-दीपक रंजन दास
देश में अच्छी सड़कें मौत का कारण बन रही हैं। शायद हम इसके लायक ही नहीं हैं। सड़कें अच्छी होती हैं तो हम तूफानी रफ्तार पकड़ लेते हैं। गाडिय़ों में आमने-सामने टक्कर होने लगती है। हादसे तब ज्यादा होते हैं जब मौसम भी साफ हो। अर्थात अच्छी चीजें हमें सूट नहीं करतीं। देखी है न लालबत्ती वाले चौराहों की हालत। यहां रोज दो चार-जानें जाते-जाते बचती हैं। लोग लालबत्ती जम्प करते हैं। ऐन चौराहे के बीचों बीच से सड़क पार करते हैं। कभी-कभी तो लोग चलते-चलते रुक जाते हैं और फिर दिशा बदल लेते हैं। सबसे ज्यादा हड़बड़ी में बाईक और स्कूटी वाले होते हैं। वह तो अच्छा है कि तेज रफ्तार गाडिय़ों के अब ब्रेक भी अच्छे होते हैं। वरना दो चार तो रोज ही चौराहों पर बिछे होते। मजे की बात यह है कि सड़क हादसे वहां कम होते हैं जहां चौक पर लालबत्ती नहीं होती। बिना लालबत्ती के चौराहों पर जाम भी नहीं लगता। लोग देख-समझकर सड़क पार करते हैं। जब मौसम खराब हो तब भी लोग बहुत सावधान होकर गाड़ी चलाते हैं। ऐसा ही तब भी होता है जब सड़क खराब हो। गड्ढों से भरी टूटी-फूटी सड़कों पर भी लोगों की चाल सुधर जाती है। यहां गाडिय़ां खराब तो होती हैं पर एक ही बार में चकनाचूर होने की नौबत कम ही आती है। साथ ही बच जाती है लोगों की जानें। ग्रामीण सड़कों पर हादसे ज्यादा होते हैं। वह भी शायद इसलिए कि वहां मस्तीखोर ज्यादा होते हैं। चार दोस्त मिलकर बाइक पर निकलते हैं और यह मस्ती सड़कों पर भी जारी रहती है। ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कें अमूमन खाली ही होती हैं। वैसे भी अब गांव और शहर में फासला रह ही कितना गया है। शहर वाले भी निकलकर बाहरी सड़कों पर व्हीली-स्टैण्डी मारते हैं। यहीं सबसे ज्यादा एक्सीडेंट होते हैं और सर्वाधिक जानें भी जाती हैं। यह कहना है कि छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा जुटाए गए आंकड़ों का। पिछले साल के लिए जुटाए गए इन आंकड़ों का जब विश्लेषण किया गया तो ये चौंकाने वाली जानकारियां सामने आईं। मसलन अच्छी और सीधी सड़कों पर सर्वाधिक मौतें होती हैं। पिछले साल सीधी सड़क पर 9098 हादसों में 3807 लोगों की जान गई जबिक खराब सड़कों पर 744 मौतें हुईं। सबसे ज्यादा मौतें शाम के 6 बजे से 9 बजे के बीच हुईं। सड़क पर मरने वालों में सबसे बड़ी संख्या युवाओं की है। एप्रोच रोड और सीसी रोड पर सर्वाधिक हादसे हो रहे हैं। पिछले साल ऐसी सड़कों पर 7024 हादसे हुए इसमें 2922 लोगों की जान गई। इसके अलावा नेशनल हाइवे पर 1885 तथा स्टेट हाइवे पर 1027 लोगों की जान गई। नए साल पर जनवरी में 1250 हादसों में 580 लोगों की जान गई। वहीं फरवरी में 1205 हादसों में 537 लोगों की मौत हुई है। इन दोनों महीनों में स्थानीय पर्यटन, पिकनिक और पार्टियां खूब होती हैं।
Gustakhi Maaf: खोद दो सारी सड़कें, हटा लो ट्रैफिक सिग्नल
