रायपुर। नक्सल हिंसा का गढ़ बन चुका बस्तर अब नक्सल प्रभावित क्षेत्र नहीं रहा। सुरक्षाबलों की मेहनत के कारण अब केन्द्र सरकार ने । बस्तर जिले को नक्सल प्रभावित क्षेत्रों की सूची (एलडब्ल्यूई) से हटा दिया गया है। केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद बस्तर को अब आधिकारिक रूप से नक्सलमुक्त घोषित कर दिया गया है। यह ऐलान खुद केंद्र सरकार ने किया हैयह छत्तीसगढ़ राज्य और विशेषकर बस्तर के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि मानी जा रही है।
बता दें बस्तर में 1980 के दशक से नक्सलवाद ने अपने पैर जमाने शुरू कर दिए। सरकार के समानांतर अपनी सरकार चलाने के इरादे से नक्सलियों ने बस्तर संभाग में विकास को ही अवरुद्ध कर दिया। नक्सलियों ने स्कूल, कॉलेज, सामाजिक भवन,अस्पताल समेत कई सरकारी इमारतों को नुकसान पहुंचाया और सड़के खोद दी। नक्सलियों ने छोटे-छोटे गांवों में कब्जा जमा लिया। जब हिंसा बढ़ने लगी तो केन्द्र सरकार ने नक्सल विरोधी अभियान शुरू किया। सुरक्षा बलों को उतारा गया और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में कैंप खुले और धीरे धीरे फोर्स नक्सलियों पर हावी हो गई। हाल के दिनों में लगातार एनकाउंटर हुए और नक्सलियों को काफी नुकसान हुआ।

नक्सल आतंक के बड़े लीडर हुए ढेर
नक्सलियों के खिलाफ पिछले डेढ़ साल में कई ऑपरेशन लॉन्च किए गए। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के 31 मार्च 2026 से पहले छत्तीसगढ़ समेत पूरे देश को नक्सलमुक्त करने के संकल्प लिया और उसके बाद सुरक्षा बलों द्वारा लगातार अभियान चलाया गया। प्रदेश में पिछले डेढ़ साल में एक के बाद एक कई नक्सली एनकाउंटर हुए और सैकड़ों की संख्या में नक्सलियों का खात्मा हुआ। सुरक्षाबलों के खौफ से सैकड़ों नक्सलियों ने हथियार छोड़ दिए और सैकड़ों नक्सली गिरफ्तार भी हुए। इसी का परिणाम है कि लगभग 44 साल से नक्सलवाद का शिकार रहा छत्तीसगढ़ का बस्तर जिला ‘नक्सलमुक्त’ घोषित कर दिया गया है।

बस्तर अब एलडब्ल्यूई जिले की सूची से बाहर
केंद्र सरकार ने नक्सल प्रभावित जिले बस्तर को अब (एलडब्ल्यूई) जिले की सूची से बाहर कर दिया है। केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय (एमएचए) ने बस्तर को वामपंथी उग्रवाद (LWE– Left Wing Extremism) से प्रभावित जिलों की सूची से बाहर होने का ऐलान किया। यह ऐलान केवल बस्तर जिले के लिए है। हालांकि बस्तर संभाग के कुछ जिले अभी भी नक्सल प्रभावित हैं। गृह मंत्रालय से मिले आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल 2018 में देशभर में 126 नक्सल प्रभावित जिले थे, जो जुलाई 2021 में घटकर 70 हुए और अप्रैल 2024 तक यह संख्या 38 तक पहुंच गई । सबसे अधिक गंभीर रूप से प्रभावित जिलों की संख्या भी 12 से घटकर अब 6 रह गई है। बस्तर संभाग में कुल 7 जिले आते हैं। इसमें बस्तर (मुख्यालय जगदलपुर), कांकेर, दंतेवाड़ा, बीजापुर, नारायणपुर, सुकमा और कोंडागांव जिले आते हैं।