-दीपक रंजन दास
पहलगाम आतंकी हमले में शहीद हुए नेवी के लिफ्टिनेंट विनय नरवाल की पत्नी हिमांशी ने आतंक के खिलाफ अपनी दो टूक राय दी है. उन्होंने कहा कि ऐसे हमलों के लिए कश्मीरियों या मुसलमानों को निशाना न बनाया जाए। उन्हें सिर्फ न्याय चाहिए, शांति चाहिए। जिन लोगों ने पहलगाम में लोगों की हत्या की, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई हो। दरअसल, हर आतंकी हमले के बाद देश के भीतर मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ बयानबाजी शुरू हो जाती है। ऐसा करके लोग आतंकवादियों के मंसूबों को ही सफल बनाते हैं। पहलगाम हमले का उद्देश्य तो एकदम साफ है। यहां धर्म पूछकर केवल हिन्दू पुरुषों को ही गोली मारी गई। इसका उद्देश्य भी हिन्दुओं को मुसलमानों के खिलाफ करना ही था। जबकि इस घटना को ही लें तो न केवल एक मुसलमान गाइड ने पर्यटकों की जान बचाई बल्कि इस कोशिश में एक मुसलमान गाईड ने अपनी जान भी गंवाई। हिमांशी का आशय एकदम स्पष्ट है कि आतंकवाद का विरोध होना चाहिए पर सभी मुसलमान आतंकवादी नहीं होते। हिमांशी ने व्यवस्था पर भी कुछ सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि घटना के बाद पुलिस को वहां पहुंचने में एक घंटे से ज्यादा वक्त लग गया। उन्होंने पूछा है कि घायलों को एयरलिफ्ट क्यों नहीं किया गया। इस बीच कुछ लोग आतंकी हमले की न्यायिक जांच की अपील लेकर सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचे। इस बार कोर्ट ने भी साफ कर दिया कि यह संवेदनशील समय है। पूरा देश एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ खड़ा है। ऐसे में सुरक्षा बलों का मनोबल गिराने की कोई कोशिश नहीं होनी चाहिए। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि ऐसी याचिकाएं कोर्ट में न लाई जाएं। रिटायर्ड जज से जांच की मांग पर टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि वह आतंकी हमले की जांच के एक्सपर्ट नहीं हैं। दरअसल, देश के अन्दर रायता फैलाने वालों को यह बात समझनी होगी कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सबसे ज्यादा जरूरी है कि देश के भीतर एकजुटता हो। इस हमले के बाद भारत दुनिया के अन्य देशों को अपने हक में लाने के कूटनीतिक प्रयास कर रहा है ताकि पूरी शक्ति के साथ आतंकवाद पर प्रहार किया जा सके। पाकिस्तान भी चुप नहीं बैठा है। खबर है कि पाकिस्तानी इंटर सर्विस इंटेलीजेंस बांग्लादेश में सक्रिय हो गई है। ढाका के पाक उच्चायोग में आईएसआई एजेंट भारत के खिलाफ साजिशें रच रहे हैं। पाकिस्तान के हाई कमिश्नर सैयद अहमद मारूफ कट्टरपंथी जमात, हिफाजत और खिलाफत मजलिस के साथ कम से कम दो गुप्त बैठकें कर चुके हैं। उसकी मंशा पूर्वोत्तर के राज्यों में अलगाववादियों को हथियारों की सप्लाई बढ़ाने और घुसपैठ के लिए उकसाने की है। अर्थात देश को एक साथ कई सीमाओं पर लडऩा पड़ सकता है। आतंकवाद के खिलाफ सबसे कड़ा संदेश यही होना चाहिए कि पूरा भारत आतंकवाद के खिलाफ है। इसमें सभी जाति, धर्म और पंथ के लोग शामिल हैं।
Gustakhi Maaf: पहलगाम आतंकी हमले पर हिमांशी की दो टूक
