भिलाई। देश के औद्योगिक इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ते हुए, सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र (Steel Authority of India Limited – SAIL, Bhilai Steel Plant) ने किसी भी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (Public Sector Undertaking – PSU) के भीतर पहली बार कैप्टिव 5जी नेटवर्क का सफल परीक्षण कर लिया है। यह उपलब्धि औद्योगिक संचार, स्वचालन और उच्च गति डेटा संचरण की दिशा में एक ऐतिहासिक तकनीकी छलांग मानी जा रही है। इस पहल को संयंत्र के दूरसंचार विभाग ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (Indian Institute of Technology – IIT) दिल्ली के सहयोग से सफलतापूर्वक अंजाम दिया।
आईआईटी दिल्ली की तकनीकी टीम के अध्ययन में पाया गया था कि संयंत्र के एसएमएस-3 विभाग में भारी धातु संरचनाओं और उच्च ध्वनि स्तर के कारण मोबाइल तथा वॉकी-टॉकी सिग्नल कमजोर पड़ रहे थे, जिससे संचार व्यवस्था और परिचालन दक्षता प्रभावित हो रही थी। इस चुनौती का समाधान खोजने के लिए आईआईटी दिल्ली की टीम ने कैप्टिव 5जी नेटवर्क उपकरण का परीक्षण किया।
5जी नेटवर्क सफलतापूर्वक स्थापित
इस परीक्षण में बीओएफ नियंत्रण कक्ष, एलएफ-2, सीके-2 और बिलेट यार्ड जैसे प्रमुख परिचालन क्षेत्रों में 5जी नेटवर्क सफलतापूर्वक स्थापित किया गया। परीक्षण के दौरान वॉयस और वीडियो कॉल के सिग्नल अत्यंत स्पष्ट और स्थिर रहे, वहीं सीसीटीवी कैमरों को कंप्यूटरों से वायरलेस तरीके से जोड़ने पर भी परिणाम अत्यंत संतोषजनक प्राप्त हुए।

12 जुलाई 2024 को हुई थी परियोजना की शुरुआत
इस परियोजना की नींव 12 जुलाई 2024 को आयोजित एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान रखी गई थी, जिसमें आईआईटी दिल्ली और भिलाई इस्पात संयंत्र की टीमों ने संयुक्त रूप से कार्ययोजना तैयार की थी। दूरसंचार विभाग के प्रमुख श्री प्रकाश और महाप्रबंधक श्री एच. आर. सिरमौर ने निरंतर तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान किया, जबकि मुख्य महाप्रबंधक (विद्युत) श्री टी. के. कृष्ण कुमार ने समग्र समीक्षा की।
5जी तकनीक के औद्योगिक उपयोग का एक उत्कृष्ट उदाहरण
आईआईटी दिल्ली की टीम ने इस परीक्षण को किसी भी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम में कैप्टिव 5जी नेटवर्क के प्रथम सफल कार्यान्वयन के रूप में सराहा है और आगे उच्च-तीव्रता वाले परीक्षण की अनुशंसा की है। यह परियोजना स्वदेशी 5जी तकनीक के औद्योगिक उपयोग का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जो भविष्य में संयंत्र की परिचालन दक्षता, सुरक्षा और संचार प्रणाली को और सशक्त बनाएगी।