उज्जैन। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उज्जैन में महाकाल कॉरिडोर यानी महाकाल लोक के पहले फेज का उद्घाटन किया। इसके साथ ही महादेव की नगरी उज्जैन छठा और भी सुंदर हो गई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महाकाल लोक का उद्घाटन करते हुए यहां काफी लंबा समय बिताया। इस दौरान पूरे कॉरिडोर का भ्रमण कर इसकी विशेषता व भव्यता के दर्शन किए। इस अवसर पर राज्यपाल मंगुभाई पटेल, मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मौजूद रहे।
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इससे पहले पीएम मोदी ने महाकाल मंदिर में पूजा-अर्चना कर गर्भगृह में मंत्र जाप किया। पूजा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बटन दबाकर महाकाल लोक का उद्घाटन किया। महाकाल प्रांगण को इस दौरान बेहद खूबसूरत तरीके से सजाया गया। उद्घाटन के दौरान पीएम मोदी ने कॉरिडोर के बारे में जानकारी भी ली। भव्यता भरे इस महाकाल लोक के चारों ओरा भक्ति व आस्था का ऐसा माहौल तैयार हुआ है जिसे देखकर महसूस किया जा सकता है।
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108 स्तंभ सहित महादेव के परिवार के चित्र
महाकाल लोक में 108 विशाल स्तंभ बनाए गए हैं। इन पर महादेव, पार्वती समेत उनके पूरे परिवार के चित्र उकेरे गए हैं जो देखने ममें काफी आकर्षक लग रहे हैं। चित्र देखने में बिलकुल मूर्तियों की तरह ही हैं जिनमें शिव, पार्वती, गणेश और कार्तिकेय की लीलाओं का वर्णन है। यहां हर एक प्रतिमा के सामने एक बारकोड लगाया है जिसे स्कैन करते ही भगवान शिव की कहानी बता रही प्रतिमा की संपूर्ण जानकारी आपके मोबाइल स्क्रीन पर आ जाएगी। इससे नई पीढी को प्राचीन इतिहास और कथाओं की जानकारी मिलेगी।
900 मीटर से अधिक लंबा कॉरिडोर
‘महाकाल लोक’ भारत में सबसे बड़े कॉरिडोर में से एक है, जो पुरानी रुद्रसागर झील के चारों ओर है। जिसे प्राचीन महाकालेश्वर मंदिर के आसपास पुनर्विकास परियोजना के हिस्से के रूप में भी पुनर्जीवित किया गया है। राजसी द्वार, नंदी द्वार और पिनाकी द्वार, गलियारे के शुरुआती बिंदु के पास बनाए गए हैं, जो प्राचीन मंदिर का प्रवेश द्वार और रास्ते में सौंदर्य के दृश्य प्रस्तुत करता है। प्रवेश द्वार से लेकर पूरा कॉरीडोर बेहद भव्य रूप से बनाया गया है।
दूसरे फेस शिखर दर्शन का निर्माण
परियोजना के दूसरे चरण के बारे में उन्होंने कहा कि इसमें एक ‘शिखर दर्शन’ का निर्माण किया जाएगा। महाकालेश्वर मंदिर के पास स्थित एक पुरानी इमारत ‘महाराजवाड़ा’ में एक प्राचीन धर्मशाला स्थापित करने पर भी काम किया जा रहा है। यह इमारत लगभग 100 साल पुरानी है। मंदिर के नज़दीकी यह बेहद अद्भुत नजर आती है। इसके सामने साढ़े पांच एकड़ का एक खुला स्थान है, जहां ‘चिंतन वन’, ‘अनुभूति वन’ और ध्यान केंद्र जैसी सुविधाएं तैयार की जाएंगी।