-दीपक रंजन दास
एक घटना घटी. हरियाणा के भिवानी से एक खबर निकली की एक यूट्यूबर ने अपने यूट्यूबर बॉयफ्रेंड के साथ मिलकर पति की हत्या कर दी. यह ब्रेकिंग न्यूज तत्काल पूरे देश में वायरल हो गया. यहां तक कि घरों में काम करने वाली बाइयों की बातचीत का भी यह इंटरेस्टिंग टॉपिक बन गया. वे आपस में तो इसपर चर्चा करती ही थीं, गृहिणियों से भी इस विषय पर चर्चा करने लगीं. आज भी अधिकांश लोगों को लगता है कि रील्स बनाना अच्छे घर की लड़कियों का काम नहीं हैं. समाज में रील्स बनाने वाली लड़कियों को अच्छी नजरों से नहीं देखा जाता. एक समय था जब अच्छे घर की लड़कियां फिल्मों में भी नहीं आती थीं. खबर को वायरल बनाने में हमारी इसी सोच का सबसे बड़ा हाथ था. एक रसीली खबर थी कि रील्स बनाते समय एक दूसरे रील्स बनाने वाले के साथ संबंध बन गए और यही पति की हत्या का कारण बन गया. इसलिए खबर बनाने वालों से लेकर खबर पढ़ने और उस पर चर्चा करने वाले कूद कर इस नतीजे पर पहुंच गए कि रील्स बनाने वाली लड़की ही बदमाश थी. इंसानों का दिमाग इसी तरह काम करता है. पूर्वाग्रहों से ग्रस्त दिमाग घटनाओं को अपने हिसाब से तौल लेता है. उसपर अपनी राय बना लेता है. पर झाग बैठने के बाद अब पतीले का दूध दिखाई देने लगा है. अब लोगों को पता है कि युवती अपने पति से बेहद परेशान थी. वह एक नंबर का नशेड़ी था और कोई काम-धाम टिक कर नहीं करता था. यूट्यूबर ने सिलाई कढ़ाई का प्रशिक्षण ले रखा था. उसने परिवार का खर्च चलाने के लिए एक सिलाई केन्द्र खोला था जहां वह प्रशिक्षण भी देती थी. पर पति आए दिन वहां पहुंच कर तमाशा खड़ा करता था जिसके कारण वह सेन्टर बंद करना पड़ा. इसके बाद उसने खर्च चलाने के लिए रील्स बनाना शुरू किया. इसमें कुछ लोगों ने उसकी मदद की तो कुछ लोग कोलैबोरेटर्स भी बने. उसका एकमात्र बेटा ननिहाल में पल रहा था. उसकी शिक्षा दीक्षा का पूरा खर्च भी वह स्वयं उठाती थी. दुखी और प्रताड़ित होने के बाद भी उसने अपने पति को नहीं छोड़ा. वह केवल 10वीं तक पढ़ पाई थी पर जीवन के प्रति उसमें तीव्र जिजीविषा था. उसने कभी हालात के आगे हथियार नहीं डाले. जेवर गिरवी रखकर भी पति की मदद की, पर पति को नहीं सुधरना था, नहीं सुधरा. ऐसी स्थिति में अगर उसने बाहर सहारा ढूंढा होगा तो क्या हम इसे गलत कह सकते हैं? एक गृहस्थी को और वैवाहिक संबंधों को चलाना संयुक्त जिम्मेदारी होती है. एक पहिए की गृहस्थी लड़खड़ाती ही है. वैसे भी गृहस्थी का बचा क्या था? गलत केवल यह हो गया कि उसने पति की हत्या कर दी और फिर लाश को ठिकाने लगाने की कोशिश की. अच्छा होता कि वह पति को तलाक देकर अपना अलग घर बसा लेती.
