बीजापुर। इंद्रावती टाइगर रिजर्व के धरमारम वन परिक्षेत्र के भट्टिगुड़ा गांव में देवगुड़ी और चारागाह निर्माण में हुए कथित भ्रष्टाचार की जांच में वन विभाग की सुस्त कार्यशैली फिर सवालों के घेरे में है। दो साल से लंबित इस मामले में जांच समिति ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। एसडीओ मनोज बघेल ने 20 जून तक रिपोर्ट सौंपने का आश्वासन दिया था, लेकिन जांच में कोई प्रगति नहीं हुई है।
जांच कागजों में उलझी
2023 में गठित जांच समिति ने केवल कोंडापल्ली सरपंच से संपर्क किया है, जबकि भट्टिगुड़ा में कार्यस्थल का निरीक्षण तक नहीं हुआ। ग्रामीणों का आरोप है कि अधिकारी जानबूझकर जांच को टाल रहे हैं, ताकि दोषियों को बचाया जा सके। पूर्व रेंजर, जिनके कार्यकाल में यह निर्माण हुआ, जल्द रिटायर होने वाले हैं, जिससे जांच की धीमी गति पर संदेह बढ़ गया है।

क्या रिटायरमेंट से पहले दब जाएगी फाइल?
स्थानीय सूत्रों का कहना है कि यदि 20 जून तक स्पष्ट रिपोर्ट नहीं आई, तो यह मामला अन्य घोटालों की तरह फाइलों में दब जाएगा। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि जांच शीघ्र पूरी नहीं हुई, तो वे सड़कों पर उतरकर विरोध करेंगे।

स्वतंत्र जांच एजेंसी की मांग
विभागीय जांच की निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं। ग्रामीणों और विशेषज्ञों ने मांग की है कि मामले की जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाए, ताकि सच्चाई सामने आए और दोषियों को सजा मिले।
संवेदनशील इको जोन में भ्रष्टाचार से जैव विविधता को खतरा
इंद्रावती टाइगर रिजर्व जैसे पर्यावरणीय दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र में भ्रष्टाचार न केवल सरकारी धन की बर्बादी है, बल्कि जैव विविधता के लिए भी खतरा है। अब सबकी निगाहें इस बात पर हैं कि क्या जांच समिति 20 जून से पहले भट्टिगुड़ा पहुंचकर निष्पक्ष जांच करेगी, या यह मामला फाइलों में दफन हो जाएगा। एसडीओ मनोज बघेल ने बताया कि आगामी गुरुवार को कोंडापल्ली साप्ताहिक बाजार में सरपंच और ग्रामीणों से मिलकर बयान दर्ज किया जाएगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि जांच जल्द पूरी कर रिपोर्ट सौंप दी जाएगी।