ कैम्पा की गवर्निंग बॉडी की बैठक, सीएम साय बोले- कैम्पा मद का नियमानुसार हो समुचित उपयोग

June 17, 2025

ऑनलाइन गेमिंग ऐप का सटोरिया 12 ATM कार्ड के साथ गिरफ्तार, पुलिस ने होल्ड कराए 30 बैंक खाते

June 16, 2025

राशन कार्ड में दर्ज सदस्यों की ई-केवायसी जरूरी, सरकार ने बताया क्यों है जरूरी, रद्द हो सकता है कार्ड

June 16, 2025

गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा- छत्तीसगढ़ पुलिस डायरी से उर्दू-फारसी के कठिन शब्दों की जगह होगा सरल हिंदी का उपयोग

June 16, 2025
Logo

छत्तीसगढ़ प्रदेश का एक विश्वसनीय न्यूज पोर्टल है, जिसकी स्थापना देश एवं प्रदेश के प्रमुख विषयों और खबरों को सही तथ्यों के साथ आमजनों तक पहुंचाने के उद्देश्य से की गई है। इसके साथ ही हम महत्वपूर्ण खबरों को अपने पाठकों तक सबसे पहले पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

क्विक लिंक्स

  • होम
  • E-Paper
  • Crime
  • Durg-Bhilai
  • Education

Follow Us

हमारे बारे में

एडिटर : राजेश अग्रवाल
पता : शॉप नं.-12, आकाशगंगा, सुपेला, भिलाई, दुर्ग, छत्तीसगढ़ – 490023
मोबाइल : 9303289950
ई-मेल : shreekanchanpath2010@gmail.com

© Copyright ShreeKanchanpath 2022 | All Rights Reserved | Made in India by Anurag Tiwari

Removed from reading list

Undo
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?