भिलाई। खुर्सीपार स्थित दशहरा मैदान में चल रही रामकथा की व्यासपीठ से बापू चिन्मायनंद ने सातवें दिन केवट प्रसंग को बताया। इस मौके पर श्रीराम कथा के व्यासपीठ से बापू चिन्मायनंद ने भिलाई में विश्व कल्याण मिशन ट्रस्ट की स्थापना की। जिसमें मनीष पांडेय को संरक्षक एवं पार्षद विनोद सिंह को अध्यक्ष बनाया। वही ट्रस्ट के अन्य पदाधिकारियों में संकटा पाठक, राजेश त्रिपाठी, उम्श मिश्रा, बलवंत सिंह, आचार्य संदीप तिवारी, नितिन जैन, अशोक चंद्राकर, राजेश साहूस पीसी देवांगन को शमाल किया गया है। इस मौके पर मनीष पांडेय ने कहा कि जल्द ही जामुल में ट्रस्ट का आश्रम बनाया जाएगा। जिसके माध्यम से ट्रस्ट के सभी सेवा कार्य किए जाएंगे। इस मौके पर बापू ने ट्रस्ट के माध्यम से भिलाई में साल-दो साल में रामकथा के आयोजन की भी बात कही।
चिन्मयानंद बापू ने कथा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि भगवान श्रीराम ने दो बार अयोध्या से यात्रा की, पहली यात्रा जनकपुर की थी और दूसरी यात्रा वनगमन की थी और वनगमन से ही रामराज की शुरुआत हुई थी। भगवान राम ने निषादराज को गले से लगाकर कदम बढ़ाया। मंगलवार को कथा की शुरुआत करते हुए राष्ट्रसंत बापू चिन्मायनंद ने कहा कि जहां भी कथा चलती है वहां कुछ समय देना चाहिए और अच्छे भाव से आना चाहिए क्योंकि हम मन में जैसे भाव रखकर कथा सुनेंगे भगवान का भाव भी वैसा ही होगा। उन्होंने केवट प्रसंग को काफी भावपूर्ण तरीके से सुनाया।

इस अवसर पर पूर्व मंत्री प्रेमप्रकाश पांडेय, श्रीरामजन्मोत्सव समिति के जिलाध्यक्ष मनीष पांडेय, पार्षद एवं जीवन आनंद फाउंडेशन के अध्यक्ष विनोद सिंह, संकटा पाठक, तेज बहादूर सिहं, पियुष मिश्रा, बुधन ठाकुर, जोगिंदर शर्मा, बंटी पांडेय, रमेश माने, अजय पाठक, राजेश त्रिपाठी, उमेश मिश्रा, बलविंदर सिहं, आचार्य संदीप तिवारी,अजीत सिंह, प्रकाश यादव, टोपा, श्रीनु, नील मानिकपुरी, शंकर केडिया, पवन भारद्वाज, सोनू शर्मा, आदि मौजूद थे।

भगवान को तैरना नहीं तारना आता है
केवट प्रसंग को काफी खूबसूरती से बताया। बापू चिन्मायनंद ने केवट के चरण पखराने से लेकर चरणामृत को बांटने तक की कथा को बताया। उन्होंने कहा कि केवट जानता था कि भगवान को तैरना नहीं आता बल्कि तारना आता है। वे भवसागर को पार कराते हैं। केवट की वजह से उनके पूर्वज को भवसागर कराया। परिवार को गांव को भी तारा। उन्होंने कहा कि केवट की भक्ति जैसा कोई नहीं है। केवट के आखिर में भगवान के सामने लेट गया और अपनी पीठ पर पैर रख नाव पर बैठाया, इसके पीछे केवट की यही भावना थी कि जो भगवान के पैर के नीचे आ जाता है उसे कभी अभिमान नहीं आता।

संत पाखंड नहीं करते
बापू चिन्मयानंद ने कहा कि संत कभी पाखंड नहीं करते। भवसागर को तारणे का मार्ग संत ही बताएंगे, लेकिन इस कलयुग में हर कोई खुद को ज्ञानी बता रहा है। असली की भीड़ में नकली लोग घुस गए हैं। उन्होंने कहा कि असली संत कभी चमत्कार नहीं दिखाते, यह काम बाजीगरों का हैं। उन्होंने कहा कि संत और महात्मा केवल शास्त्रयुक्त और वेद में वर्णित मार्ग को बताते हैं। ऐसे पांखड करने वालों से सावधान रहना चाहिए।




