डिप्टी सीएम अरुण साव ने सड़क एवं सेतु कार्य की नवीन दर अनुसूची का किया विमोचन
रायपुर। उप मुख्यमंत्री तथा लोक निर्माण मंत्री अरुण साव ने रविवार काे सड़क एवं सेतु कार्य की नवीन दर अनुसूची (SOR) का विमोचन किया। राज्य शासन के लोक निर्माण विभाग द्वारा 2015 से प्रचलित पुराने एसओआर को अपडेट किया गया है। नए एसओआर में नई मशीनरी और निर्माण की नई तकनीकों को भी शामिल किया गया है। इनसे गुणवत्तापूर्ण कार्यों के साथ ही ठेकेदारों का वित्तीय जोखिम कम होगा। राज्य में 1 जनवरी 2025 से नया एसओआर लागू होगा। सड़कों के प्रभावी संधारण के लिए छत्तीसगढ़ में भी पीबीएमसी व ओपीआरएमसी (Peformance Based Maintenance Contract/Output and Performance Based Maintenance Contract) लागू किया जाएगा। इसके लिए विभाग द्वारा जल्दी ही पायलेट प्रोजेक्ट शुरू किया जाएगा।
उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने नए एसओआर के विमोचन के मौके पर आयोजित प्रेस-कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में निर्माण कार्यों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने और उन्हें समय-सीमा में पूर्ण करने पर विशेष जोर दिया जा रहा है। नए एसओआर के लागू होने के बाद इनमें और आसानी होगी। उन्होंने बताया कि वर्तमान में प्रचलित एसओआर 1 जनवरी 2015 से लागू है। उस समय इसमें 2014 में प्रचलित श्रमिकों की दर, सामग्री की दर एवं मशीनरी की दर शामिल की गई थी, जिनमें अब दस वर्षों के बाद बहुत अधिक परिवर्तन आ चुका है। नवीन दर अनुसूची वर्तमान में प्रचलित श्रमिकों की दर, सामग्रियों की दर एवं मशीनरी की दर के आधार पर तैयार किया गया है।
ठेकेदार को अलग से जीएसटी का भुगतान नहीं करना होगा
उप मुख्यमंत्री साव ने बताया कि वर्ष-2015 में जारी की गई दर अनुसूची उस समय प्रचलित सभी टैक्सेस (Taxes) को समावेशित करते हुये तैयार की गई थी। नए एसओआर में देश में 1 जुलाई 2017 से लागू जीएसटी को समाहित किया गया है। ठेकेदार अपनी निविदा दर जीएसटी सहित देंगे जिससे ठेकेदार को अलग से जीएसटी का भुगतान नहीं करना होगा, परन्तु कार्य की लागत में जीएसटी का प्रभाव सम्मिलित रहेगा। दरों को जीएसटी के प्रभाव के बिना रखे जाने से समय-समय पर जी.एस.टी. की दरों में होने वाले परिवर्तन के कारण ठेकेदार को कार्य करने में जोखिम नहीं रहता है। जीएसटी का प्रभाव सम्मिलित प्रचलित जी.एस.टी. की दरों को प्राक्कलन में जोड़ा जाएगा। ऐसा करने से ठेकेदारों पर वित्तीय जोखिम नहीं आएगा।
विभिन्न कार्यों की कार्यविधि में परिवर्तन
उप मुख्यमंंत्री साव नेबताया कि विगत 10 वर्षों में कई नवीन तकनीक (New technology), नए मटेरियल एवं आईआरसी द्वारा विभिन्न कार्यों की कार्यविधि में परिवर्तन किया गया है। इन नवीन तकनीकों और मटेरियल्स के उपयोग का प्रावधान भी नवीन एसओआर में किया गया है। इनमें सीमेंट एवं केमिकल से स्वाइल स्टेबलाईजेशन, पेव्हमेंट व्हाइट टॉपिंग, रोड साइनेज में एल्युमिनियम कम्पोजिट मटेरियल शीटिंग का उपयोग, प्रीकास्ट आर.सी.सी. ड्रेन, प्रीकास्ट बाक्स कल्वर्ट, फाउंडेशन कार्य में आरसीसी के उच्च ग्रेड एम-40, एम-45, एम-50 का उपयोग, सब-स्ट्रक्चर कार्य में प्री-स्ट्रेसिंग, बम्बू क्रैश बैरियर और नॉइज बैरियर जैसी नई चीजें शामिल हैं। उन्होंने बताया कि नवीन दर अनुसूची लागू होने से निर्माण कार्यों के डी.पी.आर./ प्राक्कलन में कार्य लागत का आंकलन वास्तविक होगा एवं कार्यों हेतु प्रशासकीय स्वीकृति की जाने वाली राशि कार्य करते समय पुनरीक्षित स्वीकृति की आवश्यकता कम होगी। कार्यों की गुणवत्ता एवं समय-सीमा में पूर्ण करने में सार्थक परिणाम मिलेगा।
समय पर संधारण नहीं होने से क्षतिग्रस्त रहती हैं सड़कें
उप मुख्यमंत्री साव ने बताया कि सड़कों के संधारण के लिए वर्तमान पद्धति में सड़क के वर्षा ऋतु में क्षतिग्रस्त होने की संभावना के अनुसार पूर्वानुमान लगाकर निविदाएं आमंत्रित कर ठेकेदारों का चयन कर संधारण कार्य किया जाता है। कई बार ऐसी स्थिति होती है कि सड़क खराब रहती है, परन्तु संधारण हेतु एजेंसी उपलब्ध नहीं होने के कारण सड़कों के गड्ढे भरने एवं संधारण में विलम्ब होता है। कई बार एजेंसी निर्धारित होने के बाद भी ठेकेदार द्वारा संधारण कार्य समय पर नहीं करने के कारण भी सड़कें गड्ढायुक्त एवं क्षतिग्रस्त रहती हैं। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय तथा कई राज्यों के लोक निर्माण विभाग द्वारा सड़कों के संधारण हेतु पीबीएमसी (Peformance Based Maintenance Contract)/ओपीआरएमसी (Output and Performance Based Maintenance Contract) पद्धति से सड़कों का संधारण कार्य किया जा रहा है।
5 वर्ष से 7 वर्ष तक एक ही एजेंसी करेगी काम
उप मुख्यमंत्री साव ने बताया कि इसके संधारण हेतु सड़कों का चयन कर 5 वर्ष से 7 वर्ष तक लगातार संधारण हेतु एक ही एजेंसी निर्धारित की जाती है एवं सड़क खराब होने पर या आकस्मिक किसी तरह का सुधार व अति क्षति होने पर सुधार कार्य हेतु निर्धारित एजेंसी द्वारा अनुबंधित निर्धारित समय-सीमा में सड़क का सुधार कार्य किया जाता है। सड़क का नियमित संधारण भी ठेकेदार द्वारा समय-सीमा में किया जाता है। यदि ठेकेदार निर्धारित समय-सीमा में सड़क सतह सुधार का कार्य नहीं करते हैं तो प्रत्येक दिन विलम्ब हेतु पेनाल्टी का भी प्रावधान है। इस प्रक्रिया की मॉनिटरिंग ऑनलाइन भी की जाती है, जिससे सड़क कहां-कहां पर अच्छी या खराब स्थिति में है, यह कंट्रोल रूम में बैठकर ही देखा जा सकता है। छत्तीसगढ़ में भी इस पद्धति से कार्य करने का निर्णय लोक निर्माण विभाग द्वारा लिया गया है। जल्दी ही पायलेट आधार पर कुछ जिले चयनित कर इसे लागू किया जाएगा। पायलेट प्रोजेक्ट्स के सकारात्मक परिणाम प्राप्त होने पर पूरे राज्य में सड़कों के संधारण के लिए इसे लागू किया जाएगा।