इनसोम्निया यानी अनिद्रा नींद से जुड़ा विकार है। इससे ग्रस्त व्यक्ति को सोने में कठिनाई होती है। इस कारण शरीर को आवश्यकतानुसार आराम नहीं मिल पाता और इससे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। तनाव, मॉर्डन गैजेट्स का अधिक इस्तेमाल, बीमारियों का दुष्प्रभाव या गलत खान-पान आदि इस विकार को जन्म दे सकते हैं। आइए आज हम आपको पांच ऐसे योगासनों के बारे में बताते हैं, जिनका नियमित अभ्यास इस विकार से छुटकारा दिलाने में मदद कर सकता है।
हलासन:- हलासन करने के लिए योगा मैट पर पीठ के बल सीधे लेट जाएं, फिर अपने हाथों को शरीर से सटाकर रखें। अब सांस लेते हुए पैरों को 90 डिग्री तक ऊपर उठाएं और फिर सांस छोड़ते हुए टांगों को धीरे-धीरे सिर के ऊपर से पीछे की ओर ले जाएं। इस दौरान हाथों को कमर से हटाकर जमीन पर सीधा ही रखें। इसके बाद सांस लेते हुए धीरे-धीरे वापस शुरुआती अवस्था में आ जाएं।
बालासन:- बालासन के लिए योगा मैट या दी पर वज्रासन की मुद्रा में बैठें और गहरी सांस लेते हुए हाथों को ऊपर उठाएं, फिर सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे आगे की ओर झुककर सिर को जमीन से सटाएं। इस अवस्था में दोनों हाथ सामने, सिर जमीन से लगा हुआ और छाती जांघों पर रहेगी। कुछ सेकंड इसी मुद्रा में रहकर सामान्य रूप से सांस लेते रहें। इसके बाद धीरे-धीरे आसान छोड़ते हुए सामान्य स्थिति में आ जाएं।
विपरीतकरणी आसन:- सबसे पहले योगा मैट या दरी पर सीधे पीठ के बल लेट जाएं। अब अपने पैरों को धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठाकर 90 डिग्री का कोण बना लें। ध्यान रखें कि आपके तलवे ऊपर की ओर होने चाहिए। इसके बाद अपने नितंब को ऊपर उठाने की कोशिश करें। इस मुद्रा में कम से कम दो-तीन मिनट तक रहने के बाद धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं। इसके बाद दोबारा इस योगासन का अभ्यास करें।
सुप्त बद्धकोणासन:- सुप्त बद्धकोणासन के लिए योगा मैट या दरी पर पीठ के बल लेट जाएं और फिर अपने दोनों हाथों और पैरों को अपनी क्षमतानुसार फैला लें। अब पैरों को घुटनों से मोड़कर अपने दोनों तलवों को आपस में मिला लें। इस दौरान अपनी दोनों आंखों को बंद करके सामान्य गति से सांस लेते रहें। कुछ सेकंड के बाद आसन को धीरे-धीरे छोड़ दें। आप चाहें तो अपनी पीठ के नीचे सपोर्ट के लिए कोई मुलायम तकिया भी रख सकते हैं।
शवासन:- योगा मैट पर आराम मुद्रा में लेट जाएं और आंखें बंद कर लें। अब दोनों हथेलियों को शरीर से लगभग एक फीट की दूरी पर रखें। इसके अलावा पैरों को भी एक-दूसरे से लगभग दो फीट की दूरी पर रखें। इसके बाद धीरे-धीरे सांसें लें और पूरा ध्यान सांस पर लगाने की कोशिश करें। कुछ देर इसी मुद्रा में बने रहने के बाद आखों को धीरे-धीरे खोलें। अंत में दाईं ओर करवट लेकर उठें और आसन को छोड़ दें।