केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने एक्स पर पोस्ट कर दी जानकारी, सीएम साय ने जताया आभार
रायपुर। बस्तर संभाग का रोड नेटवर्क सुधारने की दिशा में केन्द्र सरकार ने महत्वपूर्ण कदम उठाया है। कोंडागांव जिले में 11 किमी लंबा 4-लेन केशकाल बाईपास बनेगा जिसकी मंजूरी दे दी गई है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने एक्स पर पोस्ट कर इसकी जानकारी दी है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी द्वारा 307.96 करोड़ रुपए की लागत से पेव्ड शोल्डर मानक के साथ 4 लेन में केशकाल बाईपास निर्माण की स्वीकृति प्रदान करने पर प्रदेशवासियों विशेषकर बस्तर अंचल की जनता की ओर से हार्दिक आभार प्रकट किया है।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि डबल इंजन सरकार में तेजी से बस्तर अंचल का विकास हो रहा है। उन्होंने कहा कि यह स्वीकृति केंद्र और राज्य सरकार की समन्वित विकास नीति का परिणाम है, जो बस्तर जैसे जनजातीय अंचल को मुख्यधारा से जोड़ने की दिशा में एक और ठोस कदम है। इस ऐतिहासिक स्वीकृति के लिए मुख्यमंत्री साय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की दूरदृष्टि और पहल के लिए आभार जताते हुए इसे बस्तर के विकास के लिए निर्णायक कदम बताया है। उन्होंने कहा कि यह बाईपास केशकाल घाट खंड में यातायात बाधाओं को दूर कर सुगम, सुरक्षित व निर्बाध यात्रा सुनिश्चित करेगा।

नितिन गडकरी ने किया पोस्ट
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने एक्स पर पोस्ट कर जानकारी दी है कि छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग-43 (नया NH-30) पर केशकाल घाट खंड को सुगम और सुरक्षित बनाने के लिए 307.96 करोड़ रुपए की लागत से 11.380 किलोमीटर लंबा 4-लेन बाईपास निर्माण अपग्रेड की स्वीकृति दी गई है। यह बाईपास पेव्ड शोल्डर मानक के अनुरूप होगा और इसके बनने से बस्तर अंचल में कनेक्टिविटी को नया आयाम मिलेगा।

बाईपास के निर्माण से मिलेगा वैकल्पिक मार्ग
यह परियोजना विशेष रूप से केशकाल घाट के कठिन भौगोलिक खंड को पार करने में सहूलियत प्रदान करेगी। बाईपास के निर्माण से न केवल वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध होगा, बल्कि वाहन चालकों को तेज, सुगम और निर्बाध यात्रा का अनुभव भी मिलेगा। बाईपास निर्माण से शहरी क्षेत्रों में यातायात का दबाव कम होगा, जिससे स्थानीय नागरिकों को जाम और दुर्घटना की समस्या से राहत मिलेगी। इसके साथ ही प्रदूषण के स्तर में भी गिरावट आएगी, जिससे पर्यावरणीय संतुलन को भी बढ़ावा मिलेगा।