-दीपक रंजन दास
प्रदेश के कुछ नेताओं और अफसरों के बच्चों ने जब पीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण की तो विपक्ष के पेट में दर्द उठ गया। चुनावी वर्ष में यह दर्द लाजिमी भी था। बयानबाजी शुरू भी हो गई। आरोप लगाया गया कि सेटिंग के कारण नेताओं और अफसरों के बच्चे पीएससी की वैतरणी पार कर गए। ये बचकानी बातें हैं। इसके पीछे संभवत: वही मानसिकता काम कर रही है जिसका मानना है कि नेता और अफसर मुफ्त में ऐश करते हैं। अगर ऐसा ही है तो नेता बनकर दिखाओ, अफसरी हासिल करके बताओ। आम धारणा के विपरीत ये दोनों ही कार्य कड़ी मेहनत और कठिन तपस्या से सिद्ध हो पाते हैं। दोनों में सालों की मेहनत लगती है। नेता की अपनी क्वालिफिकेशन चाहे जो हो, पर वह इतना जागरूक और जानकार तो होता ही है कि अपने आसपास की दुनिया से बेहतर जुड़ा होता है। वह देख रहा है कि इंजीनियरिंग, सीए-सीएमए और मेडिकल के सपने लिए बच्चे किसी तरह दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। उसे पता है कि सरकारी मुलाजिम बनने से अच्छा कोई तरीका नहीं है सेटल हो जाने का। उसके सपने ज्यादा रिएलिस्टिक होते हैं। वह अपने बच्चों को बताते हैं कि बच्चा यूपीएससी और पीएससी की तैयारी करो। प्रशासनिक सेवा में जिम्मेदारी भी मिलेगी, जनसेवा का मौका भी मिलेगा और लाइफ भी सेटल होगी। दिल में उद्यमिता की कोई कसक हो तो उसे पत्नी के नाम पर, मां के नाम पर भी किया जा सकता है। बिहार और यूपी में यह जागरूकता काफी पहले आ गई थी। पंजाब, हरियाणा, प।बंगाल, केरल, तमिलनाडु में सेना और पुलिस की नौकरी को लेकर भी ऐसा ही जज्बा है। यही सच्चाई है। पर चुनावी राजनीति में सच्चाई वह नहीं होती, जो सच होती है। इसमें सच्चाई वह होती है जिसमें जनता यकीन करना चाहे। उसे विश्वसनीय ढंग से कहने की कला ही राजनीति में सफलता की कुंजी है। यही कारण है कि कुछ लोगों को आज भी भाजपा बढ़ती हुई दिखाई दे रही है जबकि हकीकत यह है कि पिछले पांच साल में हुए 16 राज्यों के चुनावों में से केवल 6 में ही भाजपा पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज हो पाई है। 9 राज्यों में वह सहयोगी पार्टियों की बदौलत सत्ता में है। इसीलिए जब भाजपा ने पीएससी घोटाले की तरफ इशारा किया तो बहुत सारे लोगों ने इसपर यकीन भी कर लिया। कुछ लोगों ने ट्वीट किया तो नेताओं के सोशल मीडिया अकाउंट पर गढ़े गए समाचारों की बाढ़ आ गई। इसीलिए मुख्यमंत्री को हर काम छोड़कर पहले इस बवाल पर बोलना पड़ा। उन्होंने दो-टूक कह दिया कि नेता या अफसर का बेटा होना कोई अपराध नहीं है। यदि विपक्ष के पास घोटाले का सबूत है तो उसे सामने लाए, अन्यथा होनहारों और उनकी मेहनत का अपमान करना बंद करे। एक जुमले में उन्होंने नेताओं और अफसरों का दिल जीत लिया।