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लगातार हो रही घटनाओं से महिलाएं असुरक्षित, सरकार के लिए बनी सरदर्द
रायपुर। मंगलवार 10 दिसंबर की सुबह एक नर्सिंग छात्रा और उसकी बहन की हत्या कर दी गई। हमलावरों ने चाकू और तवे से वार किए। शोर सुनकर जब लॉज में रहने वाली अन्य छात्राएं पहुंचीं तो दो युवक कमरे का दरवाजा खोलकर भाग निकले। दोनों युवक सुबह ही युवतियों से मिलने के लिए कमरे में पहुंचे थे। नर्सिंग छात्रा से उसकी बहन एक दिन पहले ही सोमवार को मिलने के लिए आई थी।
राजधानी के टिकरापार इलाके के गोदावरी नगर में एक तीन मंजिला मकान है। इसमें कई छात्राएं अलग-अलग कमरों में रहती हैं। इसी कमरे में रायगढ़ निवासी मनीषा सिधार भी रहकर पढ़ाई करती थी। वह रावतपुरा कॉलेज में नर्सिंग द्वितीय वर्ष की छात्रा थी। सोमवार को उससे मिलने के लिए उसकी सगी बहन मंजूलता भी पहुंची थी। वहीं, मंगलवार सुबह दो युवक लड़कियों से मिलने के लिए कमरे में आए थे।
इसके बाद सुबह करीब 11.30 बजे चीखने की आवाजें सुनकर वहां रहने वाली अन्य छात्राएं मौके पर पहुंची तो दो युवक दरवाजा खोलकर भागते हुए दिखाई दिए। मकान मालिक ने डायल 112 पर सूचना दी। इसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस दोनों युवतियों को लेकर मेकाहारा पहुंची। यहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। मकान के कमरे में खाना लगी प्लेट मिली हैं। आशंका जताई जा रही है कि तीनों साथ में खाना खाने बैठे होंगे। वहां पर कुछ विवाद के बाद वारदात को अंजाम दिया गया। कमरे में सामान भी बिखरा पड़ा था।
पिछले कुछ दिनों से राजधानी सहित छत्तीसगढ़ के कई प्रमुख शहरों में महिलाओं की बेरहमीं पूर्वक हत्या की बातें सामने आ रही है। बलरामपुर जिले के राजपुर थाना क्षेत्र के तहत जिगड़ी बांध के समीप ग्राम मुरका के जंगल में एक युवती की सड़ी गली लाश पाई गई तो वहीं कोरबा में एक सनकी युवक ने अपनी प्रेमिका को हसिए से वार कर सार्वजनिक तौर पर मार डाला। इसी तरह छत्तीसगढ़ के भीतर कई भयानक और वीभत्स वारदात प्रतिदिन देखने को मिल रही है। महिलाओं के साथ घट रही घटनाओं से अब तो यह स्पष्ट हो गया है कि महिलाएं अब घर परिवार से लेकर और अन्य जगह में सुरक्षित नहीं है। हत्यारे और वहशी दरिंदे कहीं भी खुलेआम महिलाओं को अपने दरिंदगी का शिकार बना रहें है। घटित घटनाओं से यह भी स्पष्ट हो जाता है कि कानून के प्रति अपराधियों का कोई खौफ नहीं है इसीलिए वे बिना किसी खौफ के खतरनाक वारदातों को अंजाम दे रहें है। निर्भया कांड के पश्चात देश के लोगों को लगा था कि अब सरकार कोई ठोस कानून बनाकर अपराधियों पर लगाम कसेगी? परन्तु निर्भया कांड के पश्चात आज भी कई एैसे दर्दनाक घटनाएं घट चुकी है जो देश की जनता को झकझोरने के लिए काफी है। उन्नाव का सामूहिक बलात्कार कांड या फिर तत्काल घटित तमिलनाडू की महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या की वारदात। एैसी घटनाओं ने देश को तो झकझोरा परन्तु चुने गए राजनेता अपने कुंभकर्णी नींद में ही सोये रहे। घटना के पश्चात उनकी घडिय़ाली आंसू जनता के सामने आते तो है परन्तु उनके वादे हमेशा की तरह गायब हो जाती है। अब वह वक्त आ चुका है जब महिलाओं को सुरक्षित करने के लिए तमिलनाडू के एनकाउंटर जैसी घटनाओं को बार-बार अंजाम देने की। क्योंकि एक यही आखरी फैसला महिलाओं के प्रति सुरक्षित हो सकता है जहां अपराधियों पर लगाम कसे जा सके?
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