बीजापुर। तीन दिन पहले 16 जनवरी को छत्तीसगढ़ के बीजापुर, दंतेवाड़ा, सुकमा से लगे क्षेत्र में एनकाउंटर हुआ। उसूर ब्लॉक में हुए इस एनकाउंटर में जवानों ने 12 नक्सलियों के शवों को बरामद किया। लेकिन अब नक्स्लियों ने खुद पर्चा जारी कर बताया कि उस एनकाउंटर में 12 नहीं बल्कि 18 नक्सली मारे गए। मारे गए नक्सलियों में 50 लाख का इनामी सेंट्रल कमेटी मेंबर दामोदर भी मारा गया। इसकी जानकारी दक्षिण बस्तर जोनल कमेटी के सचिव गंगा ने पर्चा जारी कर इसकी जानकारी दी है।
बता दें गुरुवार को सुरक्षाकर्मियों की एक संयुक्त टीम नक्सल विरोधी अभियान पर निकली थी। उसूर क्षेत्र में नक्सली बड़ी बैठक ले रहे थे। इसमें छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना कैडर के हार्ड कोर नक्सली बैठक में शामिल थे। सूचना के बाद जवानों घेराबंदी की और लगभग 1500 जवान इस ऑपरेशन में शामिल रहे। दक्षिण बीजापुर के जंगल में सुबह करीब नौ बजे गोलीबारी शुरू हो गई। 2 करोड़ के खूंखार नक्सली हिड़मा की बटालियन PGLA और फोर्स के साथ दो दिन तक मुठभेड़ चली। फोर्स को भारी पड़ता देख नक्सली हिड़मा और देवा पहाड़ी की तरफ भाग निकले। इस दौरान जवानों ने 12 नक्सलियों के शव बरामद किए। हालांकि सुरक्षाबलों ने कहा था कि 12 से ज्यादा नक्सली मारे गए। अब इसकी पुष्टि हो चुकी है।
दक्षिण बस्तर जोनल कमेटी के सचिव गंगा ने पर्चा जारी कर बताया कि मुठभेड़ में 12 नहीं बल्कि 18 नक्सली मारे गए। मारे गए नक्सलियों में 5 महिला नक्सली भी शामिल हैं। सभी नक्सली पीएलजीए व सीआरसी बटालियन में शामिल थे। दक्षिण बस्तर जोनल कमेटी के सचिव गंगा ने पर्चा में लिखा कि इस मुठभेड़ में SCM दामोदर दादा, PPCM हुंगी, देवे, जोगा, नरसिंहराव समेत कुल 18 साथी मारे गए। दामोदर उर्फ बड़े चोखा राव दक्षिण बस्तर के दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा जिलों की सरहद में सक्रिय था और इस पर 50 लाख का इनाम रखा गया था।
सुरंग में हथियारों का जत्था भी मिला
सुरक्षाबलों को तलाशी में सुरंग में हथियारों का बड़ा जखीरा मिला है। पता चला है कि नक्सली लेथ मशीन की मदद से हथियार बनाते थे। बड़ी संख्या में पाइप और अन्य सामग्री मिली है। तलाशी में एक बड़ी सुरंग मिली है। इसी सुरंग में नक्सली हथियार छिपाते थे। नक्सलियों ने जवानों पर फायरिंग करने के लिए नाली को जेसीबी की मदद से बनाया था। नक्सलियों की इसी सुरंग में देसी रॉकेट लांचर बनाये जाते थे। फोर्स से छिपाने के लिए सुरंगों को लोहे की मोटी प्लेट से ढक रखा था ताकि गोली अंदर न जा सके और नक्सली सुरक्षित रह सकें।