-दीपक रंजन दास
जीवन और मृत्यु दोनों ही शाश्वत सत्य हैं। मृत्यु के बाद जीवन को लेकर अलग-अलग धारणाएं हो सकती हैं पर एक बात तो तय है कि मृत्यु के बाद भौतिक जीवन का अंत हो जाता है। मृत शरीर को उसके अंजाम तक पहुंचाने की अलग-अलग विधियां प्रचलित हैं। कोई उसे भस्म कर देता है तो कोई दफ्न कर देता है। कहीं उसे चील-गिद्ध आदि मेहतर (स्कैवेन्जर) पक्षियों के भोजन के लिए छोड़ दिया जाता है तो कहीं उसे लंबे समय तक सुरक्षित रखने के उपाय किये जाने का चलन रहा है। आधुनिक विज्ञान ने मृत्यु के बाद आंशिक जीवन को सम्भव बना दिया है। अंगदान के द्वारा हम सभी ऐसा कर सकते हैं। मृत्यु के बाद भी हमारे अंग किसी और के शरीर में जीवित रह सकते हैं, उसे नया जीवन दे सकते हैं। वैसे सभी प्रकार के अंगदान के लिए मृत्यु जरूरी नहीं है। रक्त के अलावा किडनी, त्वचा, लिवर, पैन्क्रियाज के टुकड़े दान किये जा सकते हैं। मरणोपरांत यह सूची लंबी होती चली जाती है। एक ब्रेन-डेड मरीज, जिसका शेष शरीर स्वस्थ हो, से लगभग 50 रोगियों को लाभान्वित किया जा सकता है। ब्रेन-डेड वह स्थिति है जिसमें मस्तिष्क की मृत्यु हो जाती है पर शेष शरीर स्वस्थ रहता है। ऐसी स्थिति में करीबी परिजनों को यह कठोर निर्णय लेना होता है कि वे उसकी मृत्यु को स्वीकार कर लें या किसी चमत्कार का इंतजार करते रहें। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर ने पिछले कुछ समय में इस दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है। ब्रेन डेड मरीज के अंगदान का यह सिलसिला ठीक एक साल पहले 21 नवंबर 2022 को प्रारंभ हुआ था। टाटीबंद की एक महिला को जब डाक्टरों ने ब्रेनडेड घोषित किया तो उसके परिजनों ने यह कठिन निर्णय लिया। नवंबर 2022 में ही एक 60 वर्षीय वृद्ध को ब्रेन-डेड घोषित किया गया था। उनकी दो किडनियां तथा लिवर का प्रत्यारोपण जरूरतमंद मरीजों में कर दिया गया था। उनके हृदय और आंखों को दो अलग अस्पतालों में सुरक्षित कर लिया गया था। इसी साल फरवरी में एक 24 वर्षीय नर्स को एम्स लाया गया था जिसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया था। उसके अंगों से छह मरीजों को नया जीवन मिला था। एक साल के भीतर पांच कैडेवर डोनेशन का यह सिलसिला बेहद उत्साहजनक है। वैसे देश भर में अंगदान को लेकर एक नई जागरूकता देखने को मिल रही है। रूढिय़ों को तिलांजलि देकर लोग ऋषि दधीचि के मार्ग पर आगे बढ़ रहे हैं। अंगदान को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी एक मुहिम छेड़ रखी है। 16 सितंबर से 15 नवंबर की शाम 5 बजे के बीच 86575 लोगों ने अंगदान के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया है। इनमें 56।39त्न महिलाएं हैं। महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश से सबसे ज्यादा लोग इस मुहिम से जुड़े हैं। रजिस्ट्रेशन करवाने वालों में 30-44 वर्ष आयुवर्ग के लोगों की संख्या ही अधिक है और उनका अनुपात बढ़ रहा है।
Gustakhi Maaf: जब आसन्न मृत्यु से निकलती है जीवन की राह
