पंडित प्रदीप मिश्रा ने बताया पशुपतिनाथ व्रत का महत्व और विधि, CM साय की पत्नी कौशल्या साय व पुत्र हुए शामिल
भिलाई। भिलाई के जयंती स्टेडियम में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा द्वारा शिव महापुराण की कथा के छठवें दिन मंगलवार को आसमान खुला रहा, इसी तरह भक्तों की भी तादाद लाखों में रही। तीन पंडालों में जितने भक्त थे उससे भी अधिक भक्त पंडाल के बाहर खुले मैदान में मौजूद रहे। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की धर्मपत्नी कौशल्या साय और उनके पुत्र तोशेन्द्र साय ने भी कथा का श्रवण किया। आपको बता दें, कौशल्या साय लगातार पांचवें दिन कथा स्थल में कथा सुनने पहुंची। इनके अलावा भाजपा प्रदेश संगठन मंत्री पवन साय, भाजपा प्रदेश कोषाध्यक्ष नंदन जैन, भिलाई निगम महापौर नीरज पाल, दुर्ग निगम महापौर धीरज बाकलीवाल, भिलाई भाजपा अध्यक्ष महेश वर्मा, पूर्व अध्यक्ष बृजेश ब्रिजपुरिया, पार्षदगण, दुर्ग सांसद विजय बघेल की धर्मपत्नी रजनी बघेल भी मौजूद रहें। पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि, कल यानि बुधवार 31, जुलाई की कथा का अंतिम दिन है जो सुबह 8 बजे शुरू होगा और 11 बजे खत्म होगा।
पंडित प्रदीप मिश्रा ने व्यासपीठ से कहा कि, छत्तीसगढ़ क्या भारत की किसी भी मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी ने इससे पहले कोई भी कथा चार-पांच दिन तक लगातार बैठकर नहीं सुनी होगी। कौशल्या जी न सिर्फ शिव महापुराण का श्रवण कर रही है, साथ ही लोगों को प्रेरित कर रही है कि कितने भी बड़े पद पर हों पर भगवान की भक्ति नहीं भूलनी चाहिए। इसी के साथ उन्होंने बोल बम सेवा एवं कल्याण समिति के अध्यक्ष दया सिंह के लिए का चार-पांच दिन में तो लोग शादी की व्यवस्था नहीं कर पाते पर दया सिंह और उनकी समिति के सभी लोगों ने चार से पांच दिन में लाखों लोगों की तादाद वाली शिव महापुराण कथा की व्यवस्था कर दी। लोग भंडारा करते हैं, पूजा करते हैं पर दया सिंह जी ने लाखों लोगों को शिव महापुराण का भंडारा करा दिया इसके लिए उनका साधुवाद। पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा की जब मैं भिलाई पहुंचा पहले दिन से जब दया सिंह जी ने मुझे एयरपोर्ट से लेने आए थे तब से उन्होंने आज तक हर दिन मुझे कहा कि महाराज जी हर साल हमारे भिलाई वालों के लिए कथा करने जरूर आए। कथा के दौरान उन्होंने बोल बम सेवा एवं कल्याण समिति के अध्यक्ष दया सिंह से कहा कि, ओंकारेश्वर या फिर अन्य जगहों से शिवलिंग लाकर छोटे-छोटे ग्रामों में स्थापित करवाए ताकि गांव में जो धर्मांतरण हो रहा है। ऐसे लोग भी शिवजी की शरण में आ जाए।
खुद को कमजोर समझना दुनिया का सबसे बड़ा पाप
पंडित प्रदीप मिश्रा ने कथा में कहा कि, शिव महापुराण की कथा कहती है कि दुनिया का सबसे बड़ा पाप क्या है… शिव महापुराण की कथा कहती है कि दुनिया का सबसे बड़ा पाप है अपने आप को कमजोर समझना। पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि आप कभी अपने आप को कमजोर ना समझे, चाहे कितनी भी बड़ी बीमारी से आप ग्रषित हो कितने बार भी आप हार जाए, कोई भी विषम परिस्थिति में जो मुस्कुराता है भोलेनाथ उसका साथ देता है। आप जिस दिन खुद को कमजोर समझना शुरू कर देंगे तो आप समझ लेना कि आप पापी हो।
चींटा के जैसे कर्म करो, एक दिन जरूर उड़ने के लिए मिलेगा पंख
पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा जैसे कि आप सुबह उठने के लिए अलार्म लगते हैं, परंतु कई बार आपकी नींद जल्दी खुल जाती है। इसी तरह आप सब भी अपने दिल में एक अलार्म लगा कर बैठ गए हैं, जरा सा पेट दुखा या छाती में दर्द हुआ तो आप सोच लेते हैं कुछ तकलीफ हो गया है ऐसे में आपने पहले से ही सोच लिया कि मुझे तकलीफ है। इलाज कराने भी आप जा रहे हो तो ये सोच कर जा रहे हो कि मुझे तकलीफ है इस प्रकार आप अपने अंदर यह अलार्म लगा ले रहे हो कि आपको कुछ तकलीफ है। पहले के लोग अपना अलार्म लगाते थे कि कम से कम में 100 साल जीना है, इसलिए वे कम से कम वह 90-95 साल जीते थे। परन्तु आज के दौर में लोग अपने आप को कमजोर समझ लेते हैं कि मुझे कुछ तकलीफ हो गई है, तो जरूर कुछ बड़ा होगा। पंडित मिश्रा ने कहा कि, इसलिए अपने आप को प्रबल समझिए अपने आप को स्ट्रांग रखिए की छोटी-मोटी बीमारी आती जाती है पर कमजोर नहीं पड़ना है। पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा, जो व्यक्ति अपना कर्म करते रहता है, उसकी मेहनत का फल उसको भगवान एक दिन जरूर देता है। जैसे एक चींटा अपना कर्म करते रहता है, भगवान उसको एक दिन पंख लगा देता है और वो उड़ने लगता है। ध्यान रखना इसी तरह आपको भी अपना कर्म करना है, परमात्मा आपको भी पंख लगा कर आगे बढ़ाएगा, आपको अपने मंजिल तक पहुंचा देगा
घर की आर्थिक नहीं, मानसिक स्थित ठीक होनी चाहिए
पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा, अगर आपके घर में धन की कमी है तो कोई बात नहीं, संस्कारों की कमी नहीं होना चाहिए। घर की मानसिक स्थिति ठीक होनी चाहिए सिर्फ आर्थिक स्थिति ठीक होने से सब कुछ ठीक नहीं होता। मान लीजिये आपने खूब धन दौलत कमा लिया पर आपके बेटा-बेटी गलत रास्ते में चले गए और गलत संगति में लिप्त हो गए। तो क्या करोगे ऐसे धन दौलत का? इसलिए आर्थिक स्थिति के साथ-साथ घर की मानसिक स्थिति भी ठीक होनी चाहिए। अगर घर में आप अपने बच्चों को बचपन में प्यार नहीं दोगे तो बड़े होकर वो भी आपको प्यार नहीं करेंगे।
गलती से से भी शिवलिंग बनाने से मिलता है पुण्य
पंडित प्रदीप मिश्रा ने शिव कथा में आज बताया कि, भानु नाम का एक बालक था। जो रेती या मिट्टी का शिवलिंग निर्माण किया करता था और चार लकड़ी के टुकड़ों को लाता था और शिवलिंग के चारों ओर उसको गाढ़ कर। शिवलिंग पर बेल पट्टी चढ़ाता था। उन्होंने कहा शिव महापुराण की कथा कहती है कि गलती से भी जीवन में एक बार अगर आपने शिवलिंग बनाया है या फिर शिवलिंग के आकृति को बादल में भी आपने देखा है, क्योंकि जो दिख रहा है वह आपके अंदर का ही दृश्य है जो आप देख रहे हैं जो आपके मन में है, तो मरने के पहले उसे एक शिवलिंग बनाने का पुण्य आपको जरूर मिलता है। उन्होंने आगे बताया कि भानु एक दिन ऐसे ही जा रहा था और उसने बेल पत्ती तोड़ा और उस पट्टी से अचानक से शिवजी प्रकट हुए। पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि, सावन के महीने में बेल के वृक्ष के निचे 108 बार ॐ नमः शिवाय या नमः शिवाय या श्री शिवाय नमस्तुभ्यं का जाप करें और शिवमंदिर में जल जरूर चढ़ाएं।
पंडित प्रदीप मिश्रा ने पशुपतिनाथ व्रत का महत्व बताते हुए बताया विधि
पशुपतिनाथ व्रत का महत्व बताते हुए पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि, जितना पशुपति अस्त्र में बल होता है उतना ही एक पशुपति व्रत में होता है। विधि के बारें में उन्होंने बताया कि, 6 दिए थाली में लेकर मंदिर जाओ फिर 6 दिए मंदिर के जमीन पर रखे, 5 दिए प्रज्वलित करिये, प्रसाद के तीन हिस्से कीजिये, तीनों हिस्सों को अलग पात्र में रखे और बाबा से निवेदन करिये की में अपने दिल से हृदय से पशुपति व्रत रखी हूं, हे बाबा इसे स्वीकार करो, महाकाल कृपा करो तू नहीं करेगा तो कौन करेगा? जिस दिन 5 व्रत पूरा हो उस दिन शिव जी से अपनी मनोकमना मांगे। उन्होंने कहा कि, 108 चावल के दाने समर्पित करो और दिल से कहो श्री शिवाय नमस्तुभ्यं। उन्होंने कहा इस व्रत को कोई भी कर सकता है।
तारकासुर के तीन बेटों का महादेव ने पाशपतिनाथ नाथ के रूप में किया वध
पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि शिव महापुराण के अनुसार, राक्षस तारकासुर के तीन पुत्र थे- तारकाक्ष, कमलाक्ष व विद्युन्माली। जब भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय ने तारकासुर का वध कर दिया तो उसके पुत्रों को बहुत दुःख हुआ। उन्होंने देवताओं से बदला लेने के लिए घोर तपस्या कर ब्रह्माजी को साधना से प्रसन्न कर लिया। साधना से उन्हें तीन पुर (नगर) का निर्माण हुआ जहां के वो राजा बने। इन दैत्यों ने इतना उपद्रव मचाया की घबरा कर इंद्र आदि सभी देवता भगवान शंकर की शरण में गए। देवताओं की बात सुनकर भगवान शिव त्रिपुरों का नाश करने के लिए तैयार हो गए। महादेव ने सभी देवताओं को पशु बना दिया और खुद एक बड़े से नंदी का रूप लेकर तारकाक्ष, कमलाक्ष व विद्युन्माली का वध किया। यही से शिव जी का नाम पशुपतिनाथ पड़ा। समय आया भगवन गणेश जी का रिद्धि-सिद्धि के साथ मंगल विवाह हुआ। इसी तरह कथा समाप्त हुई।