भिलाई। छत्तीसगढ़ में दूसरी बार सरकार बनाने को लेकर आश्वस्त दिख रही कांग्रेस पार्टी ने प्रत्याशियों की पुख्ता शिकायतों के बाद महाभीतरघातियों पर कार्रवाई की है, लेकिन मतगणना के बाद उन भीतरघातियों पर भी कार्रवाई होना तय है, जिन्होंने पार्टी प्रत्याशियों को हरवाने के लिए कुचक्र रचा। कांग्रेस की प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा व पीसीसी चीफ दीपक बैज ने मतदान के बाद दो दिनों की समीक्षा के बाद सरकार बनाने के प्रति आश्वस्ति दिखाई। लेकिन इस दौरान बड़ी संख्या में पार्टी प्रत्याशियों ने भीतरघातियों के नाम उजागर किए। इनमें से करीब दो दर्जन लोगों को निलंबित किया गया है। इधर, पार्टी के प्रादेशिक नेतृत्व ने भी यह मान लिया है कि 75 प्लस सीटें हासिल करना मुश्किल नहीं होगा। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस को पिछली 71 सीटों में से करीब 27 सीटों पर नुकसान होने का अंदेशा है। इधर, भाजपा भी सरकार बनाने को लेकर उत्साहित नजर आ रही है।
छत्तीसगढ़ में दूसरे चरण की वोटिंग के बाद कांग्रेस में समीक्षा का लम्बा दौर चला। राजधानी के राजीव भवन में दो दिनों तक लगातार हुई बैठक में जो बातें निकल कर सामने आई, वह कांग्रेसियों के माथे में चिंता की लकीर बढ़ाने वाली है। प्रदेश की करीब 27 सीटों पर भीतरघातियों से नुकसान हो रहा है। ऐसे में कांग्रेस का 75 सीटें पार करने का समीकरण बिगड़ सकता है। हालांकि पार्टी ने बीच-बीच में कई भीतरघाती और बागियों पर निलंबन और निष्कासन की कार्रवाई की है। छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रभारी कुमारी सैलजा के पास कई जगहों से शिकायत मिलने की भी बात सामने आई थी। सैलजा रविवार को इंडोर स्टेडियम में मैच देखने के दौरान कांग्रेस प्रत्याशी और नेताओं से पूछताछ करती देखी गई। इस दौरान मुख्यमंत्री ने उन्हें कहा था- ‘अरे चिंता मत करिए मैडम, हम चुनाव जीत रहे हैं।
बागियों ने दिखाए खुलकर तेवर
टिकट बंटवारे के बाद से बागियों ने लगातार अपने तेवर दिखाने शुरु कर दिए थे। यही वजह है कि कई सीटों पर कांग्रेस के नेता खुलकर बगावत करते नजर भी आए। सक्ती विधानसभा क्षेत्र में अनुभव तिवारी ने पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी डॉ. चरणदास महंत के खिलाफ चुनाव लड़ा। पामगढ़ से गोरेलाल बर्मन ने शेषराज हरबंश के खिलाफ, जशपुर विधानसभा सीट से प्रदीप खेस ने कांग्रेस प्रत्याशी विनय भगत के खिलाफ तो रायपुर उत्तर से अजीत कुकरेजा ने कुलदीप जुनेजा के खिलाफ चुनाव लड़ा। वहीं जैजैपुर से टेकचंद्र चंद्रा ने प्रत्याशी बालेश्वर साहू के खिलाफ, पाली-तानाखार से छत्रपाल सिंह ने दुलेश्वरी सिदार के खिलाफ तो लोरमी से सागर सिंह बैस ने थानेश्वर साहू के खिलाफ, मुंगेली से रूपलाल कोसरे ने संजीत बनर्जी के खिलाफ, सरायपाली से विधायक किस्मतलाल नंद ने चातूरी नंद के खिलाफ, धमतरी से लोकेश्वरी साहू ने ओंकार साहू के खिलाफ, बालोद से मीना साहू ने संगीता सिन्हा के खिलाफ और कसडोल से गोरेलाल साहू, संदीप साहू के खिलाफ चुनावी मैदान में नजर आए।
एक से ज्यादा बागियों ने लड़ा चुनाव
राज्य की कई सीटें ऐसी भी रही, जहां कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशियों के खिलाफ बागियों ने एक से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ा। इनमें रायपुर उत्तर से अजीत कुकरेजा, आनंद कुकरेजा व सागर दुल्हानी, बिल्हा सीट से शिव ध्रुव व निर्मल दिवाकर, लोरमी विधानसभा क्षेत्र से महेंद्र सिदार, सागर सिंह बैस और सूरज बर्मन, बालोद क्षेत्र से सत्येंद्र साहू, पीमन साहू, ललिता साहू व तुकाराम, हलधर, कोंडागांव सीट से मनीष श्रीवास्तव, शिशिर श्रीवास्तव व सुरेश पाटले, कसडोल विधानसभा से गोरेलाल साहू व मनोज अडिल के अलावा, मरवाही से गुलाब सिंह राज, शंकर पटेल, मुद्रिका सिंह सर्राटी, नारायण आमों, अजीत सिंह श्याम, गजरूप सिंह सलाम, दयाराम वाकरे, विवेक पोर्ते, तूफान सिंह धुर्वे और प्रताप सिंह मरावी शामिल हैं। इन सभी को निलंबित कर दिया गया है।
बागी तेवर दिखाने वाले इन नेताओं के खिलाफ हुई कार्रवाई
बागी तेवर दिखाने वाले नेताओं पर कांग्रेस लगातार निलंबन और निष्कासन की कार्रवाई कर रही है। बिलासपुर के महापौर रामशरण यादव से लेकर कई पदाधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी करने के 24 घंटे के भीतर ही कार्रवाई की गई। रामशरण यादव को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया गया। उन पर पार्टी संगठन के खिलाफ अनर्गल बयानबाजी करने का आरोप है। वहीं कई बागियों को 6 साल के निलंबित किया गया है। इनमें जशपुर से प्रदीप खेस, जांजगीर से गुड्डू महराज, सरायपाली से किस्मतलाल नंद, पामगढ़ से गोरेलाल बर्मन, रायगढ़ से शंकर अग्रवाल, मुंगेली से रूपलाल कोसरे, भाटापारा से मनोहर साहू, संजारी बालोद से मीना साहू, पाली तानाखार से छत्रपाल सिंह कंवर, कवर्धा से योगेश्वर राज सिंह, सामरी से प्रभातबेला मरकाम, लैलूंगा से महेंद्र सिदार, वैशाली नगर से अजहर अली, अंतागढ़ से अनूप नाग, कांति नाग, दंतेवाड़ा से अमूलकर नाग, महासमुंद से विश्वजीत बेहरा और बिलासपुर से प्रेमचंद्र जायसी के नाम शामिल हैं।