रायपुर. साइंस कालेज मैदान में आयोजित राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव परिसर में युवाओं को बस्तरिया मोर मुकुट और डालडा चाँदी के गहनें बहुत आकर्षित कर रहे हैं। वे इस मुकुट और गहनों को पहन कर फोटो खिचवा रहे हैं और सेल्फी ले रहे हैं। पी.जी. डिप्लोमा योगा की छात्रा कुमारी मीनाक्षी और तारकेष्वरी ने बड़े उत्साह के साथ फोटो खींचवाते हुए बताया कि बस्तरिया मुकुट व गहनों को केवल फोटो में देखा था। आज प्रदर्षनी में मुकुट व गहनों का पहनकर फोटो खिंचवाने का मौका मिला। उन्होंने आदिवासी महोत्सव आयोजन के लिए राज्य सरकार विषेशकर मुख्यमंत्री भूपेष बघेल के र्प्रति आभार व्यक्त किया।
स्टॉल प्रभारी कोण्डागांव निवासी आसूलाल ने बताया कि बस्तरिया मुकुट मोर पंख, मुर्गा, बाज और अन्य चिड़ियों के पंखों से बनाया जाता है। यह मुकुट आदिवासियों के सम्मान का प्रतीक है। पुरूष मुरिया आदिवासी इस मुकुट को नृत्य एवं अन्य अवसरों पर पहनते हैं। इसी प्रकार महिलायें डालडा चाँदी से निर्मित गले में रूपिया माला व सूता, कलाई में पटा व ऐंठी, कमर में करधन, अंगुलियों में मुंदरी पहनती है। जंगलों में उपलब्ध बांस से समान रखने के लिए बैग बनाते हैं, जिसे पिसवा कहते हैं। पिसवा, मोर मुकुट सहित डालडा चाँदी के गहने स्टाल में प्रदर्शन एवं बेचने के लिए कराया गया है।