चेन्नई. तमिलनाडु की सीएम और एआइएडीएमके नेता रहीं जे. जयललिता की मौत की फाइल खुलने से राज्य की राजनीति में हड़कंप मच गया है। सबसे ज्यादा चर्चा जांच रिपोर्ट की है। जिसमें जयललिता के चार करीबियों के खिलाफ जांच की सिफारिश की गई है। जे जयललिता की मौत के बाद परिस्थितियों की जांच के लिए बनाई गई जस्टिस आरुमुगसामी जांच आयोग की मंगलवार को विधानसभा में पेश रिपोर्ट में कई खुलासे हुए हैं।
159 लोगों का लिया आयोग ने बयान
विधानसभा में पेश की गई आयोग की 608 पन्नों की रिपोर्ट तमिल और अंग्रेजी में है। रिपोर्ट को 159 लोगों के बयान के आधार पर तैयार किया गया है। एम्स के डॉक्टरों के पैनल की एक रिपोर्ट में दावा किया था कि जयललिता का इलाज सही चिकित्सा पद्धति के अनुसार हुआ था। इसी रिपोर्ट के आधार पर ही अपोलो अस्पताल को भी क्लीन चिट दे दी गई थी।
इन करीबियों पर शक
आयोग ने जयललिता की नजदीकी रहीं वीके शशिकला, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सहित चार व्यक्तियों के खिलाफ जांच की सिफारिश की है। 2016 में जयललिता की मौत के बाद तत्कालीन अन्नाद्रमुक सरकार ने जस्टिस आरुमुगसामी जांच आयोग का गठन किया था। रिपोर्ट में शशिकला, डॉक्टर केएस शिवकुमार, तत्कालीन स्वास्थ्य सचिव जे. राधाकृष्णन और स्वास्थ्य मंत्री सी. विजयभास्कर की भूमिका पर सवाल खड़े किए गए हैं।