रायपुर। छत्तीसगढ़ के वन जीवो की संरक्षण योजनाओं को अब उनके ही रक्षक अपने चंद स्वार्थो के कारण भक्षक बनकर बैठे हुए है जहां वन जीवो के खाल और उनके अन्य अंगों से लेकर हड्डियों तक की तस्करी बिना किसी खौफ के की जा रही है। पिछले दिनों बाघनवापारा परियोजना मंडल रायपुर के मंडल प्रबंधक केआर मुदलियार के द्वारा क्षेत्ररक्षक मोहम्मद जावेद फारूखी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। श्री मुदलियार के द्वारा की गई यह बड़ी कार्यवाही मोहम्मद जावेद फारूखी के खिलाफ इसलिए थी कि उन्होंने चीतल के अवैध शिकार में उनकी सहभागिता पाई थी। गौरतलब हो कि 7 दिसंबर की रात्रि को वन विभाग के गश्त टीम को देवपुर वनक्षेत्र के अंतर्गत चीतल को मारने वाले आरोपियों को धरदबोचा था। वहीं जांच के दौरान जावेद फारूखी का भी नाम सामने आया था। ठीक इसी तरह वन संरक्षक राम नायक कांकेर वनमंडल के द्वारा एक बड़ी कार्यवाही की गई जहां आरोपियों से बाघ के खाल सहित अन्य जीवों के खाल बरामद किए गए। वन क्षेत्रों में पशु-पक्षियों को मारकर उनकी तस्करी करने की बातें वक्त बेवक्त अखबार की सुर्खियों के माध्यम से सामने आती है। जहां संरक्षक ही भक्षक बनकर वनजीवों की तस्करी करने में मशगूल हैं।
अधिकारियों के संरक्षण में होती है तस्करी
सूत्रों का मानना है कि वन्य जीवों की तस्करी और उनकी हत्या सिर्फ इसलिए की जा रही है कि वे मनुष्यों के लिए जीवन रक्षक दवाईयों का निर्माण कर सके। वहीं तस्करों के द्वारा यह भी दावा किया जाता है कि वन्य जीवों के प्रमुख अंगों से सेक्सवर्धक दवाई भी बनाई जाती है। एक तरफ जहां सरकार वन्य जीवों को संरक्षित करने में कई बड़ी योजनाएं बनाकर अरबों रूपए खर्च कर रही है, वहीं कुछ निचले स्तर के अधिकारी और कर्मचारी तस्करों के साथ मिलकर गैर कानूनी कार्य को अंजाम दे रहें है। एक तरफ घटते हुए वन्य जीवों की जनसंख्या जहां सरकार के चिंता का सबब बनी हुई है वहीं तस्कर बचे खुचे जीवों को मारने का और उनकी तस्करी करने में जरा भी नहीं हिचक रहें है। लोगों का दावा है कि एैसे गैर कानूनी कार्य विभागीय कर्मचारियों के मिलीभगत से ही संभव है।
9 दिसंबर को वन मंत्री मोहम्मद अकबर व प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी अतुल कुमार शुक्ला के मार्गदर्शन में एक बड़ी कार्यवाही की गई। जहां 29 नवंबर को मिली एक सूचना के आधार पर बीजापुर में एक बाघ के खाल का सौदा करते हुए आरोपी को रंगे हाथ पकड़ा गया। हालांकि इस बड़ी कार्यवाही से अधिकारियों के हौसले बुलंद तो हुए है परन्तु तस्करों के हौसले भी काफी बुलंद है। छत्तीसगढ़ के समुचित वन क्षेत्र में वन तस्करों का एक बड़ा गिरोह खुलेआम अपने गैर कानूनी कार्यो को संचालित कर रहा है, जहां वन पेड़ों की अवैध कटाई अब आम हो चुकी है। वहीं वन जीवों की तस्करी खुलेआम संचालित की जा रही है। लोगों का मानना है कि एैसे तस्कर अधिकारियों के साथ -साथ ग्राम प्रमुखों के साथ सांठगांठ कर अपने गैर कानूनी कार्य को संचालित कर रहें है। जिसकी शिकायत करने पर भी कोई कार्यवाही नहीं होती?