श्रीहरिकोटा ए.। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) को चंद्रयान-5 मिशन को मंजूरी मिल गई है। केन्द्र सरकार ने इसरों को इसकी मंजरी दे दी है। इसरो के अध्यक्ष वी नारायणन ने रविवार को इसकी जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि अभी तीन दिन पहले ही इसरो को चंद्रयान-5 मिशन के लिए मंजूरी मिली है। चंद्रयान-5 मिशन में जापान सहयोग करेगा। चंद्रयान-3 मिशन के लिए 25 किलोग्राम का रोवर (प्रज्ञान) ले जाया गया था, जबकि चंद्रयान-5 मिशन चंद्रमा की सतह का अध्ययन करने के लिए 250 किलोग्राम वजनी रोवर ले जाएगा।

बता दें इसरो के चंद्रयान-1 ने साल 2008 में सफलतापूर्वक चांद की सतह पर रसायन, खनिजों की खोज की थी और चांद की भू-स्थैतिक मैपिंग भी की थी। चंद्रयान-2 मिशन ने अपने उद्देश्य के 98 प्रतिशत काम को अंजाम दिया था। चंद्रयान मिशन-3 के जरिए चांद की सतह पर सफल लैंडिंग और रोवर से चांद की सतह के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है। चंद्रयान-2 मिशन के तहत भेजा गया रिजोल्यूशन कैमरा अभी भी चांद की सैंकड़ों तस्वीरें भेज रहा है। वहीं केन्द्र सरकार ने चंद्रयान-4 मिशन को भी मंजूरी दे रखी है जिस पर इसरो फिलहाल काम कर रहा है। इस बीच इसरो को चंद्रयान 5 की भी मंजूरी मिल गई।
जापान के साथ मिलकर पूरा करेंगे चंद्रयान-5 मिशन
इसरो प्रमुख वी नारायणन ने कहा कि अभी तीन दिन पहले ही हमें चंद्रयान-5 मिशन के लिए मंजूरी मिली है। हम इसे जापान के साथ मिलकर करेंगे। चंद्रयान-4 मिशन के 2027 में लॉन्च होने की उम्मीद है, जिसका उद्देश्य चंद्रमा से एकत्र किए गए नमूने लाना है। इसरो की भविष्य की परियोजनाओं के बारे में नारायणन ने कहा कि गगनयान सहित विभिन्न मिशनों के अलावा, भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन- भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने की योजनाएं चल रही हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने हाल ही में अपने अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग – स्पैडेक्स की सफल अनडॉकिंग करने में भी सफलता हासिल की। इससे चंद्रयान-4 और अन्य भविष्य के मिशनों के लिए मंच तैयार हो गया। प्रोजेक्ट के बारे में नारायणन ने कहा- 2027 में लॉन्च होने वाले चंद्रयान-4 मिशन का मकसद चंद्रमा की मिट्टी के नमूने लाना है। वहीं, गगनयान सहित कई मिशनों के अलावा अंतरिक्ष में भारत का अपना स्पेस स्टेशन स्थापित करने की योजनाओं पर काम चल रहा है।